Thanks for reading The Caravan. If you find our work valuable, consider subscribing or contributing to The Caravan.
15 अगस्त की सुबह ब्रिटेन के प्रवासी भारतीय के एक दल ने लंदन के वेस्टमिंस्टर ब्रिज में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस्तीफा की मांग वाला बैनर लटका कर प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने भारतीय उच्चायोग के बाहर मोमबत्तियां जलाकर मोदी शासन के पीड़ितों को याद किया.
कार्यक्रम के आयोजकों में से एक दक्षिण एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप के मुक्ति शाह ने इस कार्रवाई के बारे में बताया कि “भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और इधर देश का धर्मनिरपेक्ष संविधान बिखर रहा है. सांप्रदायिक और जातिगत हिंसा से भारत मजबूती से जकड़ गया है और हजारों राजनीतिक कैदी कोविड संक्रमण के बीच जेलों में बंद हैं. साथ ही सैकड़ों-हजारों लोग घोर लापरवाही और बदइंतजामी के चलते मारे गए हैं. हम भारत के लोगों के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं और हिंसा, अन्याय और आपराधिक लापरवाही के मुख्य सूत्रधार नरेन्द्र मोदी के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.”
समूह ने एक बयान जारी कर मोदी के इस्तीफे की मांग करने की दस खास वजहें इस तरह बताई हैं,
1. मुस्लिमों के नरसंहर, मॉब लिंचिंग और दंगों को सामान्य बनाना
राष्ट्रीय राजधानी और देश में कई रैलियों में हिंदू वर्चस्ववादी आतंकवादी समूहों से जुड़े लोगों द्वारा खुलेआम मुस्लिमों के नरसंहार का आह्वान किया जा रहा है. इन समूहों पर कार्रवाई करना तो दूर इन घटनाओं को सामान्य जीवन का हिस्सा मानकर दरकिनार किया जा रहा है. 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद से मुस्लिमों के खिलाफ भीषण हिंसा का सिलसिला लगातार बढ़ा है. मॉब लिंचिंग, दंगे और मुस्लिम इलाकों पर पुलिस के हमले आम घटनाएं हो गई हैं. साथ ही मोदी ने 2002 के गुजरात नरसंहार के लिए कभी माफी नहीं मांगी. यह दर्शाता है कि मोदी मुस्लिमों के एक बड़े नरसंहार के लिए देश को तैयार कर रहे हैं. ऐसा कभी नहीं होने दिया जाएगा! मोदी को इस्तीफा देना चाहिए!
2. दलित महिलाओं और लड़कियों का बलात्कार और हत्याएं
मोदी के प्रधानमंत्री रहते दलितों के खिलाफ हिंसा कई गुना बढ़ी है. दलित महिलाओं और लड़कियों का सामूहिक बलात्कार और उनकी हत्या करने वालों को राज्यों और केंद्र की बीजेपी सरकार बचाती हैं. हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या जगजाहिर है. इसी तरह के और मामले भी हैं. हर दिन कोई नया भयावह मामला सामने आ जाता है. हाल ही में दिल्ली के एक श्मशान घाट के पुजारी ने नौ साल की एक दलित बच्ची का बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी और उसकी लाश को जलाने की कोशिश की. ऐसी अकथनीय हिंसा और ब्राह्मणवादी द्वेष के सामने प्रधानमंत्री चुप रहे.
3. कृषि का कारपोरेट द्वारा अधिग्रहण
मोदी शासन ने तीन कृषि कानून पारित किए हैं जो पूरे कृषि क्षेत्र को उनके कारपोरेट साथी गौतम अडानी और मुकेश अंबानी को सौंप देंगे. यह कदम भारत के गरीब किसानों को बेसहारा कर देगा और उन्हें उनको जमीन से बेदखली की ओर धकेल देगा. देश की खाद्यान्न आत्मनिर्भरता बर्बाद हो जाएगी, भूखमरी बढ़ती जाएगी. इन कानूनों को चुनौती देते हुए बड़े पैमाने पर किसान आंदोलन खड़ा हो गया है और किसान पिछले साल नवंबर से राजधानी की सीमाओं पर डटे हुए हैं. मोदी ने भारत की इस खास मेहनतकश आबादी की आवाज को लगातार नजरअंदाज किया है.
4. असंतुष्टों और मानवाधिकार की वकालत करने वालों की गिरफ्तारियां
मोदी शासन के तहत यूएपीए जैसे कठोर कानूनों से हजारों लोगों को कैद किया है जिनका एकमात्र अपराध यही है कि वह सरकार से असंतुष्ट हैं और सबसे हाशिए के लोगों और उत्पीड़ित समूहों की वकालत करते हैं या अहिंसक विरोध में शामिल हुए हैं. बुजुर्ग और कमजोर, शिक्षाविद और वकील, छात्र और युवा कार्यकर्ता, जिनमें हजारों आदिवासी युवा शामिल हैं, महामारी के बीच खचाखच और गंदगी से भरी जेलों में बंद हैं. उनकी जान को खतरा है. कुछ पहले से ही वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और उनका इलाज तक नहीं किया जा रहा है. पार्किंसंस रोग से पीड़ित फादर स्टेन स्वामी जैसे 84 साल के पादरी की बेहद जरूरी चीजों के अभाव में मौत हो गई. यह मोदी शासन की हिरासत में हत्या है.
5. कश्मीर को उपनिवेश बनाना
कश्मीरियों को दशकों से सैन्यीकरण का शिकार बनाया जा रहा है. उनके मानवाधिकारों का हनन हो रहा है और आत्मनिर्णय के अधिकार से वंचित रखा जा रहा है. नरेन्द्र मोदी सरकार के तहत कश्मीर के साथ भारत के संबंध इजरायल के बसावटी उपनिवेशवाद की तरह के हो गए हैं. 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को खत्म करना, भारत के संविधान और अंतर्राष्ट्रीय कानून दोनों का उल्लंघन करते हुए दो साल का क्रूर लॉकडाउन, कर्फ्यू, सामूहिक जेलबंदी और किसी भी लोकतंत्र के इतिहास में सबसे लंबे समय तक इंटरनेट और संचार नाकाबंदी की गई है.
6. मोदी का न्यूरमबर्ग किस्म का कानून
मोदी शासन द्वारा लाया गया नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) भारतीय नागरिकता के अधिकार पर हमला है. यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रवासियों को भारतीय नागरिक बनने की इजाजत देता है बशर्ते वह हिंदू, सिख, पारसी, जैन या ईसाई हों. भारतीय नागरिकता को स्पष्ट रूप से धर्म से जोड़कर सीएए कानून भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान का उल्लंघन करता है और एक फासीवादी हिंदू राज्य बनाने के बीजेपी के घोषित सपने के लिए कानूनी आधार बनाता है. एनआरसी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनआरपी) के साथ नए नागरिकता नियमों के चलते भारत के 20 करोड़ मुस्लिमें को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है. इस बीच बीजेपी शासित राज्यों ने तथाकथित लव जिहाद कानून पास किए हैं जो अंतरधार्मिक रिश्तों को खत्म करते हैं. यह सभी कानून नाजियों के न्यूरेमबर्ग कानूनों से मिलते जुलते हैं जो यूहदी विरोधी, नस्लवादी और फासीवादी थे.
7. मोदी के पर्यावरण अपराध
पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में भारत दुनिया का चौथा सबसे खराब देश है. जबकि वैश्विक जलवायु संकट बहुत तेजी से बढ़ गया है मोदी पर्यावरणीय अपराधों के लिए दोषी हैं. उन्होंने खनन और ढांचागत परियोजनाओं को जंगलों, जमीन और पानी तक बेलगाम पहुंच दे दी है और कुख्यात गौतम अडानी सहित अपने पूंजीवादी साथियों को वाणिज्यिक खनन के लिए बड़े पैमाने पर कोयला क्षेत्रों की नीलामी कर रहे हैं.
8. लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया का उल्लंघन
मोदी के सत्ता में आने के बाद से कोई भी चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं हुआ है. चुनाव में मुस्लिमों को बलि का बकरा बनाने, मतपेटियों और ईवीएम से छेड़छाड़ करने और घातक हिंसा के मामले देखे गए हैं. इस साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित सशस्त्र पुलिस ने वोट देने के लिए कतार में खड़े लोगों पर गोलियां चलाईं जिसमें चार की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.
9. कोविड-19 महामारी का आपराधिक बदइंतजामी
निश्चित रूप से मोदी कोविड-19 से होने वाली अनेकों मौतों के लिए जिम्मेदार हैं. चार घंटे के नोटिस पर पहले लॉकडाउन के चलते सैकड़ों-हजारों प्रवासी मजदूरों के लिए भयानक संकट खड़ा हो गया था और बहुतों की मौत हुई. हाल ही में कोविड-19 की दूसरी लहर में संभवतः 40 लाख लोगों की मौत हुई और इसने देश को तबाह कर दिया है. यह मोदी की घोर लापरवाही और बेहद नाकाबीलियत का नतीजा है. महाकुंभ जैसे सुपरसप्रेडर कार्यक्रमों की इजाजत देना और पश्चिम बंगाल के चुनावों के दौरान खुद उनकी पार्टी द्वारा बड़े पैमाने पर रोड शो करना और उनके कारपोरेट साथियों द्वारा टीकों से खूब मुनाफा कमाना इन बदइंतजामियों में शामिल हैं. मोदी ने दिखा दिया है कि उनके लिए लोगों की जान से अधिक जरूरी सत्ता को मजबूत करना है. ये मानवता के खिलाफ अपराध हैं.
10. ब्रिटेन के दक्षिणपंथी हिंदू वर्चस्ववादी खामोश हैं
वर्तमान में दक्षिणपंथी ब्रिटेन सरकार के मंत्री प्रीति पटेल, ऋषि सनक और आलोक शर्मा सभी मोदी के अनुचर हैं और एचएसएस (फासीवादी आरएसएस की अंतर्राष्ट्रीय शाखा) और अन्य हिंदू-वर्चस्ववादी संगठन सक्रिय रूप से ब्रिटेन में नफरत फैला रहे हैं. उनका दावा है कि मोदी को प्रवासी भारतीयों का समर्थन प्राप्त है. वह हमारे प्रतिनिधि नहीं हैं.