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9 अगस्त को मेनकांत गुप्ता और उनके परिवार के आठ सदस्य 54 वर्षीय पिता एन वेंकट राव के लिए आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम जिले के 30 निजी अस्पतालों में बेड की तलाश में जुटे थे. राव ने कोविड-19 का एक रैपिड एंटीजन टेस्ट करवाया था और जांच रिपोर्ट नकारात्मक थी लेकिन उन्हें सांस नहीं आ रही थी और बेहद थके हुए थे और उनकी तबियत बिगड़ती चली जा रही थी. सभी 30 अस्पतालों ने गैर-कोविड रोगियों के लिए बेड और वेंटिलेटर की कमी का हवाला दे कर उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया. "हम कुछ भी करने के लिए तैयार थे. मुंह मांगी कीमत देने को तैयार थे लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और पिता को ऐसी जगह ले जाने के लिए कहा जहां गैर-कोविड रोगियों के भर्ती किया जा रहा हो”, मेनकांत ने कहा.
हताश होकर उन्होंने विशाखापट्टनम में अपने गांव पद्मनाभन से 15 किलोमीटर दूर एक कस्बे विजयनगरम में महाराजा जिला अस्पताल के अधिकारियों से संपर्क किया. अस्पताल ने, जो अब एक समर्पित कोविड-19 केंद्र है, राव का एक और रैपिड एंटीजन परीक्षण किया और परिणाम फिर से नकारात्मक आया. इस अस्पताल ने उन्हें विशाखापट्टनम शहर के किंग जॉर्ज अस्पताल रेफर कर दिया.
बेड मिलने के अगले दिन 11 अगस्त की शाम किंग जॉर्ज अस्पताल में राव की मौत हो गई. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश में उनके परिवार को दो दिन लग गए थे. उनकी मौत के वक्त उनके खून में शुगर की मात्रा सामान्यसे छह गुना ज्यादा थी. उनका ऑक्सीजन-संतृप्ति स्तर 40 प्रतिशत तक गिर गया था, जबकि एक स्वस्थ वयस्क के लिए न्यूनतम संतृप्ति स्तर 90 प्रतिशत है. अस्पताल ने उनकी मौत के प्राथमिक कारण को "कार्डियोपल्मोनरी अरेस्ट" और माध्यमिक कारणों के रूप में "निमोनिया, मधुमेह केटोएसिडोसिस और टाइप 1 श्वसन विफलता" के रूप में सूचीबद्ध किया. टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित रोगियों में मधुमेह केटोएसिडोस गंभीर जटिलता पैदा कर देता है.
उनके परिवार ने उनके अंतिम संस्कार मैं सैकड़ों रिश्तेदारों को आमंत्रित किया क्योंकि उनकी मौत कोविड-19 से नहीं हुई थी. उनकी मौत के पांच दिन बाद, स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने मेनकांत को बताया कि उनके पिता की मौत के बाद कोविड-19 के लिए रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस पॉलीमरेज चेन रिएक्शन या आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट सकारात्मक थी. मेनकांत ने कहा, "दो बार उनका एंटीजन टेस्ट निगेटिव आया और जब हमने उन्हें खो दिया तो वे बताते हैं कि उन्हें कोविड-19 है. उन्हें यह बीमारी थी और फिर भी हम उन्हें लेकर अस्पताल दर अस्पताल भटकते रहे जहां उनका इलाज किए जाने से इनकार कर दिया गया."
भारत ने स्वर्ण मानक आरटी-पीसीआर परीक्षणों के पूरक के लिए एंटीजन परीक्षण की शुरुआत की ताकि जांच के दायरे को चौड़ा किया जा सके और अधिक मामलों का जल्द पता लगाया जा सके. लेकिन एंटीजन परीक्षणों से झूठे नकारात्मक नतीजों ने अस्पतालों को प्रारंभिक जीवन-रक्षक कार्रवाई करने से वंचित कर दिया है. अस्पताल राव का उपचार शुरू करने से पहले परीक्षणों पर अधिक निर्भर थे तब भी जब उनके लक्षण साफ जाहिर थे.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने 14 जून को एक सलाह जारी की कि कंटेनमेंट जोन, हॉटस्पॉट और हेल्थकेयर सेटिंग्स में परीक्षण के लिए एंटीजन टेस्ट किट का उपयोग "देखभाल जांच" के रूप में किया जा सकता है. एंटीजन वे बाहरी निकाय हैं जो एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित करते हैं और किट गले या नाक में पाए जाने वाले एंटीजन से प्रोटीन का पता लगाते हैं. वर्तमान में उपलब्ध एंटीजन परीक्षणों में उच्च विशिष्टता होती है. जिसका अर्थ है कि वे बहुत कम झूठी सकारात्मकता रिपोर्ट देते हैं. लेकिन समस्या यह है कि उनकी संवेदनशीलता बहुत कम है. जिसका अर्थ है कि वे कई गलत नकारात्मक संकेत दे सकते हैं. इसलिए आईसीएमआर ने कहा है कि सकारात्मक एंटीजन परीक्षण को "सही सकारात्मक" माना जा सकता है, जिसका अर्थ है कि उस परीक्षण के आधार पर किसी व्यक्ति का उपचार शुरू किया जा सकता है. जिस व्यक्ति का कोविड-19 के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट नकारात्मक था, संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए उसका फिर से आरटी-पीसीआर परीक्षण किया जाना चाहिए.
इस परामर्श के बाद से राज्यों ने न केवल एक त्वरित स्क्रीनिंग टूल के रूप में बल्कि आरटी-पीसीआर परीक्षण के साथ एक नैदानिक उपकरण के रूप में एंटीजन परीक्षणों पर भरोसा किया है. 4 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि भारत में हर रोज किए जाने वाले परीक्षणों में 25 से 30 प्रतिशत रैपिड एंटीजन टेस्ट होते हैं. आमजन द्वारा उपलब्ध डेटा के जरिए एक वॉलेंटियर द्वारा संचालित वेबसाइट कोविड-19 India.org द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार 18 अगस्त तक कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और दिल्ली में प्रति दिन कुल परीक्षणों का 50 प्रतिशत से अधिक रेपिड एंटीजन परीक्षण थे. "समस्या आरटी-पीसीआर के एक पूरक उपकरण के रूप में रैपिड एंटीजन परीक्षणों का उपयोग करने के बारे में नहीं है लेकिन जब राज्य सरकारें अपने आरटी-पीसीआर परीक्षण पर वापस कटौती करती हैं और एक विकल्प के रूप में रैपिड एंटीजन परीक्षणों का उपयोग करती हैं, तो समस्या खड़ी हो जाती है" स्वास्थ्यविद और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट कोझीकोड में गेस्ट फैकल्टी डॉ. रिजो एम जॉन ने कहा. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के सलाहकार के रूप में भी रिजो ने कहा, "इसके अलावा, राज्य अक्सर ऐसे मरीजों का पुन: परीक्षण नहीं करते हैं जिनका आरटी-पीसीआर परीक्षण के साथ एंटीजन जांच का परिणाम नकारात्मक आता है." 26 जुलाई को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी की सरकार को प्राथमिक निदान उपकरण के रूप में रैपिड एंटीजन टेस्ट का उपयोग करने और झूठी नकारात्मक रिपोर्ट को खारिज करने के लिए पर्याप्त आरटीआर-पीसीआर परीक्षण नहीं करने के लिए फटकार लगाई.
बिहार के सीतामढ़ी जिले में 13 अगस्त की रात सढ़सठ साल कीं माया प्रशाद की कोविड-19 जैसे लक्षणों से मृत्यु हो गई. 10 अगस्त को प्रशाद को सांस लेने में परेशानी और बेचैनी होने लगी थी. उन्हें उच्च रक्तचाप और मधुमेह भी था, जिसे कोविड-19 में रोग को और बढ़ाने वाले के रूप में जाना जाता है. लेकिन दो दिन बाद हुए रैपिड एंटीजन टेस्ट की उनकी रिपोर्ट नकारात्मक थी. प्रशाद की पोती शगुन चौधरी याद करते हुए बताती हैं कि कैसे मरने से पहले उनके परिवार ने जिले के अस्पतालों में भर्ती कराने की बेतहाश और असफल कोशिशें की थी. चौधरी ने कहा, "मैंने स्थानीय अधिकारियों को आरटी-पीसीआर के माध्यम से यह जांचने के लिए मजबूर किया कि उन्हें कोविड-19 है या नहीं, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि जिले के किसी भी अस्पताल में आरटी-पीसीआर मशीन नहीं है."
चौधरी ने आरटी-पीसीआर मशीन उपलब्ध नहीं होने के बारे में स्पष्टीकरण के लिए 15 अगस्त को स्थानीय कोविड-19 हेल्पलाइन को कॉल किया. उन्होंने बातचीत की एक रिकॉर्डिंग मुझे दी. हेल्पलाइन के संचालक ने उन्हें बताया कि "वैसे, वायरस का कोई वास्तविक इलाज नहीं है," इसका मतलब है कि अस्पताल में भर्ती होने से भी उनकी दादी की जान नहीं बचाई जा सकती. चौधरी ने जवाब में कहा: "अगर अमित शाह और अमिताभ बच्चन को उनकी अपनी सभी तमाम बीमारियों के साथ भी उचित देखभाल और उपचार के जरिए बचाया जा सकता है, तो आप मुझे कैसे कह सकते हैं कि मेरी दादी मर ही जाएंगी?"
राव और प्रशाद जैसे मरीज वहां फंस कर रह गए जिसे सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ सोनाली वैद "अधर में लटके" कहती हैं. वैद हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से स्नातक हैं, जिनका काम स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने पर केंद्रित है, और वह रोगी की देखभाल पर बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और रोगियों को समय पर उपचार प्राप्त करने में दिल्ली में मदद कर रही हैं. "ऐसे लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें," उन्होंने कहा. "गैर-कोविड-19 अस्पताल उन्हें नहीं लेते क्योंकि उनमें -19 जैसे लक्षण हैं और कोविड-19 अस्पताल उन्हें लेने से इनकार करते हैं क्योंकि उनकी रिपोर्ट नकारात्मक रही थी या वे अभी तक उनकी जांच रिपोर्ट सकारात्मक नहीं आई."
यहां तक कि आरटी-पीसीआर परीक्षण, जिसे दुनिया भर में कोविड-19 परीक्षण के लिए स्वर्ण मानक के रूप में स्वीकार किया जाता है, में अच्छी-खासी मात्रा में त्रुटि आती है और कई झूठे नकारात्मक परिणाम भी आ सकते हैं. अध्ययन इन परीक्षणों की संवेदनशीलता को 70 से 95 प्रतिशत के बीच निर्धारित करता है, जिससे इस बात की गुंजाइश बच जाती है कि स्पष्ट संक्रमण के कई सारे मामले छूट जाएं.
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में, 53 वर्षीय मुरली मनोहर, उनकी पत्नी और चार बच्चों ने 12 अगस्त को कोविड-19 के लिए एंडीजन टेस्ट करवाया जिसका परिणाम सकारात्मक रहा. मनोहर पहले से ही बेदम थे और खांस रहे थे. एंटीजन टेस्ट के आधार पर, परिवार ने उन्हें स्थानीय निजी अस्पताल केएमसी डिजिटल अस्पताल में भर्ती कराने का फैसला किया. आईसीएमआर के दिशानिर्देश कहते हैं कि एंटीजन पॉजिटिव परिणामों को परीक्षण की उच्च विशिष्टता के कारण आरटी-पीसीआर परीक्षणों के साथ फिर से जांचने की आवश्यकता नहीं है. फिर भी कुछ दिनों बाद मनोहर का आरटी-पीसीआर परीक्षण किया गया, जिसमें आश्चर्यजनक रूप से नकारात्मक रिपोर्ट के संकेत मिले. मनोहर गुप्ता के 23 वर्षीय बेटे मनीष गुप्ता ने कहा, "जैसे ही मेरे पिता का आरटी-पीसीआर जांच परिणाम नकारात्मक आया, अस्पताल ने उन्हें तुरंत छुट्टी दे दी."
अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद प्रबंधक अरुण ने कहा कि मनोहर को छुट्टी दे दी गई क्योंकि यह अस्पताल की नीति थी कि अस्पताल आरटी-पीसीआर नकारात्मक रोगी को कोविड-19 सुविधा में इलाज करने की अनुमति न दे. "आरटी-पीसीआर पुष्टिकरण परीक्षण है और रोगी को अब कोविड-19 रोगी के रूप में नहीं माना जा सकता है," उन्होंने कहा.
मनोहर के परिवार ने आरटी-पीसीआर परीक्षण भी करवाया और उन्हें कोविड-19 नकारात्मक घोषित किया गया. हालांकि, उन्होंने खुद को घर पर क्वारंटीन करने का फैसला किया. वे कोविड-19 के लक्षणों को जानते थे, जिसमें सूंघने की क्षमता में कमी, बुखार और लगातार थकान शामिल हैं. मनीष को भी तेज बुखार था. "हम सभी ठीक हैं, बहुत बीमार नहीं हैं और मेरे पिता को अब ऑक्सीजन लगाने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर वह गंभीर रूप से बीमार होते और तब कोविड-19 की उनकी रिपोर्ट नकारात्मक आती तो उनका इलाज करने से इनकार कर दिया जाता, तब क्या होता?" उन्होंने पूछा. महाराजगंज के एक जिला स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारी हरिराम यादव, जो स्थानीय कोविड-19 हेल्पलाइन का प्रबंधन करते हैं, ने कहा कि स्वास्थ्य प्रशासन आरटी-पीसीआर के परिणाम को निर्णायक मानता है. उन्होंने कहा, "वे अभी घर पर ही क्वारंटीन हैं और हम यह देख रहें हैं उनकी स्थिति बिगड़ने पर उन्हें फिर से परीक्षण करने की आवश्यकता है," उन्होंने कहा.
वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के एक वायरोलॉजिस्ट और पूर्व प्रोफेसर डॉ. टी. जैकब जॉन ने कहा, "इसमें एंटीजन टेस्ट या आरटी-पीसीआर टेस्ट का दोष नहीं है." “दोष हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में है. रोगी के परीक्षण के परिणामों के बावजूद, यदि उसमें बीमारी के लक्षण हैं, तो किसी भी सभ्य चिकित्सक को तुरंत उसका इलाज करना चाहिए. यदि किसी मरीज को परस्पर विरोधी परीक्षण परिणामों के आधार पर उपचार से वंचित किया जाता है, तो इस तरह की घातक चिकित्सा लापरवाही की अनुमति देना सरकार की गलती है. "
टेस्ट के परिणामों की सटीकता हमेशा ही 100 प्रतिशत से कम होगी. कोविड-19 नैदानिक परीक्षण के सटीक परिणाम की अनुपस्थिति में, चिकित्सक, खासकर बीमारी के बाद के चरणों में अन्य नैदानिक उपकरण जैसे छाती का एक्स-रे और सीटी स्कैन का उपयोग कर सकते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि किसी मरीज को कोविड-19 है. "कोई भी योग्य रेडियोलॉजिस्ट एक एक्स-रे और सीटी स्कैन से देख सकता है और आपको बता सकता है कि मरीज का उपचार कोविड-19 रोगी के रूप में किया जाना चाहिए जब तक कि यह अन्यथा साबित न हो," जैकब ने कहा.
कर्नाटक के बेंगलुरु में रेडियोलॉजिस्ट डॉ. कुणाल नायडू गुडीवाड़ा ने ऐसे कई मामले देखे हैं. "जब संक्रमण होता है, रेडियोलॉजिस्ट निरीक्षण कर सकते हैं जो ग्राउंड ग्लास डेनसिटी ओपासिटी की तरह दिखता है," उन्होंने कहा. ग्राउंड ग्लास छाती के एक्स-रे में फेंफडे की धुंधली आकृति बनाता है और निमोनिया या सूजन का संकेत देता है.
चंडीगढ़ में पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में एक समर्पित कोविड-19 अस्पताल स्थापित करने में मदद करने वालेआंतरिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. पंकज मल्होत्रा ने कहा "जैसा कि हम सभी जानते हैं, वायरस का अभी भी कोई इलाज नहीं है. चिकित्सकों के रूप में हम यही कर सकते हैं रोगियों को उनके लक्षणों का प्रबंधन करने में मदद करें और यह सुनिश्चित करें कि जरूरतमंदों को उपचार और बेड की उपलब्धता से इनकार न किया जाए." उन्होंने कहा कि डॉक्टर जरूरत पड़ने पर स्टेरॉयड और वेंटिलेशन का उपयोग करके मरीजों के लक्षणों का प्रबंधन कर सकते हैं.
सभी अस्पतालों, विशेष रूप से सरकारी सुविधाओं को कोविड-19 जांच परिणामों की परवाह किए बिना गंभीर और जानलेवा लक्षणों वाले रोगियों का इलाज करना चाहिए. "महामारी के दौरान इस बिंदू पर, मैं समर्पित कोविड-19 और गैर-कोविड-19 सुविधाओं के बीच अलगाव के पक्ष में नहीं हूं," सार्वजनिक-स्वास्थ्य विशेषज्ञ वैद ने कहा. "मेरा मानना है कि किसी भी बेहतर अस्पताल की सुविधा में कम से कम बीमार कोविड-19 रोगियों के इलाज की क्षमता और रोगी के गंभीर रूप से बीमार होने की स्थिति में बड़े अस्पताल में उनको रेफर करने की सुविधा होनी चाहिए."
यह रिपोर्टिंग ठाकुर फैमिली फाउंडेशन के अनुदान द्वारा समर्थित है. ठाकुर फैमिली फाउंडेशन का इस रिपोर्ट पर कोई संपादकीय नियंत्रण नहीं है.
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