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बागपत जिले स्थित मेरे धनौरा गांव की स्थिति चिंताजनक है. जब मुझे पता चला कि मुझे कक्षा 10 में पढ़ाने वाली टीचर कौशल्या देवी की मृत्यु कोरोना से हो गई है और उनके पति और बेटा भी कोरोना पॉजिटिव हैं तो एकाएक मेरी यादों में मेरे गांव का स्कूल और मुझे पढ़ाती कोशेल्या मैडम आने लगे. वह बहुत सरल स्वभाव की थीं. हम उन्हें “मैम” कहते थे. वह इसी महीने 4 अप्रैल को ही रिटायर हुईं थीं. मुझे पता चला कि मैम के परिवार में पिछले चार दिनों में यह दूसरी मौत थी. उनसे पहले गांव के देशपाल राणा चार दिन पहले गुजर गए.
गांव में प्रधानी के चुनाव इस महीने की 19 तारिक को हुए थे. गांव के पूर्व प्रधान रमेश स्वामी ने इस बार अपने बेटे रजत स्वामी को अपनी जगह चुनाव लड़ाया था. चुनाव खत्म होने के दो दिन बाद अचानक ही रमेश स्वामी की मृत्यु हो गई. मेरे गांव में पिछले दस दिनों में करीब 15 लोगों के मरने की खबर है. गांव का एक भी कोना मौत से अछूता नहीं है.
मेरी मां से जब मेरी बात हुई तो वह बोलीं, “पता नहीं तुम्हारे गांव को क्या हुआ है. चारों ओर से मरने की खबरें आ रही हैं. हम तो अपने बच्चों को बाहर खेलने भी नहीं जाने देते. यह पता नहीं किस तरह की बीमारी फैली है जो लोगो पर सीधे हमला करती है. समाचार सुनते हैं तो पता चलता है कि जवान-जवान लोगों को भी ले जा रही है. सभी जाति के लोग मर रहे है.”
40 साल के दिलशाद मेरे दोस्त हैं. जब पिछले शुक्रवार को उन्हें पता चला कि पिता इस्लाम की हालत पिछले शुक्रवार से खराब है और सीने में दर्द हो रहा है तो वह शनिवार की सुबह पिता को ले कर मेरठ चल दिए लेकिन किसी भी अस्पताल ने उनको एडमिट नहीं किया. दोपहर 2 बजे 68 साल के पिता की मौत हो गई. दिलशाद ने मुझसे कहा, “पता नहीं क्या चल रहा है? गांव में हर दिन एक-दो लोगों की मौत हो रही है.”
गांव के ही तेजराम ने निराश स्वर में मुझसे कहा, “पता नहीं हमारे गांव को किसकी नजर लग गई है. इतनी मौत एक साथ कभी नहीं देखी.” वह बड़ौत में मजदूरी करते हैं लेकिन बताया कि “अब डर से नही जा रहा हूं.” उन्होंने कहा, “समाचार देखता हूं तो और भी डर लगता है.”
गांव की यह हालत चुनाव होने के बाद हुई है. तेजराम ने बताया, “हमारे गांव में 19 तारीख के प्रधानी के चुनाव के बाद की ऐसी स्थिति हुई है. मेरे पड़ोस में ही दो लोगो को ऑक्सीजन लगी हुई है. वे बचेंगे की नहीं अब यह भगवान जाने, पर अब कोई घर से बाहर नहीं निकलता. गांव की दो गली सील कर दी गई हैं. उनमें से एक गली में मैं रहता हूं और उसमें आठ लोग कोरोना से संक्रमित हैं.”
पोविंद्र राणा के छोटे भाई अशोक राणा कोरोना पॉजिटिव हैं. उनकी रिपोर्ट के अनुसार फेफड़ें 14 प्रतिशत संक्रमित हो गए हैं. राणा ने कहा, “भाई की हालत देखी नहीं जाती. अभी कुछ दिन पहले मेरी पत्नी के मौसरे भाई की दिल्ली में मौत हो गई थी तभी से घर दहशत का महौल है और समझ नहीं आ रहा कि और क्या देखना पड़ेगा.” फिलहाल भाई का ऑक्सीजन लेवल 95 पर है और डॉक्टर ने कहा कि वह ठीक हैं. 30 साल के अशोक शादीशुदा हैं दो छोटी बच्चियों के पिता हैं.
गांव के कुछ लोग इस साल कुंभ नहाने भी गए थे. वहां के अनुज कुमार बताते हैं, “गांव के कुछ लोग कुंभ घूमने गए थे और जब वहां से आए तो वे सारे संक्रमित थे. अब गांव में असामान्य घटनाएं हो रही हैं. इतनी मौत एक साथ कभी नहीं होती थीं जिस तरह से इस बार हुई हैं.” अनुज ने बताया कि मरने वाले सभी 40 के ऊपर थे पर गांव की स्थिति सही नहीं है. कोई घर ऐसा नहीं है जहां मरीज न हो. गांव सहम गया है.
अनुज ने बताया कि पिछले लॉकडॉउन में गांव का एक लड़का गजियाबाद रहता था और वहीं पॉजिटिव हो गया था. जब उसको पता चला तो उसने वहीं आत्महत्या कर ली.
गांव में इतने लोग मर गए हैं किसी को यकीन नहीं होता कि यह सच है. अभी भी गांव के करीब 8 लोग सीरियस हैं. पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है. कोई किसी के घर नहीं जाता, अब लोग एक-दूसरे से नहीं मिल रहे. गांव डर गया है.
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