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31 मार्च को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के फरिया पिपरिया गांव में पुलिस की पिटाई के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेने वाला 22 साल का रोशन लाल हरियाणा के गुरुग्राम (गुड़गांव) की एक फैक्ट्री में बिजली मिस्त्री था. 25 मार्च से देशभर में कोरोना लॉकडाउन लागू हो जाने के बाद रोशन का काम भी बंद हो गया.
तीन दिन तक जैसे-तैसे गुरुग्राम में रुकने के बाद 28 मार्च को रोशन दिल्ली के आनंद विहार से शाहजहांपुर बस में आया और वहां से लखीमपुर खीरी के फरिया पिपरिया गांव का सफर कभी पैदल और कभी लिफ्ट लेकर तय किया. 29 मार्च को रोशन अपने गांव पहुंचा और उसे तुरंत गांव के स्कूल में बनाए गए आइसोलेशन केंद्र में रख दिया गया. रोशन के बड़े भाई बांके ने मुझे फोन पर बताया कि जब रोशन गांव पहुंचा तो, “प्रधान जी ने बताया कि जो बाहर से आ रहे हैं उनके रहने की व्यवस्था प्राइमरी स्कूल में की गई है. आपको वहीं रहना है.” लेकिन केंद्र में खाने का कोई इंतजाम नहीं था. रोशन के चाचा जसवंत ने मुझसे कहा, “उस स्कूल में रोशन सहित 7 लोग रह रहे थे लेकिन वहां इन लोगों के लिए खाने की व्यवस्था नहीं थी. जब रोशन को भूख लगती थी तो वह घर आकर खाना खाता था और फिर वापस स्कूल चला जाता था.”
31 मार्च को जिस वक्त रोशन खाना खाने घर आया हुआ था, पुलिस सिपाही अनूप कुमार सिंह स्कूल में भर्ती लोगों की हाजिरी लेना पंहुचा. जब रोशन वहां नहीं मिला तो सिंह उसे ढूंढता हुआ उसके घर आ गया. वहां उसे पता चला कि रोशन आटा पिसाने पास की चक्की गया है. सिंह अपने साथी पुलिसवाले के साथ चक्की पहुंचा और रोशन की पिटाई करने लगा. समाचार पत्र हिंदुस्तान संवाद में प्रकाशित एक खबर के अनुसार जब सिंह रोशन की पिटाई कर रहा था, तो उसका साथी पुलिसवाला पिटाई का वीडियो बना रहा था. रोशन के चाचा जसवंत को वहां मौजूद लोगों ने बाद में बताया है कि रोशन बार-बार अनूप कुमार से माफी मांग रहा था. रोशन को पीटने के बाद सिंह ने उसकी बात चौकी प्रभारी नितीश भारद्वाज से कराई. चाचा जसवंत ने बताया कि रोशन ने भारद्वाज को बताया था कि उसे पिटाई से बहुत चोट आई है और वह उसका इलाज डॉक्टर से करवा दें. जसवंत ने कहा, “उसने प्रभारी से कहा, ‘मेरा एक हाथ बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा है’ लेकिन उन्होंने मदद करने से इनकार कर दिया और सिंह उसे उसी हाल पर छोड़ कर चला गया.”
इसके बाद उसी गांव के संजय, जो बिजली विभाग में लाइनमैन हैं, और जसवंत के भाई शिशनाथ रोशन को मोटरसाइकिल पर बिठा कर घर ले आए.
फांसी लगाने से पहले रोशन ने तीन ऑडियो रिकार्ड किए. उन ऑडियो को सुनसे से पता चलता है कि सरेआम पिटाई से रोशन बहुत शर्मिंदा और अपमानित महसूस कर रहा था. ऑडियो में रोशन को कहते हुए सुना जा सकता है :
दोस्तो, मेरा नाम रोशन लाल है और मैं बहुत परेशान हूं. मेरी गलती बस इतनी है कि मेरे घर में खाने के लिए नहीं था. फिर मेरी भाभी ने कहा पिसना (आटा) पिसा लाओ. मैं पिसना पिसाने गया. इतनी मेरी गलती है क्योंकि मुझे स्कूल में बैठना चाहिए था. उसके बाद वहां पर एक अनूप नाम का सिपाही आया. उसने पूछा, ‘तेरा नाम रोशन है?’ मैंने कहा, ‘हां जी’. उसने मुझे इतना मारा, इतना मारा, इतना मारा...मेरा दाहिना हाथ भी तोड़ दिया कि काम भी नहीं कर रहा, न तो उंगली काम कर रही है. मैं इतना मजबूर हूं कि कुछ मत पूछो. उसके बाद मेरी नितीश सर से बात कराई जो औरंगाबाद चौकी इंचार्ज हैं. उन्होंने बोला, ‘आपको स्कूल में बैठना चाहिए था.’ मैंने कहा, ‘सर मेरी गलती हो गई प्लीज मेरा इलाज करा दीजिए बाहर डॉक्टर के यहां. वहां तक भिजवा दीजिए.’ उन्होंने मेरी कोई हैल्प नहीं की.
ऑडियो में रोशन ने कहा है कि बाद में गांव के एक लड़के संजय और उसके चाचा ने उसकी मदद की. रोशन ने आगे कहा है कि वह “मजबूर हो कर यह कदम उठा” रहा है.
रिश्ते में रोशन के भाई लगने वाले विनीत गौतम ने मुझे बताया कि अभी तक पुलिस ने उनकी एफआईआर नहीं लिखी है जबकि परिवार ने मामले की शिकायत 31 मार्च को मैंगलगंज थाने में करा दी थी. कारवां के पास उस शिकायत की सोफ्ट कॉपी है. हाथ से लिखी वह शिकायत रोशन के भाई सिपाही लाल के नाम से मैंगलगंज थाने के प्रभारी निरीक्षक को दी गई थी. उस शिकायत में अनूप कुमार सिंह पर रोशन को “पकड़कर मारपीट” करने का आरोप लगाया गया है. शिकायत की कार्बन कॉपी में एक लाइन ऐसी है जिसे देखने पर लगता है कि जानबूझ कर उसके ऊपर कुछ लिख दिया गया है ताकि वह आसानी से समझ में न आए. ध्यान से पढ़ने पर उस लाइन पर लिखा है, “मारपीट (से) उसने अपने आपको काफी अपमानित महसूस किया जिसके बाद वह अपने खेत पर चला गया और व्हाट्सएप ग्रुप में (यह हिस्सा अस्पष्ट है लेकिन “आत्महत्या” शब्द पढ़ा जा सकता है) पुलिस सिपाही अनूप कुमार सिंह के उत्पीड़न के चलते की है.”
विनीत ने बताया कि घटना के बाद गांव में 250 से 300 पुलिसवालों की तैनाती कर दी गई है और “पुलिस जबरदस्ती रोशन का मोबाइल भी छीनना चाहती है जिसमें वे रिकॉर्डिंग मौजूद हैं.”
बड़े भाई बांके लाल ने बताया, “मेरा भाई घर आकर बहुत देर रात रोता रहा. फिर वह कब खेत की ओर निकल गया किसी को पता नहीं चला. वहां उसने अपने मोबाइल पर तीन ऑडियो बनाए और उसे इंटरनेट पर डाल दिया. फिर उसके बाद उसने फांसी लगा ली.” बांके ने बताया कि अनूप कुमार सिंह रोशन की इस कदर बेरहमी से पिटाई कर रहा था कि रोशन चिल्लाने लगा, “मुझे ऐसे मत मारिए, मुझे आप गोली मार दीजिए.” उन्होंने बताया, “पिछले साल हमने अपनी छोटी बहन की शादी की थी और इस साल रोशन की शादी की बात चल रही थी.”
रोशन ने ऑडियो बनाकर उसके गांव में दैनिक जागरण के प्रतिनिधी अंकित त्रिवेदी को भेजा जो पूरे गांव में वायरल हो गया. रोशन के चाचा अनिल लाल ने मुझसे कहा, “हमलोगों को इसकी (ऑडियो) जानकारी बाद में मिली. तब तक यह सब जगह जा चुका था.”
मैंने जब मामले के बारे में जानने के लिए चौकी इंचार्ज नितीश भारद्वाज को फोन किया तो उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया. इसके बाद मैंने थाना प्रभारी चंद्रकांत सिंह से बात की. चंद्रकांत सिंह ने कहा, “हम मामले की जांच कर रहे हैं.” जब मैंने पूछा कि शिकायत मिलने के बाद भी अनूप कुमार सिंह के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई, तो उन्होंने कहा, “वह हम जांच के बाद लिखेंगे. लेकिन उस सिपाही को अभी लाइन हाजिर कर दिया गया है.”
रोशन ने उन तीन ऑडियो में अपने साथ हुई पिटाई के बारे में कहा है, “अगर किसी को भरोसा नहीं है तो मेरी पैंट खोल कर देखी जाए तो सिर्फ खून ही मिलेगा.” जीवन के आखरी वक्त में रोशन को इस बात की भी चिंता थी कि कहीं कोई यह न कह दे कि उसकी मौत कोरोना से हुई है. वह ऑडियो में कह रहा है, “मरने के बाद कोई कह दे कि उसके कोरोनावायरस था तो उसकी मेरी जांच हुई है. मेरा कुछ नहीं है.” इसके साथ ही रोशन को अपनी मां भी चिंता थी जिसके लिए उसने कहा है, “मेरा 80 हजार रुपए पीएनबी अकाउंट में मोहली में जमा है वह मेरी मां को मिलें, 20 हजार रुपए इलाहबाद बैंक में जमा है वो मेरी मां को मिलें, 25 हजार रुपए जो मेरा ठेकेदार के पास है वह मेरी मां को मिलें. ठीक है. और मैं कुछ नहीं कहना चाहता हूं.”
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