“सत्ता के हठ के आगे नहीं झुकेंगे”, कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसानों का ऐलान

28 सितंबर 2020
27 सितंबर को केंद्र सरकार के नए अधिनियमित कृषि बिल के खिलाफ, पंजाब के अमृतसर में किसान समुदाय की महिलाएं रैली में भाग लेते हुए. राज्य के 31 संगठनों ने एक साथ मिलकर एक दिवसीय रेल रोको और एक दिन की आम हड़ताल का आयोजन किया था जिसमें भारी संख्या में लोग शामिल हुए. किसानों की मांग है कि भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार इन बिलों को रद्द करे.
नरिंदर नानू / एएफपी / गैटी इमेजिस
27 सितंबर को केंद्र सरकार के नए अधिनियमित कृषि बिल के खिलाफ, पंजाब के अमृतसर में किसान समुदाय की महिलाएं रैली में भाग लेते हुए. राज्य के 31 संगठनों ने एक साथ मिलकर एक दिवसीय रेल रोको और एक दिन की आम हड़ताल का आयोजन किया था जिसमें भारी संख्या में लोग शामिल हुए. किसानों की मांग है कि भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार इन बिलों को रद्द करे.
नरिंदर नानू / एएफपी / गैटी इमेजिस

“केंद्र सरकार ने ये बिल धक्के (जोर जबर्दस्ती) से पास तो करवा लिए हैं पर इसे हम लागू नहीं होने देंगे.” पंजाब के मालवा क्षेत्र में सक्रिय किसान नेता हरिंदर कौर बिंदू ने 22 सितंबर को मुझसे बात करते हुए दावा किया. उन्होंने आगे कहा, “पंजाब के संघर्षशील संगठनों ने पहले भी सरकार द्वारा पारित बिल वापिस करवाए हैं और इस बार भी हम ऐसा करवाने के लिए जान की बाजी लगा देंगे.”

संसद में 20 और 22 सितंबर को पारित तीन कृषि विधेयकों : कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 के खिलाफ पिछले तीन महीने से चल रहा किसान आंदोलन चरम पर है. जून में केंद्र सरकार इन्हें अध्यादेश के रूप में लाई थी. पंजाब के किसान जून से ही इनका विरोध कर रहे हैं. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी पार्टी अकाली दल समेत तमाम पार्टियों के इन बिलों के विरोध में आने से बीजेपी पंजाब में अकेली रह गई है. किसानों के आंदोलन को खेत मजदूरों, कर्मचारियों, आढ़तियों, डेयरी फार्मर्स, सांस्कृतिक कर्मियों आदि तमाम वर्गों का समर्थन हासिल होने के कारण इस आंदोलन ने एक जन आंदोलन की शक्ल अख्तियार कर लिया है.

अब तक पंजाब के 31 किसान संगठनों ने मिलकर 24 से 26 सितंबर के बीच रेल रोकने, 25 सितंबर को पंजाब बंद व 1 अक्टूबर से अनिश्चित काल तक रेल चक्का जाम करने का ऐलान किया है. आंदोलन से घबराई केंद्र सरकार किसानों को लगातार भरोसा दिलाने में लगी है कि ये कानून किसानों के हित में हैं और किसान अपनी मर्जी से कहीं भी अपनी फसल को बेच सकते हैं एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ कोई छेड़खानी नहीं होगी. मोदी सरकार का कहना है कि कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल किसानों को गुमराह कर रहे हैं. दूसरी तरफ किसान व कृषि विशेषज्ञ इन कानूनों को खेती पर निजी कंपनियों के कब्जे व संघीय ढांचे पर हमले के रूप में देख रहे हैं.

संघर्ष कर रहे किसान संगठनों में भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां), भारतीय किसान यूनियन एकता (डकौंदा), क्रांतिकारी किसान यूनियन, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी, जमहूरी किसान सभा, पंजाब किसान यूनियन, आजाद किसान संघर्ष कमेटी, कुल हिंद किसान सभा, कुल हिंद किसान सभा पंजाब, जय किसान आंदोलन मुख्य तौर पर शामिल हैं. संघर्षरत संगठनों के नेताओं ने बताया कि आने वाले दिनों में वे बीजेपी नेताओं का पूर्ण बहिष्कार करेंगे.

पंजाब के 31 किसान संगठनों के संयोजक डॉ दर्शन पाल ने बताया, “अभी तक हजारों गांवों में लोग नरेन्द्र मोदी व केंद्र सरकार के पुतले फूंक चुके हैं. इन किसान संगठनों में किसी राजनीतिक पार्टी की किसान शाखा शामिल नहीं हैं. राजनीतिक पार्टियां तो 15 दिन पहले अपनी राजनीति चमकाने के लिए तेज हुई हैं जबकि हमारा आंदोलन तीन महीने से भी ज्यादा समय से चल रहा है.”

शिव इंदर सिंह स्वतंत्र पत्रकार और पंजाबी वेबसाइट सूही सवेर के मुख्य संपादक हैं.

Keywords: Punjab Farmers' Protest MSP Farm Bills 2020
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