आइसोलेशन केंद्र में रुके दलित युवक ने पुलिस की पिटाई से आहत होकर की खुदकुशी

05 अप्रैल 2020
रोशन 29 तारीख को अपने गांव आया था और उसे तुरंत ही क्वारंटीन केंद्र भेज दिया गया. लेकिन वहां भोजन की व्यवस्था न होने से खाने के लिए घर आना पड़ता था. 31 मार्च को खाने के लिए जब वह घर आया था तो सिपाही अनूप कुमार सिंह ने उसके साथ मारपीट की.
साभार : विनीत गौतम
रोशन 29 तारीख को अपने गांव आया था और उसे तुरंत ही क्वारंटीन केंद्र भेज दिया गया. लेकिन वहां भोजन की व्यवस्था न होने से खाने के लिए घर आना पड़ता था. 31 मार्च को खाने के लिए जब वह घर आया था तो सिपाही अनूप कुमार सिंह ने उसके साथ मारपीट की.
साभार : विनीत गौतम

31 मार्च को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के फरिया पिपरिया गांव में पुलिस की पिटाई के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेने वाला 22 साल का रोशन लाल हरियाणा के गुरुग्राम (गुड़गांव) की एक फैक्ट्री में बिजली मिस्त्री था. 25 मार्च से देशभर में कोरोना लॉकडाउन लागू हो जाने के बाद रोशन का काम भी बंद हो गया.

तीन दिन तक जैसे-तैसे गुरुग्राम में रुकने के बाद 28 मार्च को रोशन दिल्ली के आनंद विहार से शाहजहांपुर बस में आया और वहां से लखीमपुर खीरी के फरिया पिपरिया गांव का सफर कभी पैदल और कभी लिफ्ट लेकर तय किया. 29 मार्च को रोशन अपने गांव पहुंचा और उसे तुरंत गांव के स्कूल में बनाए गए आइसोलेशन केंद्र में रख दिया गया. रोशन के बड़े भाई बांके ने मुझे फोन पर बताया कि जब रोशन गांव पहुंचा तो, “प्रधान जी ने बताया कि जो बाहर से आ रहे हैं उनके रहने की व्यवस्था प्राइमरी स्कूल में की गई है. आपको वहीं रहना है.” लेकिन केंद्र में खाने का कोई इंतजाम नहीं था. रोशन के चाचा जसवंत ने मुझसे कहा, “उस स्कूल में रोशन सहित 7 लोग रह रहे थे लेकिन वहां इन लोगों के लिए खाने की व्यवस्था नहीं थी. जब रोशन को भूख लगती थी तो वह घर आकर खाना खाता था और फिर वापस स्कूल चला जाता था.”

31 मार्च को जिस वक्त रोशन खाना खाने घर आया हुआ था, पुलिस सिपाही अनूप कुमार सिंह स्कूल में भर्ती लोगों की हाजिरी लेना पंहुचा. जब रोशन वहां नहीं मिला तो सिंह उसे ढूंढता हुआ उसके घर आ गया. वहां उसे पता चला कि रोशन आटा पिसाने पास की चक्की गया है. सिंह अपने साथी पुलिसवाले के साथ चक्की पहुंचा और रोशन की पिटाई करने लगा. समाचार पत्र हिंदुस्तान संवाद में प्रकाशित एक खबर के अनुसार जब सिंह रोशन की पिटाई कर रहा था, तो उसका साथी पुलिसवाला पिटाई का वीडियो बना रहा था. रोशन के चाचा जसवंत को वहां मौजूद लोगों ने बाद में बताया है कि रोशन बार-बार अनूप कुमार से माफी मांग रहा था. रोशन को पीटने के बाद सिंह ने उसकी बात चौकी प्रभारी नितीश भारद्वाज से कराई. चाचा जसवंत ने बताया कि रोशन ने भारद्वाज को बताया था कि उसे पिटाई से बहुत चोट आई है और वह उसका इलाज डॉक्टर से करवा दें. जसवंत ने कहा, “उसने प्रभारी से कहा, ‘मेरा एक हाथ बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा है’ लेकिन उन्होंने मदद करने से इनकार कर दिया और सिंह उसे उसी हाल पर छोड़ कर चला गया.”

इसके बाद उसी गांव के संजय, जो बिजली विभाग में लाइनमैन हैं, और जसवंत के भाई शिशनाथ रोशन को मोटरसाइकिल पर बिठा कर घर ले आए.

फांसी लगाने से पहले रोशन ने तीन ऑडियो रिकार्ड किए. उन ऑडियो को सुनसे से पता चलता है कि सरेआम पिटाई से रोशन बहुत शर्मिंदा और अपमानित महसूस कर रहा था. ऑडियो में रोशन को कहते हुए सुना जा सकता है :

सुनील कश्यप कारवां के स्टाफ राइटर हैं.

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