लुधियाना के विधायक सिमरजीत सिंह बैंस पर कोविड नियमों का उल्लंघन करने का मामला दर्ज

संजीव शर्मा/ हिंदुस्तान टाइम्स/ गैजी इमेजिस

पंजाब पुलिस ने अगस्त और सितंबर में राज्य विधानसभा के सदस्य सिमरजीत सिंह बैंस के खिलाफ कम से कम तीन प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की है. बैंस लुधियाना के आत्म नगर विधानसभा सीट से विधायक हैं और लोक इंसाफ पार्टी के संस्थापक है. दो प्राथमिकियों में आरोप है कि सिमरजीत द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शनों में उनकी पार्टी के सदस्यों ने वैश्विक कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन किया था. पुलिस के मुताबिक, एक विरोध प्रदर्शन में चार पुलिस कर्मियों के साथ मारपीट हुई. तीसरी एफआईआर, लुधियाना में दायर की गई है जिसमें सिमरजीत पर लोगों को कोविड-19 प्रतिबंधों की अवज्ञा करने के लिए उकसाने करने का आरोप है. लुधियाना में 22 सितंबर तक नोवेल कोरोनोवायरस के कुल 16599 पुष्ट मामले थे जो पंजाब के सभी जिलों में सबसे अधिक हैं. 

विधायक पर तीन प्राथमिकियों में भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था जिसमें धारा 188, 269 और 505 शामिल हैं, जो क्रमश: लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा, लापरवाही के कारण किसी बीमारी के संक्रमण फैलने की संभावना, जिसके चलते जीवन को खतरा हो और बयानों के जरिए लोक अशांति फैलाने से संबंधित है.

सिमरजीत के राजनीतिक करियर में एफआईआर शायद ही कोई नई बात है. 2012 और 2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करने के लिए उन्होंने जो हलफनामा सौंपा था, उसमें सिमरजीत ने उल्लेख किया था कि उनके खिलाफ छह मामले लंबित थे. 2019 लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने जो हलफनामा पेश किया, उसके मुताबिक उनके खिलाफ आठ आपराधिक मामले लंबित थे. जिनमें आईपीसी की 23 धाराओं के तहत उन पर मुकदमा दर्ज किया गया था, जिनमें चोरी, डकैती, घर कब्जाने और दंगा-फसाद फैलाना जैसे अपराध शामिल थे. उदाहरण के लिए, कई एफआईआर में कुछ आरोपों को दर्ज किया गया है जैसे विधायक की हत्या के दो बार प्रयास करना, आपराधिक धमकी के लिए तीन बार और चार बार किसी लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला करना और आपराधिक बल का उपयोग करना. सिमरजीत ने हलफनामे में दावा किया कि सभी छह मामले झूठे हैं.

एक दशक से भी अधिक समय से सिमरजीत को कानून हाथों में लेने के कई आरोपों का सामना करना पड़ा है. कई मौकों पर उन्होंने अपने कथित दुर्व्यवहारों को भ्रष्टाचार के खिलाफ सीधे मोर्चा लेना बताया है. उनके खिलाफ कई आरोपों के बावजूद सिमरजीत दो बार विधायक चुने गए.

सिमरजीत के खिलाफ सबसे प्रसिद्ध आरोप एक दशक से भी पहले का है, जब वह शिरोमणि अकाली दल के सदस्य थे, जिसने 2007 से 2017 के बीच राज्य पर शासन किया था. एक लोक सेवक ने जो एसएडी के कार्यकाल में कथित तौर पर भ्रष्टाचार घोटाले का व्हिसल-ब्लोअर था, सिमरजीत पर हमला करने का आरोप लगाया गया था.

मई 2009 में द ट्रिब्यून ने बताया कि “सात लोगों ने कथित रूप से राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले करोड़ों के नकली स्टाम्प पेपर बेचे. यह घोटाला तब सामने आया जब सब-रजिस्ट्रार (केंद्रीय) मेजर गुरिंदर सिंह बेनीपाल ने पाया कि एक निजी पार्टी द्वारा उन्हें सौंपे गए 45000 रुपए के स्टांप पेपर महज रंगीन फोटो कॉपी थे.” अखबार ने बताया कि इस मामले में सात संदिग्धों में से दो “बाप-बेटे अकाली दल के नेता” भी हैं.

अगले महीने सिमरजीत और उनके साथी एसएडी सदस्य कमलजीत सिंह करवाल जो अब कांग्रेस पार्टी में हैं और उनके समर्थकों ने कथित तौर पर भारतीय सेना में एक तहसीलदार और एक सेवानिवृत्त अधिकारी बेनीपाल के साथ मारपीट की. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है, “चाकू, लोहे की रॉड और हॉकी स्टिक से उसके साथ मारपीट करने और उसके कपड़े फाड़ने के अलावा आरोपियों ने भागने से पहले उसकी लाइसेंसी रिवॉल्वर भी छीन ली थी.”

मोहाली के जिला राजस्व अधिकारी 55 वर्षीय बेनीपाल ने माना कि अकाली दल के शासन के दौरान नकली स्टैंप-पेपर घोटाले को उजागर करने के लिए उन पर हमला किया गया था. जब सितंबर 2020 में मैंने उनसे इस बारे में बात की तब भी इस घटना को लेकर उत्तेजित थे. उन्होंने कहा, “मुझे अब भी अपमान और लगभग मरने जैसी हालत याद हैं, बैंस के साथियों ने मुझे अस्पताल ले जाने के लिए तत्कालीन एसएसपी और डिप्टी कमिश्नर सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी इजाजत नहीं दी.”

सिमरजीत के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो हत्या के प्रयास, दंगा, घातक हथियार रखने और आपराधिक साजिश से संबंधित हैं. इस साल सिमरजीत ने मुझसे बातचीत के दौरान दावा किया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो ने उन्हें मामले में क्लीन चिट दे दी है. उन्होंने कहा कि वह सीबीआई रिपोर्ट की प्रति मुझे दे देंगे, लेकिन प्रति रिपोर्ट प्रकाशित होने तक उन्होंने नहीं दी गई थी. यह मामला वर्तमान में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में लंबित है. इससे सिमरजीत और लुधियाना से विधायक उनके बड़े भाई बलविंदर बैंस का चुनावी नुकसान होता नहीं दिखता. बलविंदर पहले एसएडी के सदस्य भी थे. बैंस बंधुओं ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने 2011 में पार्टी छोड़ दी थी. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि सिमरजीत ने दावा किया कि उन्होंने  कुछ अधिकारियों या हमारे प्यारे मंत्रियों के भ्रष्ट कामों का पता लगाने की कोशिश की लेकिन उन्हें चुप करा दिया गया. उन्होंने कहा कि वह “सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के बहुत बड़े अनुयायी हैं.”

अगले साल सिमरजीत और बलविंदर ने राज्य के चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में क्रमशः आत्म नगर और लुधियाना दक्षिण निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ा. निर्वाचन क्षेत्रों को 2008 में हुए परिसीमन में बनाया गया था और पहली बार यहां चुनाव हो रहे थे. भाइयों ने जीत हासिल की और इन निर्वाचन क्षेत्रों में अब भी उनका प्रभाव है.

2016 के अंत तक बैंस बंधुओं ने लोक इंसाफ पार्टी का गठन किया और आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया, जो भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की पीठ पर सवार होकर बनी थी. भाइयों को फरवरी 2017 के राज्य चुनावों में फिर से चुना गया था. मैंने आप विधायक हरपाल सिंह चीमा से पूछा कि पार्टी ने कई आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले राजनेता के साथ गठबंधन क्यों किया. उन्होंने दावा किया कि आम आदमी पार्टी ने पहले सोचा था कि सिमरजीत की पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ है, लेकिन “जब हम उनकी वास्तविकता से परिचित हो गए, तो हमने दूरी बनाए रखी.” सिमरजीत ने खुलासा किया था कि उनके चुनावी हलफनामे में उनके खिलाफ छह आपराधिक मामले लंबित थे. चुनावों के बाद दो महीनों के भीतर ही यह गठबंधन टूट गया.

 सिमरजीत अपने चुनाव के बाद भी और अधिक विवादों में फंसे रहे. 2018 में एक सहायक पासपोर्ट अधिकारी, यशपाल ने पुलिस को अपनी लिखित शिकायत में बताया कि सिमरजीत और उनके 10-15 बंदूकधारी समर्थक 24 अप्रैल को बिना किसी पूर्व सूचना के लुधियाना में एक पासपोर्ट सेवा केंद्र में घुस गए. उन्होंने आरोप लगाया कि सिमरजीत और उनकी पार्टी के सदस्यों ने वीडियो रिकॉर्ड करने की कोशिश की, वीडियो बनाना वहां निषेध था और एक सुरक्षा गार्ड को भी बंद कर दिया. उन्हें बाद में आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया, जो अपराध के इरादे से बिना इजाजत किसी के घर में घुसने, सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में किसी लोक सेवक को बाधा पहुंचाने, किसी सार्वजनिक कर्मचारी को कर्तव्य का पालन करने से रोकने के लिए हमला करने और आपराधिक बल का प्रयोक करने और अपराधी नीयत से संबंधित हैं और जिनकी सजा कारावास है.

अगले दिन इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट में आरोपों के बारे में सिमरजीत ने प्रतिक्रिया प्रकाशित की. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने जो कुछ किया वह सही है. “मैं पासपोर्ट कार्यालय में अनधिकृत एजेंटों को बाहर करने और आवेदकों को लूटने का खुलासा करने के लिए गया था. मैं तब भी नहीं रुका जब एसएडी-बीजेपी शासन के दौरान बादल ने मेरे खिलाफ 13 एफआईआर दर्ज कीं. अब जब कांग्रेस भी यही काम कर रही है तो मैं रुकने वाला नहीं.”

लगभग उसी समय चंडीगढ़ के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने तत्काल पासपोर्ट के लिए आवेदन करते समय अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को छिपाने के लिए बैंस के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया. सितंबर 2018 में लुधियाना की एक अदालत ने सिमरजीत को संबंधित अधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना पासपोर्ट कार्यालयों में प्रवेश करने पर रोक लगा दी.

एक साल बाद सिमरजीत पर फिर से गुरदासपुर जिले के डिप्टी कमिश्नर विपुल उज्ज्वल के साथ आक्रामक भाषा का उपयोग करने के लिए मामला दर्ज किया गया. 4 सितंबर 2019 को गुरदासपुर के बटाला शहर में एक पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट में बीस से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. समाचार रिपोर्टों और ऑनलाइन प्रसारित होने वाले एक वीडियो के अनुसार, सिमरजीत ने एक परिवार के शव की पहचान करने में असमर्थ होने के विषय में उज्जवल से संपर्क किया था. वीडियो में दिखाया गया कि उनके बीच बहस शुरू हो गई और सिमरजीत ने उज्जवल पर चिल्लाना शुरू कर दिया. “यह तुम्हारे बाप का ऑफिस नहीं है,” सिमरजीत ने कहा. उन पर कथित तौर पर आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें किसी लोक सेवक को कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालने से संबंधित था.

अगस्त और सितंबर 2020 में वैश्विक कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने के लिए जारी दिशानिर्देशों की अवहेलना करने के लिए उनके खिलाफ तीन मामले में दर्ज किए गए थे. इन प्राथमिकियों के कुछ महीने पहले सिमरजीत ने महामारी के बारे में चेताया था. अप्रैल में द ट्रिब्यून के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, “महामारी ने दुनिया को कई तरह से बदल दिया है. यह मानव जाति के लिए एक चुनौती के रूप में सामने आई है. राजनीति करने का यह सही समय नहीं है. इसके बजाय, हमें स्थिति को चतुराई से संभालने की जरूरत है. लॉकडाउन लागू करने का निर्णय सरकार द्वारा समय पर किया गया कदम था क्योंकि भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र आपातकाल के मामले में समस्या से निपटने की स्थिति में नहीं है.”

11 अगस्त 2020 को, लोक इंसाफ पार्टी के सदस्यों ने एक सिविल अस्पताल में वेंटिलेटर की कमी को लेकर लुधियाना निर्वाचन क्षेत्र से सांसद कांग्रेस पार्टी के रवनीत सिंह बिट्टू के घर के बाहर धरना-प्रदर्शन किया. 2019 लोकसभा चुनाव में बिट्टू ने सिमरजीत को हराया था. दोनों दलों के सदस्यों में हाथापाई हुई थी. सिमरजीत ने कहा कि कांग्रेस सदस्यों ने उनकी पार्टी के सदस्यों पर हमला किया था लेकिन बिट्टू ने दावा किया कि एलआईपी के एक सदस्य ने हिंसा शुरू की. 11 अगस्त को बैंस बंधुओं ने अन्य एलआईपी सदस्यों के साथ लुधियाना के पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें मांग की गई कि पुलिस आईपीसी के उचित धाराओं के तहत कांग्रेस के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज करे. 

लुधियाना पुलिस ने कथित तौर पर कांग्रेस के सदस्यों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की और एलआईपी सदस्यों को विरोध प्रदर्शन करने और कोविड-9 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए एक अलग मामले में दोषी ठहराया गया. एलआईपी के सदस्यों पर आईपीसी और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज की गईं थीं. लुधियाना में पुलिस के एक सहायक आयुक्त जतिंदर चोपड़ा ने कहा कि थाने के पुलिस अधिकारी विरोध प्रदर्शन के बाद वायरस के संपर्क में आ गए थे. चोपड़ा ने मुझे बताया कि पुलिस ने सिमरजीत को एक नोटिस दिया जिसमें उन्हें कोविड-19 टेस्ट लेने के लिए कहा गया.

सिमरजीत ने इसे मानने से इनकार कर दिया. सिमरजीत ने नोटिस का जवाब देते हुए लिखा, “हालांकि हमारे लिए जांच कराना कोई समस्या नहीं है, लेकिन पंजाब पुलिस कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए है न कि चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए. पुलिस स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित सूचना नहीं भेज सकती है.” उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस अपने राजनीतिक “आकाओं” को खुश करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र को लांघ रही है. बाद में उन्होंने मुझसे कहा, “मैंने उनके नोटिस को फाड़ दिया. अगर मुझे सिविल सर्जन या एसएमओ से सूचना मिलती तो मैं टेस्ट करवा लेता.

उनकी प्रतिक्रिया से लगता है कि सिमरजीत ने स्वास्थ्य विभाग के दिशानिर्देशों का पालन किया होगा. लेकिन बाद के दिनों में पुलिस द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, लुधियाना के सिविल सर्जन, राजेश बग्गा ने सिमरजीत के खिलाफ “कोविड-19 के बारे में एक वीडियो क्लिप के माध्यम से लोगों को गुमराह करने के लिए शिकायत दर्ज की.” पुलिस ने शिकायत के आधार पर 6 सितंबर को प्राथमिकी दर्ज की.

बग्गा ने शिकायत में उल्लेख किया कि वीडियो में सिमरजीत को लोगों को मास्क नहीं पहनने के लिए उकसाते हुए देखा गया था. सिमरजीत ने कहा, “कोरोना का आकार इतना छोटा है कि यह मास्क के जरिए भी आप तक पहुंच सकता है.” उन्होंने आगे कहा कि राज्य विधान सभा में उन्होंने मास्क नहीं पहना, “स्पीकर ने मुझसे पूछा कि मैंने मास्क क्यों नहीं पहना. तो मैंने उनसे कहा, मुझे पता है कि मैं स्वस्थ हूं, मुझे अपना फिटनेस स्तर पता है,” उन्होंने कहा. “स्पीकर साहब, आप डॉक्टर नहीं हैं.” 

सिमरजीत ने जोर देकर कहा कि दुनिया भर की सरकारें चुनावी लाभ के लिए कोरोनोवायरस संकट का उपयोग कर रही हैं. “केवल कैप्टन अमरिंदर सिंह या मोदी ही नहीं, यहां तक कि ट्रम्प भी. वर्तमान प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री नई सरकार बनाने के लिए चेतानी दे रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं.” उन्होंने सत्तारूढ़ सरकारों की तुलना “मदारियों” से की. “जैसे एक मदारी जमूरे को निर्देशन करता है वे तालाबंदी, कर्फ्यू, आड-ईवन इन सब से जनता को जमुरा बना रहे हैं.” अपने दावों को सही ठहराने के लिए सिमरजीत ने सुझाव दिया कि राज्य और केंद्र सरकारें महामारी के दौरान जनता को अपेक्षित समर्थन देने में विफल रहीं. सिमरजीत ने कहा, “सरकार ने छह महीने तक एक रुपए की भी मदद नहीं की.”

उन्होंने कहा, “दिन में दो बार भाप लें और चाय की बजाए काढ़ा पिएं, कोरोना त्वाडे नेडे नहीं खड़ना,” सिमरजीत ने कहा. “अपने आप को आइसोलेसन सेंटरों से बचाएं. अपने आप को क्वारंटीन केंद्रों और अस्पतालों से बचाएं.”  बाद में 8 सितंबर को एक बातचीत के दौरान उन्होंने मुझे बताया कि उनकी सिफारिशें “आयुर्वेदिक विभाग की वेबसाइट” पर भी उपलब्ध हैं. दरअसल, आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर “प्रतिरक्षा को बढ़ाने” के लिए काढ़ा और भाप लेने जैसे उपायों की सिफारिश की है. लेकिन नरेन्द्र मोदी ने वायरस के प्रति नरेन्द्र मोदी की सरकार की प्रतिक्रिया ने निर्विवाद रूप से खराब विज्ञान को चिह्नित किया है.

पंजाब पुलिस द्वारा 6 सितंबर की एफआईआर के बारे में प्रेस विज्ञप्ति में उल्लेख किया गया है कि बग्गा के अनुसार, वीडियो को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रसारित किया गया था “जिससे कोविड-19 के बारे में जनता के बीच भ्रम का माहौल पैदा हुआ.” इसमें कहा गया है कि पुलिस ने लुधियाना के जिला अटॉर्नी से कानूनी राय मांगी थी, जिसने निष्कर्ष निकाला कि सिमरजीत वैश्विक कोरोनावाइरस के दिशा-निर्देशों और मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए “उकसा और भड़का कर” पंजाब के निवासियों के “स्वास्थ्य और सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं.”

विधायक को आपदा प्रबंधन अधिनियम की एक धारा के तहत दोषी ठहराया गया था. जो किसी आपदा के बारे में गलत चेतावनी या अलार्म प्रसारित करने की सजा के बारे में बताता है. महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत उल्लिखित नियमों की अवज्ञा और आईपीसी की धाराएं जो लोक सेवक के आदेश की अवहेलना और सार्वजनिक दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार बयान से संबंधित हैं.

सिमरजीत फिर भी नरम नहीं हुए. एक दिन बाद बैंस भाइयों और एलआईपी के सदस्यों ने पटियाला के पोलो मैदान में विरोध प्रदर्शन किया. राज्य के सामाजिक न्याय, सशक्तिकरण और अल्पसंख्यक राज्य मंत्री, साधु सिंह धर्मसोत को बर्खास्त करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. धर्मसोज पर अनुसूचित जाति के छात्रों दी जाने वाली पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति से संबंधित करोड़ों रुपए के घोटाले में शामिल होने का आरोप है.

पुलिस के एक बयान के अनुसार एलआईपी ने विरोध प्रदर्शन के लिए अपेक्षित अनुमति नहीं ली और लगभग पंद्रह सौ लोगों के “अवैध जमावड़े” को उकसाया. पुलिस ने बयान में कहा, “जिला और पुलिस प्रशासन ने कई बार अपील की ... लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया.” पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने “गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया और हिंसक हो गए” तथा ड्यूटी पर मौजूद पुलिस अधिकारियों पर हमला किया. बयान के अनुसार, दो महिला कांस्टेबलों सहित एक सब-इंस्पेक्टर और चार पुलिस अधिकारियों को चोटें आईं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. यह भी आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों ने “महिला पुलिस बल के साथ दुर्व्यवहार किया.” 9 सितंबर की एफआईआर में बैंस बंधुओं और एलआईपी के 319 सदस्यों पर आईपीसी की नौ धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. उन पर आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 भी आरोपित किया गया था. पुलिस के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने कोविड-19 महामारी के संबंध में प्रशासन के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया.

मैंने सितंबर में सिमरजीत से दो बार बात की. उन्होंने कहा, “कोविड-19 वायरस फैला है लेकिन सत्तारूढ़ दलों ने अपने फायदे के राजनीतिक अतिरंजित किया है.” उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सदस्य भी कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं लेकिन उन पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होती है.”

8 सितंबर को जब मैंने उल्लेख किया कि सभी दिशानिर्देश कहते हैं कि लोगों को भीड़ में इकट्ठा होने सेबचना चाहिए, तो उन्होंने जवाब दिया, “पूरी दुनिया में मेडिकल सांठगांठ है सात सितारा होटलों से ज्यादा महंगे अस्पताल, डब्ल्यूएचओ जैसे सशक्त संगठन वे जनता को बेवकूफ बना रहे हैं.” उन्होंने वीडियो में दिए गए अपने बयानों को दोहराया. “आज के बाद लोग सोचेंगे कि मैं कुछ कड़वा या अजीब कह रहा हूं. लेकिन वे समझ जाएंगे. आप चार-छह महीने इंतजार करें, दवाई, वैक्सीन आने दें. लोग कहेंगे मैं सही था.” उन्होंने मुझे 22 सितंबर को बताया कि इस महीने लोकसभा में पारित किए गए कृषि से संबंधित तीन बिलों का विरोध करने के लिए साइकिल रैली आयोजित करने पर उनके खिलाफ पांच और प्राथमिकी दर्ज की गई थीं. मैंने सिमरजीत से उनके राजनीतिक करियर में लगे कई आरोपों के बारे में पूछा. उन्होंने कहा, “अगर आप इस ऐंगल से लिखते हैं, तो यह उचित नहीं होगा, ये राजनीतिक प्रतिशोध, झूठी एफआईआर” हैं. मैंने कभी किसी अधिकारी के साथ अपनी आवाज नहीं उठाई.” उन्होंने कहा कि वह आरोपों की जांच पड़ताल को देख रहे हैं और उन्हें विश्वास है कि उन्हें न्याय मिलेगा.


जतिंदर कौर तुड़ वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले दो दशकों से इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स और डेक्कन क्रॉनिकल सहित विभिन्न राष्ट्रीय अखबारों में लिख रही हैं.