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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उग्र संगठन बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद बनारस में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाले पोस्टर लगा रहे हैं. बनारस के 84 घाटों पर लगे “प्रवेश प्रतिबंधित गैर हिंदू” नाम के शीर्षक वाले पोस्टर के नीचे लिखा है- “मां गंगा काशी घाट व मंदिर सनातन धर्म भारतीय संस्कृति श्रद्धा व आस्था के प्रतीक हैं, जिनकी आस्था सनातन धर्म में हो उनका स्वागत है. अन्यथा यह क्षेत्र पिकनिक स्पॉट नहीं है.” इस पोस्टर के नीचे लिखा है, “यह निवेदन नहीं चेतावनी है.”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस आस्थाओं का केंद्र है. दुनिया भर से हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, जैन और बौद्ध पर्यटक यहां हर साल आते हैं. लेकिन जबसे विहिप और बजरंग दल ने घाटों और अन्य स्थानों पर ये पोस्टर लगाने शुरू किए हैं लोगों के मन में कई सवाल और भय ने घर कर लिया है.
इससे पहले 25 दिसंबर को बजरंग दल ने चांदमारी स्थित एक गिरजाघर के सामने हनुमान चालीसा का पाठ किया था. मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार इन संगठनों के लोगों ने चर्च आने वालों के साथ दुर्व्यवहार कर उनसे जबरन जय श्रीराम के नारे भी लगवाए.
1 जनवरी को पोस्टर जारी करने से पहले बजरंग दल ने एक विज्ञप्ति जारी कर बनारस के कारोबारियों को “आध्यात्मिक पहचान के साथ खिलवाड़ न करने” की चेतावनी दी थी.
30 दिसंबर को जारी विज्ञप्ति में लिखा है, “काशी नगरी हिंदुओं की आस्था और सांस्कृतिक परंपरा का केंद्र बिंदु है. दुनिया में इसे भारत की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है. दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां धर्म, ज्ञान, आध्यात्म और मोक्ष की कामना लेकर आते हैं. काशी की महत्वपूर्ण पहचान इस नगर की प्राचीनता और आध्यात्मिकता है. लेकिन कुछ व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, शॉपिंग मॉल, क्लबों द्वारा पाश्चात्य त्योहारों के नाम से धर्मांतरण जैसे घृणित अपराध को बढ़ावा देने व नववर्ष मनाने के नाम पर देर रात तक शराब पार्टी आदि के माध्यम से युवक एवं युवतियों का सामाजिक पतन किया जा रहा है और हमारी धार्मिक आस्थाओं के मानबिंदुओं को भंग करने का कार्य किया जा रहा है एवं हमारी आस्थाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.” इस विज्ञप्ति में आगे धमकी दी गई है कि, “बजरंग दल काशी महानगर उन सभी प्रतिष्ठानों को यह सख्त चेतावनी देता है कि काशी की धार्मिक आध्यात्मिक पहचान के साथ खिलवाड़ करना बंद करें व पाश्चात्य संस्कृति के नाम पर अश्लीलता का जो नंगा नाच चल रहा है उसे बंद करें, अन्यथा जो भी दुष्परिणाम होगा उसके जिम्मेदार वे स्वयं होंगे.”
बनारस के घाटों पर लोक विद्या सत्संग करने वाले हरिश्चंद्र बिंद के अनुसार इन पोस्टरों को लगाने का मतलब है कि बजरंग दल और विहिप हिंसा की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हालांकि बनारस के लोगों ने सोशल मीडिया पर इन पोस्टरों का विरोध किया है पर अब तक कोई भी प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हुई है. फिलहाल पुलिस ने ये पोस्टर हटा दिए हैं लेकिन बिंद का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि इससे पोस्टर लगाने वालों को कोई फर्क पड़ेगा. उन्होंने बताया कि उन्हें नहीं लगता कि नागरिकों के विरोध से काम चलेगा. बिंद कहते हैं, “ये लोग पिछले दिनों से ही कई कार्यक्रम चला रहे हैं और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी है. ये शायद उसके लिए मुद्दा तलाश रहे हैं.”
7 जनवरी को साझा संस्कृति के लोगों ने बनारस के आयुक्त को ज्ञापन सौंप कर पोस्टर लगाए जाने का विरोध किया. इस संगठन के सदस्य अजय पटेल ने बताया कि पोस्टर लगने की खबर सुन कर वह हैरान रह गए थे. उन्होंने आयुक्त से कहा है कि हमारे बहुत सारे दोस्त दूसरे धर्मों के हैं और अक्सर हमारे साथ गंगा घाट और अस्सी पर चाय पीते हैं. यह गंगा-जमुनी तहजीब का शहर है. पटेल के अनुसार, कमिश्नर ने मंच के सदस्यों को आश्वासन दिया है कि वह किसी को भी कानून अपने हाथों में लेने नहीं देंगे.
बुनकर और सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद अहमद अंसारी ने बताया कि पोस्टर लगने की बात जब से मुसलमानों को पता चली है तभी से लोग वहां जाने से कतराने लगे हैं. उन्होंने बताया कि घाटों में सभी धर्म के लोग जाते हैं लेकिन “पोस्टर लगने के बाद लगता है कि वे लोग किसी के भी साथ अभद्रता कर सकते हैं और अच्छा होगा कि वहां न जाएं.”
उन्होंने बताया कि बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के बाद के माहौल में भी यहां के मुसलमान घाटों पर जाने से डरने लगे थे लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे असर भी कम होता चला गया. बिंद की तरह उनका भी कहना था कि उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव के लिए सांप्रदायिक उन्माद फैलाया जा रहा है.
अंसारी ने दो दिन पहले उनके साथ हुई सांप्रदायिक हिंसा के बारे में बताया कि जब वह सड़क पार कर रहे थे तो तेजी से आती मोटरसाइकिल पर सवार एक लड़का आकर उन्हें मां-बहन की गालियां देने लगा. अंसारी को लगता है कि उनके सिर की गोल टोपी से उन्हें पहचान कर लड़का गालियां दे रहा था. अंसारी ने कहा, “मैंने सोचा जाने दो. होगा कोई सिरफिरा.” अंसारी मानते हैं कि फिलहाल शहर का माहौल बिगड़ा नहीं है.
बजरंग दल काशी महानगर के संयोजक निखिल त्रिपाठी, जिनके हस्ताक्षर विज्ञप्ति में हैं, से मैंने पोस्टरों के बारे में पूछा तो त्रिपाठी ने दावा किया कि उनके संगठन के सदस्यों ने “पूरे 84 घाटों पर ये पोस्टर लगाए हैं.” त्रिपाठी ने कहा, “गंगा घाट हमारी संस्कृति की विरासत है. गंगा हमारी मोक्षदायनी है लेकिन कुछ विधर्मियों द्वारा घाटों को पिकनिक स्पॉट बना दिया गया था जहां पिकनिक के नाम पर नॉनवेज खाया जाता है और उसको गंगा में फेंका जाता है.”
त्रिपाठी ने दावा किया कि ऐसे लोगों को “निर्देश दिया गया है कि आप इस तरह की गतिविधियां यहां न करें और जो विधर्मी हैं वे सनातन धर्म में घर वापसी करें, सनातन संस्कृति को अपनाएं.” त्रिपाठी ने यह भी कहा कि “जो सनातन संस्कृति को अपनाने वाले हैं, उनका स्वागत है. हम किसी को मना नहीं कर रहे हैं कि आप यहां मत आइए. हम बस कह रहे हैं कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को अपनाइए और अगर नहीं करेंगे तो उसके बाद की व्यवस्था हो ही जाएगी.”
25 दिसंबर को चर्च के सामने हनुमान चालीसा के पाठ के बारे में पूछे गए मेरे सवाल पर त्रिपाठी ने कहा, हम लोगों ने एक जन जागरण यात्रा निकाली थी क्योंकि जो हमारे गरीब हैं उनको बहला-फुसला कर धर्मांतरण कराया जा रहा है. वह उस संदर्भ में एक विरोध प्रदर्शन था. हम लोग हिंदुत्व को मानने वाले हैं. हिंदुत्व के बजरंगबली हैं और हम उन्हीं के उपासक हैं, पुजारी हैं. आप अंग्रेजी नव वर्ष मानिए लेकिन जो अश्लीलता प्रकट की जाती है नया साल के रूप में, उससे अच्छे-अच्छे परिवार के लड़कों को गलत संदेश मिलता है. उनकी स्थिति का पतन हो रहा है. हम लोग हिंदुत्व को और हिंदू को जगाने का काम करते हैं.”
बनारस के दशाश्वमेध थाना के थाना प्रभारी आशीष मिश्रा से जब मैंने पुलिस कार्रवाई के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि पोस्टर सभी घाटों पर लगे हैं और घाट अलग-अलग थानों में आते हैं. उन्होंने कहा कि अभी इनकी जांच हो रही है और उसके बाद कोई कार्रवाई होगी.
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