बीजेपी के महाराजगंज मंडल अध्यक्ष यादवेंद्र प्रताप सिंह द्वारा दलित पत्रकार और बहुजन इंडिया 24 न्यूज के जौनपुर ब्यूरो चीफ संतोष कुमार की बेरहमी से पिटाई कर दोनों पैर तोड़ डालने का मामला सामने आया है. मारपीट के बाद संतोष को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.
इस बारे में संतोष ने मुझे बताया कि उनके गांव की महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर हो रहे पंचायत चुनाव में उनकी पत्नी रेशमा भी उम्मीदवार थीं. चूंकि यादवेंद्र की पत्नी अनामिका भी चुनावी मैदान में थीं तो 26 मार्च 2021 को यादवेंद्र ने रेशमा को चुनाव न लड़ने की धमकी दी. संतोष का कहना है कि उससे एक दिन पहले 25 मार्च को यादवेंद्र ने उनके घर आकर चुनाव लड़ने पर जान से मरवा देने की धमकी भी दी थी. उन्होंने बताया, “हमारे घर की बकरी को भी यादवेंद्र के आदमी उठा ले गए.” उन्होंने आगे कहा, “हमने थाने में जाकर लिखित शिकायत दी लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हुई. कप्तान साहब (पुलिस अधिकारी) को भी लिखा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अपनी जान-माल की सुरक्षा के लिए मेरे पूरे परिवार ने शिकायत लिखाई पर कुछ नहीं किया गया.”
जब उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की घोषणा हुई तब संतोष ने भी अपनी पत्नी रेशमा को गांव की आरक्षित महिला सीट से चुनाव लड़वाने का फैसला किया था. उसी गांव से ठाकुर जाति के बीजेपी के महराजगंज मंडल अध्यक्ष यादवेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी अनामिका भी चुनाव लड़ रही थीं.
संतोष ने बताया, “26 तारीख को मैं अपने दोस्त के साथ दवा लेकर आ रहा था. मैं मोटरकाइकिल के पीछे बैठा था. जब हम डेलूपुर की पुलिया पर पहुंचे तब बीजेपी नेता यादवेंद्र और उनके साथ 14 अन्य लोग वहां मौजूद थे. जिनमें से मैं 10 को पहचानता था. उन 14 लोगों ने मुझे इतना पीटा कि मैं बेहोश हो गया. मुझे जातिवादी और मां-बहन की गालियां दीं. मेरे शरीर पर कई गंभीर चोटें आईं और मेरे दोनों पैरों की हड्डियां टूट गईं.”
26 जून की शाम हुई इस घटना के बारे में उन्होंने आगे बताया कि जैसे ही उनके परिवार को इसकी सूचना मिली वे लोग एम्बुलेंस से उन्हें नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए. बाद में वे थाना महराजगंज गए और सीओ से शिकायत की लेकिन सीओ ने उनसे कहा कि वे शिकायत से बीजेपी नेता का नाम हटा दें तभी उनकी एफआईआर दर्ज की जाएगी.
संतोष के मना करने पर थाना प्रभारी ने उनके साथ बक्सा जैसी घटना करा देने की धमकी दी. गौरतलब है कि बक्सा थाना में पुलिस की पिटाई से एक यादव लड़के की मौत हो गई थी. संतोष ने पुलिस थाने में हुई ज्यादती को याद करते हुए बताया कि “वे मुझे अपशब्द बोलते रहे थे और मेरा मानसिक उत्पीड़न करते रहे. मुझे खूब दर्द हो रहा था. मुझे रात के दो बजे एम्बुलेंस से जिला अस्पताल लाया गया. अस्पताल प्रशासन पहले तो पुलिस का मामला बता कर मुझे भर्ती ही नहीं कर रहा था लेकिन फिर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर वहां पुलिस आई और उन्होंने मुझे भर्ती कराया और मेरा मेडिकल हुआ.”
अगली सुबह बीजेपी नेता भी वहां पहुंच गए. संतोष के अनुसार उन नेताओं ने भरपूर प्रयास किया कि उनका मेडिकल न बने पर किसी तरह से मेडिकल बन गया और वह 10 दिनों तक वहां भर्ती रहे. उन्होंने कहा, “लेकिन मेरे दाहिने पैर का मेडिकल नहीं बन सका. मेरे दोनों पैरों में फ्रेक्चर पाया गया और डॉक्टरों ने दोनों पर प्लास्टर लगाया लेकिन मेडिकल में एक ही पैर का लिखा गया है.”
संतोष ने आगे बताया कि उन्होंने डीएम, अनुसूचित जाति आयोग, मुख्यमंत्री और मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा और तभी जाकर 21 दिन बाद 17 जुलाई 2021 को अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. उसी दिन यादवेंद्र ने अपने नौकर द्वारा उनके ऊपर भी एक मुकदमा दायर करा दिया. उसके बाद से आए दिन उनके परिवार को परेशान किया जा रहा है. 20 तारीख को यादवेंद्र के साथियों द्वारा फिर से उन पर जानलेवा हमला किया गया. उन्होंने बताया, “मेरे घर में घुस कर मेरी पत्नी को मारा गया, बच्चों को मारा गया और पूरे परिवार को कमरे के भीतर बंद कर ताला लगा दिया गया. इस मामले की कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. मैं उसी रात आठ बजे से अपने पूरे परिवार के साथ जिला मुख्यालय पर आमरण अनशन पर बैठ गया हूं.”
गौरतलब है कि चुनाव में यादवेंद्र की पत्नी की जीत हुई थी लेकिन संतोष ने दावा किया कि बीजेपी मंडल अध्यक्ष ने बूथ में गड़बड़ी की थी और इसी कारण उनकी पत्नी चुनाव जीती हैं. बूथ की गड़बड़ी के संबंध में उन्होंने डीएम को पत्र भी लिखा है और वह इस मामले को हाई कोर्ट तक ले जाने की सोच रहे हैं. संतोष का कहना है कि चूंकि यादवेंद्र ठाकुर जाति के हैं इसलिए वह और उनके सहयोगी दलित समाज के लोगों को आए दिन परेशान करते हैं और उनके साथ मार-पीट करते हैं. इसी बात को लेकर 25 जून 2021 को ग्रामीणों ने जौनपुर में कप्तान साहब को ज्ञापन भी दिया था. इसका उन्होंने पूरा वीडियो बनाया और अपने चैनल पर भी चलाया. चैनल पर वीडियो लगाए जाने के बाद, उसी शाम को इस बीजेपी नेता ने अपने नौकर से उन पर एक फर्जी मुकदमा दायर करवा दिया.
संतोष की मारपीट के मामले में मुख्य आरोपी यादवेंद्र पर मुकदमा संख्या 120/2021 में 147, 392, 325, 323, 504, 506, 427 और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत 3(2) (वीए) जैसी संगीन आपराधिक धाराएं लगने के बाद भी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है. मैंने महराजगंज थाना जौनपुर के थाना प्रभारी संतोष कुमार राय से बात की तो उन्होंने मुझे बताया, “उनकी शिकायत लिख ली गई है. अभी क्षेत्राधिकारी द्वारा इसकी विवेचना की जा रही है और इस पर कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई की जाएगी.” इतना कह कर उन्होंने फोन काट दिया.