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मध्य प्रदेश के भोपाल के रहने वाले प्रणय नरवारे बताते हैं कि उनकी मां ने 15 सितंबर को कोविड का टीका लगाया था लेकिन टीकाकरण केंद्र ने उस दिन इसे कोविन पोर्टल पर अपडेट नहीं किया. "अगले दिन जब मेरी मां ने उनसे संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि उनका नाम महाअभियान के लिए अलग रखा गया है. मां को यह भी कहा गया कि वह सर्टिफिकेट के लिए 17 तारीख तक इंतजार करें." 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन टीकाकरण महाअभियान के रूप में मनाया गया और दावा किया गया कि उस एक दिन में रिकॉर्ड 2.5 करोड़ लोगों का टीकाकरण हुआ है. नरवारे ने बताया कि जब तक उनकी मां को फोन नहीं आया तब तक तो उन्हें लग रहा था कि सर्वर में कोई समस्या होगी. आखिरकार जब प्रमाण पत्र अपलोड किया गया तो उसमें केंद्र का नाम अयोध्या नगर के सरस्वती विद्या मंदिर के बजाए "एसडीएम गोविंदपुरा" दर्ज था.
भले ही रिकॉर्ड टीकाकरण को बहुत बढ़ाचढ़ा कर पेश किया गया लेकिन बहुत से लोगों ने टीकाकरण की विसंगतियों के बारे में बताया है. साफ लगता है कि मोदी के जन्मदिन पर हुए टीकाकरण की संख्या को बढ़ा कर दिखाने की कोशिश की गई है. कारवां ने देश के विभिन्न राज्यों के 13 लोगों से बात की जिन्होंने टीका 17 सितंबर से पहले लगा लिया था लेकिन सर्टिफिकेट 17 सितंबर का दिया गया. इनमें से कुछेक को बिना टिका लगे ही टीकाकरण का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया.
स्क्रॉल की एक रिपोर्ट में बिहार के कई अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि 17 सितंबर को अपलोड की गई संख्या पिछले दो दिनों में हुए टीकाकरण को जोड़ कर बताई गई है. 17 सितंबर के पहले और बाद के दिनों में देश भर में हुए टीकाकरण की संख्या पर एक नजर डालने से यह भी संकेत मिलता है कि मोदी के जन्मदिन पर दर्ज हुई संख्या भ्रामक है. 16 सितंबर को देश भर में लगभग 70 लाख लोगों को टीका लगाया गया था. यह संख्या अगले दिन बढ़कर 2.5 करोड़ हो गई. उसके अगले दिन अचानक फिर घटकर 85 लाख हो गई और 19 सितंबर को यह और गिरकर 77 लाख हो गई. अगले तीन दिनों में टीकाकरण की संख्या क्रमशः 85 लाख, 68 लाख और 64 लाख रही.
हुसैन बाजी उन लोगों में से हैं जिन्हें 17 सितंबर को बिना टीका लगाए सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया था. गुजरात के वडोदरा से वास्तुकला के अंतिम वर्ष के छात्र बाजी ने कहा, "मुझे दूसरी खुराक लिए बिना ही प्रमाण पत्र मिल गया." बाजी ने कहा, "जब मुझे प्रमाण पत्र मिला तो मैं डर गया कि अब सच का टीका लगावाने के लिए स्लॉट बुक नहीं हो पाएगा." उन्हें केंद्रीय विद्यालय में, जहां उन्हे पहला टीका लगा था, जाकर पता किया. "हैरानी की बात है कि वहां के स्वास्थ्य कर्मियों ने बिना कोई दिक्कत किए टीका लगा दिया." बाजी ने कहा, "दूसरी खुराक वडोदरा में लगी लेकिन प्रमाण पत्र गृह नगर दाहोद का था जबकि मैं वहां नहीं था."
बाजी ने मुझे बताया कि वह अपने इलाके में ऐसे कई और लोगों को जानते हैं जिनके साथ यही बात हुई थी. “सात-आठ और लोग हैं जिनके साथ ऐसा हुआ. उन्हें टीका नहीं लगा लेकिन 17 तारीख को ही प्रमाण पत्र मिल गया."
कोविन ऐप और टीकाकरण की प्रक्रियाओं में गड़बड़ की ओर इशारा करती एक कहानी आंध्र प्रदेश के तिरुपति के अरशद अली की है. 17 सितंबर को सुबह करीब 8.30 बजे अली को एक मेसेज आया कि उनका टीकाकरण सफलतापूर्वक हो गया है और वह लिंक पर जाकर अपना प्रमाणपत्र डाउनलोड कर सकते हैं. अली ने बताया कि जब उन्होंने कोविन हैल्प डेस्क के जरिए एक अधिकारी से मुलाकात की तो अधिकारी ने कहा कि "इसे मुद्दा न बनाओ, टीकाकरण केंद्र जाकर सीधे टीका लगवा लो."
अली कहते हैं, "मैं पढ़ा लिखा आदमी हूं. मैं उन मुद्दों पर खुलकर लिख-बोल सकता हूं जिनका मैं सामना करता हूं लेकिन उन लोगों का क्या जो यह सब नहीं समझते हैं या वे जो अनपढ़ हैं." उन्होंने कहा, "इसी वजह से दूसरे देश हमारे पोर्टल पर भरोसा नहीं करते हैं."
ऐसा ही एक और मामला कर्नाटक के हिरियूर की रहने वाली राफिया फातिमा का है जिन्हें 15 जून को पहला टीका लगा था और उन्हें दूसरा टीका लगने वाला था. राफिया की बहन फरीन ने मुझे बताया कि परीक्षा के कारण राफिया दूसरा टीका देरी से लगाने की सोच रही थी इसलिए स्लॉट बुक नहीं किया था. फारीन ने कहा कि उन्होंने 1075 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया लेकिन उन्हें बताया गया कि "अधिकारी इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं" और उन्हें टीकाकरण केंद्र जाना चाहिए. राफिया को पहला टीका हिरियूर यूपीएचसी में लगा था जबकि प्रमाण पत्र केईबी हिरियूर नामक एक अन्य टीकाकरण केंद्र द्वारा जारी किया गया था.
गुजरात के जूनागढ़ जिले के केशोद के रहने वाले तुषार वैष्णव और उनकी पत्नी को 17 सितंबर की रात करीब 8 बजे मेसेज मिला कि दोनों को दूसरा टीका लग गया है. वैष्णव ने कहा, "शुरू में मुझे लगा कि गलती से संदेश आया होगा लेकिन जब मैंने प्रमाण पत्र पर नाम देखे तो मुझे कुछ समझ नहीं आया."
वैष्णव ने कहा कि वह 18 सितंबर को अधिकारियों से शिकायत करने केंद्र गए थे जहां केवल एक नर्स मौजूद थी. “जैसे ही मैंने बात करने की कोशिश की उसने तुरंत कहा कि उसका इससे कोई लेना-देना नहीं है और वह मेरी किसी भी तरह मदद नहीं कर सकती. उसने यह तक कह दिया कि जाओ जिसे कहना है कह लो.” उन्होंने कहा कि नर्स ने किसी की शिकायत नहीं सुनी और "उन्हें बैठने के लिए कहा और बिना किसी लिखत-पढ़त के या आधार कार्ड देखे टीका लगा दिया." सेंटर पर मौजूद अन्य लोगों में से एक ने फेसबुक लाइव किया और एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें वे नर्स से उलझ रहे हैं.
वडोदरा के सौरभ मौर्य ने मुझे बताया कि उन्होंने 17 तारीख को यूं ही जानने के लिए कोविन ऐप खोला कि कहीं दूसरी खुराक का प्रमाण पत्र पहले ही तैयार तो नहीं कर दिया गया होगा? उन्हें 29 अगस्त से 26 सितंबर के बीच दूसरा शॉट लगना था. उनका प्रमाण पत्र टिम्बी केंद्र द्वारा जारी किया गया था. "मैं जल्दबाजी में केंद्र पहुंचा. आधी रात तक टीकाकरण चलता रहा. किसी तरह से मैं टीका लगवा पाया." मौर्य ने यह भी कहा कि वह "उन लोगों को जानते हैं जिन्हें टीका लगाए बिना ही सर्टिफिकेट मिल गया था."
बिहार के हिल्सा के रहने वाले राजू कुमार का मामला तो और भी अजीब है. उन्होंने जून में पीएचसी हिल्सा 2 में पहला टीका लगवाया और अब दूसरी खुराक का इंतजार कर रहे थे कि 15 सितंबर को उन्हें दूसरी डोज के लिए केंद्र से फोन आया और बताया गया कि वह उस सप्ताह कभी भी आ सकते हैं. लेकिन 17 सितंबर को दोपहर करीब 3.30 बजे कुमार को खबर मिली कि उनका सफलतापूर्वक टीकाकरण हो गया है और वह अपना प्रमाण पत्र डाउनलोड कर सकते हैं. कुमार ने बताया कि वह बहुत हैरान हैं क्योंकि उन्होंने दो दिन पहले ही केंद्र से बात की थी. उन्होंने मुझे बताया कि जब उन्होंने केंद्र को फोन किया तो उन्हें चुप रहने और जब चाहे आकर टीका लगा लेने के लिए कहा गया.
इन मामलों के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने जवाब नहीं दिया और संबंधित जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पाया.
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