क्या मिजोरम की कम अपराध दर जबरन माफ करवाने की संस्कृति का नतीजा है?

नवंबर 2003 में मिजोरम में आईजोल की सड़कों पर गश्त लगाते सुरक्षाकर्मी. मिजोरम में अपराधों को लेकर पुलिस की प्रतिक्रिया पर चर्चा करते हुए मिजोरम के कई लोगों ने बताया कि आपराधिक मामलों पर अक्सर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना इस कम आबादी वाले राज्य में दिया जाना चाहिए क्योंकि बलात बिरादरी की संस्कृति कई बार न्याय के रास्ते में आ जाती है. पीटीआई
23 February, 2021

26 अक्टूबर 2020 को एक 24 वर्षीय महिला ने अपने परिवार को बताया कि मिजोरम के सकरावदई शहर के सरकारी चिकित्सक जेएच वनलालनमुमाविया ने उस दिन सुबह उसका बलात्कार करने की कोशिश की थी. महिला के भाई आर लालेंगमाविया ने मुझे बताया कि परिवार ने उस रात सकरावदई पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की थी लेकिन प्रभारी अधिकारी वीएल जावम्लिआना ने अगले दिन तक इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की. जब मैंने जावम्लिआना से देरी के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, “कुछ सुधार किए जाने थे और आरोपियों के माता-पिता रात को ही माफी मांगने के लिए आए थे और उन्होंने हमसे उनका इंतजार करने का अनुरोध किया. इसलिए हमने इसे 27 अक्टूबर को पंजीकृत किया.” लालेंगमाविया ने कहा, "मुझे नहीं पता कि पुलिस क्या करने वाली है लेकिन उसने हमें आरोपी को माफ करने के लिए कहा."

तीन अलग-अलग आपराधिक मामलों में शिकायतकर्ताओं के परिवारों ने मुझे पुलिस के साथ काम के दौरान आने वाली कठिनाइयों के बारे में बताया. तीनों ने कहा कि पुलिस ने उनकी मदद नहीं की जिससे उन्हें जांच पर संदेह हुआ. दो मामलों में परिवारों ने कहा कि उन्होंने अपनी शिकायतों में संज्ञेय अपराधों का उल्लेख किया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पुलिस एफआईआर दर्ज करने से हिचक रही थी जबकि ऐसे मामलों में यह अनिवार्य है. तीसरे मामले में 32 वर्षीय जैकी एन की हत्या के संबंध में उनके परिवार ने मुझे बताया कि उन्होंने पुलिस को बताया कि उनके पास डॉक्टर का पर्चा है जिसमें लिखा है कि उनके साथ मारपीट की गई थी लेकिन अधिकारियों ने उनकी शिकायत में इसे "लड़ाई" लिख दिया.

मिजोरम देश के उन राज्यों में से है जहां अपराध दर सबसे कम है. 2019 में यहां हिंसक अपराध के केवल 163 मामले सामने आए. मिजोरम में अपराधों को लेकर पुलिस की प्रतिक्रिया पर चर्चा करते हुए मिजोरम के कई लोगों ने मुझे बताया कि यहां आपराधिक मामलों पर अक्सर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना दिया जाना चाहिए क्योंकि बलात बिरादरी की संस्कृति कई बार न्याय के रास्ते में आ जाती है.

24 वर्षीय महिला के भाई के मुताबिक इस मामले में भी पुलिस की शुरुआती प्रतिक्रिया इसी बात की तरफ इशारा करती है. वह अपने परिवार के साथ आइजोल के एक पहाड़ी गांव सकरावदाई में रहती है. लालेंगमिया ने मुझे बताया कि वह 26 अक्टूबर को काम के लिसिलसिले में पड़ोसी शहर डार्लोन चली गई थी. वह और उसकी एक सहेली उस रात वनलालनामुमिया के साथ वापिस आ रहे थे, जिसे वह एक अन्य सहयोगी के माध्यम से जानते थे. लालेंगमाविया के अनुसार, उनकी बहन ने कहा कि वनलालनमुमाविया ने पहले उसके दोस्त को छोड़ा और फिर उसे परेशान करना शुरू कर दिया. लालेंगमाविया ने कहा कि उनकी बहन ने उनसे कहा, ''उसने मुझे नशा करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की, मैंने इनकार कर दिया. फिर उसने मुझे छूने की कोशिश की, मैं मना करती रही. वह जबरदस्ती करता रहा.” उन्होंने कहा कि वनलालनमुमिया नशे में था वह कह रहा था कि अगर वह नहीं मानी तो उसे जान से मार देगा.

सकरावदई से लगभग तीन किलोमीटर दूर लालनगामविया के अनुसार, डॉक्टर ने कार को सड़क के किनारे की ओर बढ़ा दिया और उसे एक पेड़ से टकरा दिया. लालेंगमिया ने कहा, "अगर पेड़ नहीं होता तो वे मर जाते." उनकी बहन भागने में कामयाब रही. उन्होंने पास से गुजरती एक कार को रोका और घर तक छोड़ने के लिए कहा.

लालेंगमाविया ने मुझे बताया कि परिवार ने उसी रात सकरावदई पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की, लेकिन उस समय इसे प्राथमिकी के रूप में दर्ज नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि वह अगले दिन पुलिस स्टेशन भी गए क्योंकि पुलिस की तरफ से उन्हें कोई अपडेट नहीं मिला था. उनके अनुसार, जावम्लिआना ने कहा कि मामला दर्ज करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे. लालेंगमाविया ने बताया कि उन्होंने अधिकारी से कहा कि "मैं चाहता हूं कि आरोपियों पर बलात्कार के प्रयास, हत्या के प्रयास और बलपूर्वक नशा कराने के लिए मामला दर्ज किया जाए. लेकिन उन्होंने कहा, 'उसने उस पर उंगली तक नहीं उठाई, इसलिए हम बलात्कार या हत्या का प्रयास का मामला नहीं दर्ज कर सकते. उसने उसे शारीरिक रूप से चोट नहीं पहुंचाई और हत्या के प्रयास का कोई सबूत नहीं है' 'लालनगामविया ने कहा कि जावम्लिआना ने कहा कि वनलनमुमिया ने उनकी बहन को नहीं छुआ क्योंकि उनके कपड़े सही सलामत थे और इसे साबित करने के लिए कोई और सबूत नहीं है."

लालेंगमाविया के अनुसार, जावम्लिआना ने उन्हें मामले को आगे बढ़ाने से रोकने की कोशिश की. अधिकारी ने कहा, "अगर आप इस मामले को आगे बढ़ना चाहते हैं, तो ही हम मामला दर्ज करेंगे. लेकिन भले ही तुम रिपोर्ट दर्ज करवा लो वह जेल नहीं जा सकता है क्योंकि वह एक डॉक्टर है. होगा यह कि चिकित्सा अधिकारी ऐसा प्रमाण पत्र जारी कर दें कि वह जेल जाने के लायक नहीं है और उसे छोड़ दिया जाएगा." लालेंगमाविया ने कहा कि जावम्लिआना ने भी उससे कहा, "और फिर तुम्हें आइज़ोल के चक्कर काटने पड़ेंगे. आपको शहर में अदालत जाते रहना होगा और आपके लिए गांव से लगातार बाहर जाना मुश्किल हो जाएगा.”

उस दिन वनलनमुमिया के माता-पिता भी पुलिस स्टेशन में मौजूद थे. लालेंगमाविया ने कहा, "डॉक्टर के माता-पिता ने इस बात पर जोर देते हुए माफ कर देने को कहा कि प्रभु क्षमा कर देने को कितना महत्व देते हैं. इससे हमें घबराहट हुई. लेकिन मेरी बहन ने कहा कि वह उस घबराहट को अभी भूली नहीं हैं जो उन्हें तब महसूस हुई थी जब उसने छूने की कोशिश की थी और जब वह डर से चीख रही थी, डर के मारे मां को पुकार रही थी. उनसे विनती की, मैं उसे माफ नहीं कर सकती. आप एफआईआर दर्ज करें.'' लालेंगमिया ने मुझे बताया कि पुलिस ने भी वनलनमुमिया को माफ करने के लिए परिवार को समझाने की कोशिश की.

जब मैंने घटना के कुछ हफ्ते बाद लालेंगामविया से बात की, तो उन्होंने कहा, "मेरी बहन सो नहीं पाती है, वह चिल्लाती है और हर बार जब भी इस घटना के बारे में बात करती है तो रोने लगती है." जनवरी 2021 में एक अन्य बातचीत में उन्होंने मुझे बताया कि नौकरी से कुछ दिनों की छुट्टी लेने के बाद उनकी बहन ने फिर से काम पर जाना शुरू कर दिया था.

जावम्लिआना के अनुसार आरोपी को 26 अक्टूबर को हिरासत में लिया गया और अगले दिन गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन लालेंगमिया ने कहा कि वह क्रिसमस से पहले जमानत पर रिहा हो गया. "हमें जमानत के बारे में पता नहीं था और जब तक हमें पता चला, कार्रवाई करने में देर हो गई थी," उन्होंने कहा. वनलालनमविया को जमानत पर रिहा किए जाने को लेकर पुलिस कोई पुष्टि नहीं कर सकी. जब मैंने आरोपी से पूछा, तो उसने कहा, "यह नवंबर के आसपास की बात होगी." वनलालनमविया ने मुझे बताया कि उनके वकीलों ने उन्हें इस मामले पर टिप्पणी करने की अनुमति नहीं दी है. जब मैंने उनसे उनके माता-पिता की माफी के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, " केवल मेरे माता-पिता ने ऐसा किया होगा मैंने कोई माफी नहीं मांगी है. मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्या कहा. मेरे माता-पिता शुरुआत में तथ्यों को नहीं जानते थे.”

जावम्लिआना के प्रभारी अधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने 24 वर्षीय महिला से समझौता करने के लिए कहा था. उन्होंने कहा, "आरोपी के माता-पिता माफी मांगने आए थे और यहां तक कि पीड़ित पक्ष ने भी जवाब दिया था कि वह मामले को लेकर समझौता कर सकते हैं." हालांकि, अधिकारी ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने आरोपी के परिवार को माफी मांगने का मौका देने तक उन्होंने एफआईआर दर्ज नहीं की. उन्होंने कहा कि वनलालनमविया पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें महिला के शील को अपमानित करने के इरादे से उसके प्रति संज्ञेय अपराध-हमला या आपराधिक बल प्रयोग और अपहरण करने तथा महिला को शादी के लिए मजबूर करना शामिल है.

कई मिजो लोगों ने एफआईआर दर्ज करने के बजाय मामले को "निपटाने" के चलन के बारे में मुझसे बात की. संचालित बाल कल्याण समिति के अधिकारी रह चुके एक सामाजिक कार्यकर्ता और रूतफेला नू के नाम से पहचाने जाने वाले वनरामचुआंगी ने मुझे बताया कि न्याय पाने की प्रक्रिया बहुत लंबी है और कई बार अधूरा ही मिल पाता है, जिसके कारण "लोग खुद ही मामला निपटा लेना पसंद करते हैं." बैंगलोर की क्राइस्ट यूनिवर्सिटी की एक प्रोफेसर एमी लॉबेबी ने कहा, "पुलिस कानून लागू करने वाली हो सकती है, लेकिन मेरा मानना है कि वे मिजो पहले हैं और पीड़ित की प्रतिष्ठा की रक्षा करना या मिजो समाज की प्रतिष्ठा उनके लिए बहुत बड़ा लक्ष्य है. इसलिए, वे पीड़ितों को प्रोत्साहित करते हैं कि सब के सामने मामला खुल जाने से बेहतर आपस में ही निपटारा कर लें." यह विचार न्याय प्रक्रिया को लेकर नागरिकों के बीच एक निश्चित अविश्वास की ओर इशारा करते हैं.

यह अविश्वास जैकी की मौत के मामले में भी सामने आया था. अक्टूबर 2020 के अंत में, मैं सात लोगों के उनके परिवार से मिला, जो आइजोल में डैम वेंग इलाके में एक छोटे से घर में रहते हैं. मूल रूप से मणिपुरी परिवार एक छोटी सी दुकान चलाता है और जैकी के अलावा, जो एक तकनीकी इंजीनियर थे, केवल उनकी सबसे छोटी बहन पढ़ना और लिखना जानती है. उनके भाई, बिपेंदा एन ने मुझे बताया कि 23 सितंबर की रात जैकी अपने पड़ोसी जोरिनखाना की जन्मदिन पार्टी में शामिल होने गए थे. पार्टी जहां आयोजित की गई थी स्थानीय स्तर पर उसे "पिकनिक स्पॉट" के रूप में जाना जाता है जो शहर से कुछ किलोमीटर दूर है, वहां एक स्विमिंग पूल है और रहने तथा बनाने-खाने के लिए एक हॉल और रसोईघर भी है.

जैकी की मां नेह्मा ने मुझे बताया कि उनके दोस्त उस रात उन्हें एक कार में छोड़ने आए थे. नेह्मा ने बताया कि जैकी के दोस्तों ने उन्हें बताया कि घर लौटते वक्त रास्ते में जैकी के साथ एक दुर्घटना हो गई थी. जैकी की मां को उनके शारीर पर कोई चोटनजर नहीं आई. उन्होंने बताया कि उन्हें लगा कि यह एक मामूली दुर्घटना है और जैकी को बिस्तर पर लेटा दिया.

नेह्मा ने बताया कि अगले दिन सुबह जैकी को खून की उल्टी होने लगी, उसे दिशा का कोई बोध नहीं था और वह ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था. उनके अनुसार, परिवार ने उनके बैग की जांच की जिसमें उन्हें सिविल अस्पताल आइजॉल में कराई गई जांच का एक पर्चा मिला. परिवार ने वह पर्चा मुझे दिखाया, जिसमे साफ-साफ लिखा गया था कि , "आज शाम लगभग 5 बजे हमला हुआ." इसमें यह भी दर्ज था की "नाक से खून बह रहा है" और "माथे पर सूजन" है. परिजन उसे अस्पताल ले गए, जहां उन्हें प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कहा गया. जैकी की सबसे छोटी बहन और उनके पिता शिकायत दर्ज कराने के लिए कुलिकॉन पुलिस स्टेशन गए. नेह्मा के अनुसार, जब परिवार ने "हमला" लिखवाने की कोशिश की, जैसा पर्चे में लिखा था, तो पुलिस ने उन्हें रोका और जोर देकर कहा कि वे इसके बजाय लिखें कि आपसी लड़ाई में ऐसा हुआ था.

जैकी की मां ने मुझे बताया कि अस्पताल पहुंचने और जरूरी जांच कराने से पहले ही उन्हें मस्तिष्क में गंभीर चोट लगने के इशारे मिल रहे थे. वह अपने परिवार के साथ इस बारे में बात करने में असमर्थ था कि उसके साथ क्या हुआ. तीन दिन बाद उसकी मौत हो गई.

नेह्मा ने मुझे कई व्यक्तियों के बारे में बताया, जो घटना के दौरान पिकनिक स्थल पर थे और एक व्यक्ति, एफ लालरेमसंगा को हमले के लिए दोषी ठहराया. नेह्मा ने कहा कि उन्होंने उसे बताया कि जैकी पार्टी में लड़ाई को सुलझाने की कोशिश कर रहा था, इस दौरान लालरेमसंगा ने जैकी को मारा और वह गिर गया और उसका सिर एक टाइल से टकराया. पुलिस ने लालरेमसंगा को गिरफ्तार कर लिया. जमानत पर छूटने के बाद मैंने 26 अक्टूबर को उनके घर का दौरा किया, लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया.

जैकी की मौत की इस कहानी को उनका परिवार स्वीकार नहीं करता. पहले तो इसलिए कि पुलिस ने उन्हें इस घटना को एक हमले के रूप में दर्ज नहीं करने दिया. दूसरे, परिवार ने मुझे बताया कि परामर्श करने वाले दो डॉक्टरों में से एक ने उन्हें बताया था कि इसकी संभावना नहीं कि केवल एक व्यक्ति ने उसे पीटा. जनवरी 2021 में जब उन्होंने मुझे इस बारे में बताया, तो वे डॉक्टर का नाम याद नहीं कर सके. मैंने इस टिप्पणी के बारे में दो डॉक्टरों में से एक से बात की. डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर मुझसे कहा, “इस बात की भी संभावना है कि एक व्यक्ति ने उसे मारा, वह गिर गया और गंभीर रूप से घायल हो गया. लेकिन हमने यह घटना खुद नहीं देखी और सिर की चोट काफी गंभीर थी, तो मेरा मानना था कि यह किसी सामान्य से मुक्के का तो नतीजा नहीं था.” दूसरे डॉक्टर ने कोई जवाब नहीं दिया. परिवार ने यह भी सोचा कि पुलिस ने जानबूझकर एक गवाही को नजरअंदाज कर दिया है, जो लालवेमसंगा के जैकी पर हमला करने की कहानी पर सवाल उठाती है.

पॉल लालवेनसांगा लगभग 30 साल के हैं और उन 30 लोगों में शामिल थे जो पार्टी में मौजूद थे. लालवेनसांगा ने हमले की गवाही नहीं दी, लेकिन उन्होंने कहा कि पार्टी के एक हिंसक समूह ने उस पर हमला किया और जैकी पर भी हमला कर सकता था. मैं अक्टूबर 2020 के आखिर में उनके घर गया था. उनके चेहरे पर चोटें दिखाई दे रही थीं. उन्होंने कहा कि पार्टी के दौरान, "मैं और मेरी प्रेमिका तैर रहे थे, और शाम को लगभग 5 बजे हम खाना खाने की तैयारी कर रहे थे जब हमने जैकी को फर्श पर पड़ा देखा." उन्होंने कहा कि उन्होंने तकरीबन तीन-चार लोगों को, जिन्हें वह नहीं पहचानते थे, लड़ते हुए देखा. “जब मैं वहां गया तो मैंने उन्हें लड़ने से रोकने के लिए कहा और चार लोगों ने मिलकर मेरे साथ मारपीट की. इसके परिणामस्वरूप मेरा जबड़ा टूट गया,” उन्होंने मुझे बताया. "मेरी प्रेमिका ने मुझे रोकने की कोशिश की और उन्होंने उसे भी मारा." लालवेनसांगा ने कहा कि तब, जैकी को खून की उल्टी शुरू हो गई थी. लालवेनसांगा और जोरिंचा ने मुझे बताया कि इसके बाद पार्टी से ही लगभग चार लोग उसे अस्पताल ले गए और फिर उसे घर ले गए.

लालवेनसांगा ने कहा कि उपस्थित लोगों के एक समूह जिसमें जोरिंचा भी शामिल था, ने उसे पुलिस को झूठी गवाही देने के लिए कहा और लालवेनसांगा को भी दोषी ठहराया. इसमें जोरिंचा और उनकी प्रेमिका एलीसन शामिल थे, जो लालवेनसांगा की भतीजी भी है. केस के बारे में लालवेनसांगा को एलीसन का फोन आया. ऑडियो में, एलीसन उन्हें अपनी गवाही बदलने के लिए नहीं कहती है, लेकिन यह कहते हुए सुनी जा सकती है, "यह उनकी टोली है, और वे कह सकते हैं कि तुम हमारी लड़ाई में क्यों घुसे... मैं तुमसे बस यह कह रही हूं कि पुलिस तुम पर आरोप लगाने वाली है. एलिसन को यह भी कहते सुना जा सकता है कि उसे "बीच में नहीं पड़ना चाहिए था."

लालवेनसांगा ने फोन कॉल रिकॉर्ड किया और इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया. लालवेनसांगा ने कहा, "जब मैंने पुलिस को कॉल रिकॉर्ड सुनने और अपनी चोट की तस्वीरें दिखाने की कोशिश की, तो उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं देते हुए कहा कि 'यह आवश्यक नहीं है.'" मिजोरम बास्केटबॉलर्स एसोसिएशन जिसका सदस्य जैकी भी था, के एक संयोजक आर दार्लियासंगा ने बताया कि पुलिस का लालसेंसांगा के बयान पर ध्यान न देना संदेहजनक था. उन्होंने कहा, "यह एकदम साफ था जैकी पर हमला होना और जमीन पर गिरने के बाद उसकी मौत होना, लाखों मामलों में से कोई एक संभावना थी."

30 अक्टूबर 2020 को मैं लालकृष्णम्मा हंमटे से मिला, जो कुलिकॉवन पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी थे. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने जैकी पर हमला किया, यह कहानी सिर्फ मान्यता के आधार पर टिकी है. उन्होंने परिवार को हमला शब्द लिखने से रोकने के बात से भी इनकार कर दिया. फिर मामला मैमिट जिले में वेस्ट फेलेंग पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां यह घटना हुई थी.

जनवरी 2021 में पश्चिम फेलेंग स्टेशन के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी बीके सिंह ने मुझे बताया कि मामला उनके अधिकार क्षेत्र को सौंप दिए जाने के बाद, "हमने मामले को मजबूत करने के लिए कुछ अन्य सबूत एकत्र किए." उन्होंने कहा कि पुलिस ने नौ चश्मदीद गवाहों की फिर से जांच की लेकिन लालवेनसांगा की ऑडियो रिकॉर्डिंग के मजबूत सबूत नहीं मिले. इसके अलावा ज़ोरिंचा ने लालवेनसांगा को झूठी गवाही देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि जब उन्हें जैकी मिला तो ऐसा नहीं लगा कि उसे गंभीर चोट आई थी, बल्कि एहतियात के तौर पर उसे अस्पताल ले जाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि उनके एक दोस्त ने नेह्मा को बताया कि दुर्घटना की वजह से वह खुद बोहोत घबराया हुआ था लेकिन जैकी उस समय ठीक लग रहा था.

आंशिक रूप से पुलिस की शिकायत को लेकर प्रारंभिक प्रतिक्रिया और कुलिकेवन पुलिस द्वारा लालवेनसांगा की रिकॉर्डिंग पर विचार करने से इनकार कर देने के कारण परिवार अब तक कि गई जांच से संतुष्ट नहीं है. जैकी की बहनों में से एक एन चानचन ने जनवरी 2021 में मुझसे कहा, "हम निराश हो गए हैं और मामले के सकारात्मक परिणाम की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है."

ऐसे मामले में शिकायतकर्ता का अनुभव उनकी सामाजिक स्थिति से भी तय किया जा सकता है. रुएतफेला नू ने मुझसे कहा, "मेरी एक कार्यकर्ता के रूप में मेरी अपनी एक पहचान है, वे मेरी शिकायतों पर ध्यान देते हैं लेकिन पुलिस को आम जनता पर उतना ही ध्यान देना चाहिए जितना वे उन लोगों को देते हैं जिनकी समाज में कोई पहचान है या जिनके पास पैसा है." एक स्थानीय पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बात करते हुए कहा कि राज्य की कम जनसंख्या के कारण "जब किसी मामले में लोगों का समूह शामिल होता है तो इस बात की संभावना अधिक होती है कि उस समूह के कम से कम एक व्यक्ति की अधिकारियों तक पहुंच है." उन्होंने कहा, यह केस के फैसले को प्रभावित कर सकता है. विजुअल स्टडीज में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रहे मिजोरम के एक कलाकार बाजिक थलाना ने मुझे बताया कि मीडिया राज्य में अपराधों को ज्यादा कवर नहीं करता है. उन्होंने कहा, "आम जनता को खबर नहीं दी जाती है और ज्यादातर अपराधों के बारे में तब तक जानकारी नहीं दी जाती है जब तक कि इसमें विवादास्पद कहानियां या कोई दुर्लभ मामला न हो."

मिजोरम में दो साल पहले एक संपत्तिशाली परिवार से जुड़े आरोपी के मामले में पुलिस द्वारा दिखाई निष्क्रियता को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए थे. 8 सितंबर 2018 की रात को एक 24 साल का युवा और उसके कुछ दोस्त उसके बड़े भाई जोमिंग्लिआना को जन्मदिन की पार्टी देने के लिए आइजोल में लिरिक्स कराओके लाउंज में इकट्ठा हुए थे. जोमिंग्लिआना के मित्र, स्टीफन लालहिम्थंगा वहां मौजूद थे. उन्होंने मुझे बताया कि दो बार मिजोरम के मुख्यमंत्री रह चुके थेपुइंगा सेलो के पोते, जोडिनलियाना सेलो की शादी की पार्टी के लिए लाउंज में कुछ और लोग भी इकठ्ठा हुए थे. उनकी शादी उस साल 5 अक्टूबर को होने वाली थी.

लालहिम्थंगा ने मुझे बताया कि किसी तरह दोनों समूह उस रात झगड़े में पड़ गए, जिससे दोनों समूहों के लोग घायल हो गए. उनके अनुसार, उनके समूह में घायल लोगों को तब अस्पताल ले जाया गया था. 24 साल के युवा की दिनांक 10 सितंबर 2018 को ऐजावल पुलिस स्टेशन में दर्ज एक शिकायत में उस रात के बारे में विस्तार से बताया गया. मामले में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, उन्होंने लिखा कि वह लालबुआया शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के बाहर इंतजार कर रहा था जब जोडिनलियाना और उसका एक दोस्त अपनी कार में वहां पहुंचे. प्राथमिकी के अनुसार दो लोगों ने 24 वर्षीय व्यक्ति को बताया कि उनका एक दोस्त कहीं उनका इंतजार कर रहा था और उसे कार में बैठने के लिए कहा.

शिकायतकर्ता ने कहा कि वर्ल्ड बैंक रोड पर जम्पुइमंगा के पास पहुंचने पर जोडिनलियाना और उसके दोस्त ने 24 वर्षीय व्यक्ति को अपने कपड़े उतारने के लिए कहा और बात न मानने पर उसे मारने की धमकी दी. एफआईआर के अनुसार 24 वर्षीय ने शिकायत में लिखा था, "शायद उस वक्त सुबह के लगभग 4 बजे थे और वहां कोई भी ऐसा नहीं था जिसे मैं मदद के लिए बुला सकूं, इसलिए मैंने उनकी बात मान ली." जब वे जम्पुइमंगा के पास पहुंचे तो उन्होंने कार रोक दी और नीचे उतर गए. “जब मैंने अपने कपड़े उतार दिए, तब उन्होंने मेरा बॉक्सर उतार दिया और मेरे नग्न शरीर की तस्वीर ली. मुझे सड़क पर अपने हाथों के बल झुकने के लिए मजबूर किया गया और जब मैंने विरोध करने की कोशिश की तो एक टूटी हुई बीयर की बोतल दिखाकर मुझे धमकी दी.”

24 वर्षीय युवा की प्राथमिकी के अनुसार आरोपी जोडिनलियाना ने उसके साथ बलात्कार करने का प्रयास किया. उसे जबरदस्ती रेलिंग पर झुका दिया गया, जबकि जोडिनलियाना ने अपनी पैंट उतार दी थी लेकिन उसके दोस्त ने उसे रोक दिया. उन्होंने आगे लिखा है कि आरोपियों ने इसके बाद बीयर की बोतलें सड़क पर फेंक दीं और युवक को उन पर पलटियां खाने के लिए मजबूर किया. "जब मैं पलटी खा रहा था, तब उन्होंने मुझे पैर से उठा कर रेलिंग के ऊपर फेंक दिया, जहां मैंने बेहोश हो गया और बीयर के छींटे पड़ने के बाद होश में आया." एफआईआर में दर्ज 24 वर्षीय युवा की शिकायत के अनुसार आरोपी ने उसे कार में बैठाया और उन लोगों के बारे में जानकारी मांगी, जो उस दिन पहले हुई लड़ाई में शामिल थे. 24 वर्षीय ने लिखा कि फिर उन्होंने उसे वहां छोड़ दिया.

24 वर्षीय युवा के परिवार ने कहा कि शिकायत एक संज्ञेय अपराध होने के बावजूद पुलिस ने दो सप्ताह से अधिक समय तक मामला दर्ज नहीं किया. 24 वर्षीय व्यक्ति की चाची जैरमज़ुअली इस मामले को आगे बढ़ा रही हैं. उन्होंने मुझे शिकायत को लेकर पुलिस की प्रतिक्रिया के बारे में बताया. जैरमज़ुअली ने कहा कि 12 सितंबर को एक कांस्टेबल जगह की पुष्टि करने के लिए आरोपी और 24 वर्षीय युवक को कार में उसी स्थान पर ले गया जहां यौन उत्पीड़न किया गया था. "हमने पुलिस से विनती की कि वह मेरे भतीजे को जोडीनीलियाना के साथ उसी कार में न ले जाए, क्योंकि वह उस घटना के बाद डर के मारे कांप रहा था, लेकिन उन्होंने नहीं सुना. पुलिस ने उस समय भी ध्यान नहीं दिया जब उसने मौके पर सबूत के रूप में एक टूटी हुई बोतल की तरफ इशारा करने की कोशिश की. इसके बजाय प्रभारी अधिकारी एक पेड़ से पुताई की फलियां तोड़ने पर ध्यान दे रहे थे. ”

एक दिन बाद जैरमज़ुअली ने मुझे बताया कि उसने पुलिस स्टेशन में पूछताछ की कि क्या एफआईआर दर्ज की गई थी. उन्होंने बताया, कि पुलिस ने जवाब दिया, "दोनों पक्षों को मामले को पारंपरिक मिजो तरीके से सुलझाना चाहिए और आपस में समझौता करना चाहिए." 24 वर्षीय युवा की मां ललथनजुअलि ने मुझसे कहा, "वे त तो हमें मामले को लेकर पीछे हटने की कोशिश कर रहे थे या दूसरी पार्टी के साथ समझौता कराने की कोशिश कर रहे थे."

27 सितंबर को लालथानज़ुअली और जैरमज़ुअली ने आइजोल के पुलिस अधीक्षक बिजेंद्र कुमार से संपर्क किया. जैरमज़ुअली ने मुझे बताया कि उन्होंने मामले पर तुरंत कार्रवाई की और अगले दिन आइजोल पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई. उन्होंने कहा कि आरोपियों पर आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया, जिनमें गलत ढंग से ताकत दिखाने, गलत तरीके से कैद करने, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने और आपराधिक धमकी देने की सजा शामिल हैं. लेकिन यौन उत्पीड़न से संबंधित धाराएं स्पष्ट रूप से प्राथमिकी से गायब थीं. लालथानज़ुअली ने कहा, "हम चैन से नहीं बैठ सके, उसमें हमारी मुख्य शिकायत से संबंधित कुछ भी नहीं था." जैरमज़ुअली ने मुझे बताया कि क्योंकि एफआईआर दर्ज करने में देरी हो गई थी, इसलिए मामले में बहुत कम ही सबूत बचे थे.

उस साल नवंबर के मध्य में यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया और वायरल हो गया. उस महीने सैकड़ों लोगों ने पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए नारे लगाए. 24 वर्षीय युवा के परिवार का मानना था कि विरोध के बाद पुलिस कार्रवाई में जुट गई. जैरेमज़ुअली के अनुसार 28 जनवरी 2019 को आपराधिक साजिश की सजा से संबंधित धाराएं और सार्वजनिक रूप से अश्लील हरकतें या शब्दों का इस्तेमाल एफआईआर में जोड़ा गया.

अधीक्षक कार्यालय में एक अधिकारी, जिसने गुमनाम रहने का अनुरोध करते हुए कहा कि मामले को लेकर पुलिस की प्रतिक्रिया के बारे में एक विभागीय जांच की गई थी. अधिकारी ने मुझे बताया कि शिकायत दर्ज होने पर दो अधिकारी जो पुलिस स्टेशन में थे, उन्हें एफआईआर दर्ज करने में देरी के लिए "बड़ी सजा" दी गई. जुलाई 2020 में मैं मामले पर पुलिस की प्रतिक्रिया जानने के लिए तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एलएच शानलियाना से मिलने गया. उन्होंने कहा, "मैं कोरोना से संबंधित मामलों से निपटने में व्यस्त हूं छोटे-मोटे मामलों पर टिप्पणी के लिए समय नहीं है." मैंने इस मामले में पुलिस की प्रतिक्रिया के बारे में आइजोल के एसपी सी. लालरुआ को भी प्रश्न भेजे. अगर वह जवाब देते हैं तो रिपोर्ट आगे अपडेट की जाएगी.

जोडीनीलियाना ने लाउंज में हुई लड़ाई के बारे में 10 अक्टूबर 2018 को आइजोल पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की. उन्होंने 24 वर्षीय युवा के दोस्तों के अनुचित व्यवहार और उनपर "रॉड और डंडों से" गंभीर रूप से घायल करने का आरोप लगाया. इसके अलावा उन्होंने लिखा, "उन्होंने उसकाा नाम बदनाम किया. मैंने 5 अक्टूबर 2018 को शादी की और शादी से पहले मैं बहुत व्यस्त था और वाईएमए और जेएसी (यंग मिजो एसोसिएशन और ज्वाइंट एक्शन कमिटी)ने इस मामले में एक समझौता करने की अपील की, जिसके चलते मैंने इस प्राथमिकी को दर्ज करने में देरी की.” वाईएमए मिजोरम में एक स्वैच्छिक संगठन है जिसके राज्य में लगभग हर घर में सदस्य हैं. जेएसी एक सामाजिक संगठन है.

प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 325 और 34 के तहत 24 साल के युवा को स्वेच्छा से किसी को गंभीर चोट पहुंचाने और तय इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कृत्यों में दर्ज किया गया था. मैंने जोडीनीलियाना को उसके और उसके खिलाफ दायर मामले पर राय जाननी चाही, लेकिन उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, "मैं वास्तव में इसके बारे में बात करना चाहता हूं, लेकिन कुछ सीमाएं हैं. मैं अपने अच्छे-खासे चल रहे मामले को खराब नहीं करना चाहता. चूंकि मामला अभी चल ही रहा है, मुझे डर है कि मैं इसे गड़बड़ कर दूंगा."

जनवरी 2021 में ललथनज़ुअली ने मुझे बताया कि यह मामला अभी अदालत में है और अगली सुनवाई 3 फरवरी को है. अभी क्रॉस-एक्सामिनेशन चल रहा है. और इसमें बहुत समय लग रहा है. ललथनजुअलि ने आगे कहा कि परिवार को अप्रैल या मई 2019 के आस-पास अपने रेस्तरां को बंद करना पड़ा क्योंकि 24 वर्षीय युवा और उसका भाई अब इसे चला नहीं पा रहे थे. उन्होंने कहा, "उसकी हालत ही नहीं थी, वह बहुत अधिक दर्द में था. इसके अलावा, इस घटना का हम सभी पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा, बड़े भाई पर भी पड़ा. जब भी रेस्तरां में उन्हें कोई नया चेहरा दिखता, उन्हें संदेह होने लगता था कि क्या उनकी जासूसी हो रही है. मैं कई दुकानों में जाकर पान के पत्ते देती हूं, मैं उसे अपने साथ ले जाता हूं. मुझे उसे अपने पास रखना होगा. ”

उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंतित थी. "वह अच्छी तरह से नहीं खा रहा था और घटना के बाद बुखार से बहुत कमजोर हो गया था." ललथनजुआली ने मुझे बताया कि दिसंबर 2018 में लगभग दस दिनों के लिए उसे एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने कहा, "एक बार उसने मुझे बताया कि वह अब और जीना नहीं चाहता. हमें डर है कि कहीं वह कोई सख्त कदम न उठा ले." लालथानुज़ुली ने कहा कि पिछले साल महामारी के कारण मामले की सुनवाई में देरी हुई थी, जिसने फिर से उनके बेटे को बेचैन कर दिया. उन्होंने आगे बताया, "लेकिन मैंने उससे कहा कि लोग हमारा समर्थन कर रहे हैं, व्हाट्सएप और फेसबुक पर समूह हैं जो अभी भी हमारे लिखे खड़े हैं, यह खत्म नहीं होगा. नवंबर में उसकी हालत और खराब हो गई. उसका शरीर अकड़ गया, उसने कहा कि उसे दर्द नहीं हो रहा लेकिन वह चल-फिर नहीं सका. हमने उसके शरीर की तब तक मालिश की जब तक वह फिर से चलने नहीं लगा. उसने मुझे बताया कि वह किसी मनोवैज्ञानिक से मिलना चाहता है, लेकिन हम महामारी के कारण इस बार में ज्यादा कुछ नहीं कर सके. "

जिन भी मिजो वासियों से मैंने बात की उन्होंने शिकायतकर्ता और अभियुक्तों की सामाजिक स्थिति के अलावा यह भी कहा कि राज्य की संस्कृति न्याय प्रणाली को भारी प्रभावित करती है. 9 जनवरी 2015 को आइजॉल में एक भीषण सामूहिक हत्याकांड हुआ. लल्लनचुआहुआ नाम के एक 37 वर्षीय व्यक्ति ने एक परिवार के पांच सदस्यों को मार डाला जिसमें एक छह साल का बच्चा भी था. नवंबर 2020 में अभियुक्त को दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. पीड़ितों में से एक के बेटे, ललियारतपुइया ने कहा कि परिवार को आरोपियों के लिए मौत की सजा की उम्मीद थी. लेकिन आइजॉल की एक सत्र अदालत ने अपने आदेश में कहा, “यह अदालत मृतक पीड़ितों के अलावा एक और जीवन को खत्म करने में संकोच करती है, क्योंकि यह बाइबिल के विचार से अनैतिक लगता है. केवल सर्वशक्तिमान ही आत्मा को जन्म दे सकता है.”

ललियारतपुइया ने कहा कि यह आदेश उनके परिवार के साथ "न्याय नहीं करता." उन्होंने कहा, "मुझे यह बहुत अजीब लगा कि एक व्यक्ति का निजी धर्म, अदालत के फैसले में कैसे जगह पा लेता है. मुझे उम्मीद है कि धर्म, धर्म होगा और कानून, कानून होगा. निर्णय लेने में हमारे धर्म और समाज के दबाव को शामिल किया गया लगता है.” उन्होंने आगे कहा, "अगर यह मिजोरम के अलावा कहीं और ऐसे हुआ होता तो मुझे विश्वास है कि न्यायाधीश ने मौत की सजा सुनाई होती."

बाकियों की तरह ही थलाना ने भी कहा कि राज्य में "क्षमा कर देने और भूल जाने" के सिद्धांतों को हद से ज्यादा बढाया गया है. थलाना ने मुझसे कहा, "'क्षमा कर देने और भूल जाने’ का यह संदेश, जो ईसाई नैतिकता का एक और तर्कसंगत रूप है, राज्य में हुई जवाबी कार्यवाही के बाद हमारे कई गीतों में गूंज उठा, जो गिरे हुए को उठाने और आगे बढ़ने का आग्रह करता है. हालांकि सुनने में तो यह बहुत अच्छा लगता है लेकिन अन्याय के लिए लंबे समय तक रास्ता खोल देता है."