​सिंघु बॉर्डर हत्याकांड : हत्या से पहले गांव आया था आरोपी, मृतक लखबीर के गांव वालों का दावा

दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर लखबीर सिंह की लिंचिंग के मुख्य आरोपी सरबजीत सिंह को हरियाणा के सोनीपत जिले में 16 अक्टूबर 2021 को एक अदालत ने सात दिन की रिमांड पर भेजने के आदेश के बाद पुलिस हिरासत में ले लिया गया है. निहंग सिख सरबजीत ने 15 अक्टूबर की रात पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर हत्या की जिम्मेदारी ली थी. पीटीआई
22 October, 2021

दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर हत्या कर दिए गए लखबीर सिंह के गांव चीमा कलां के दो लोगों ने मुझे बताया कि उन्होंने हत्या के आरोपी निहंग सिख सरबजीत सिंह को हत्या से पहले के कुछ महीनों में अक्सर गांव में आते-जाते देखा है. उन्हीं में से एक ने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पास मारे जाने से तीन दिन पहले 12 अक्टूबर को लखबीर को उस दिन दो निहंगों के साथ बोलेरो कैंपर कार में देखा गया था. कई दूसरे लोगों ने इस बात की पुष्टि की. उन्होंने मुझे बताया कि सरबजीत को पिछले दो-तीन महीनों में कई मौकों पर गांव और उसके आसपास बोलेरो कैंपर चलाते देखा गया है. जैसा कि कारवां ने पहले बताया था, लखबीर की बहन राज कौर ने लगातार कहा है कि उसका भाई अकेले सिंघु बॉर्डर नहीं जा सकता था और उसे वहां कोई फुसला कर ले गया है. गांव में जिन भी लोगों से मैंने बात की थी, राज ने उन सभी के साथ इस बात पर जोर दिया कि लखबीर किसी की बेअदबी नहीं कर सकता जिसका उस पर आरोप लगाया गया था और उसकी हत्या कर दी गई थी.

सरबजीत ने हत्या की जिम्मेदारी ली और 15 अक्टूबर की रात को राज्य पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. अगले दिन एक और निहंग सिख नारायण सिंह को अमृतसर के अमरकोट गांव में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद गिरफ्तार किया गया था. नारायण को गिरफ्तार करने वाले अमृतसर ग्रामीण के वरिष्ठ अधीक्षक राकेश कौशल ने कहा कि निहंग सिख ने दावा किया कि उसने खुद कोई बेअदबी होते नहीं देखी. लेकिन उसने सरबजीत की बात मान ली. कौशल ने बताया कि 15 अक्टूबर की सुबह करीब साढ़े पांच बजे नारायण उस जगह पहुंचे थे जहां सरबजीत लखबीर के साथ मारपीट कर रहा था. कौशल ने कहा कि सरबजीत और एक अन्य आरोपी ने पहले नारायण का सत्कार किया फिर कथित बेअदबी के बारे में बताया. "नारायण सिंह ने हमें बताया कि तब तक सरबजीत ने लखबीर की कलाई काट दी थी और फिर नारायण ने उसका दाहिना पैर काट दिया." कौशल के अनुसार, नारायण ने दावा किया कि बेअदबी की बात सुनकर वह "पागल" हो गया था और उसने लखबीर पर हमला कर दिया.

चीमा कलां के रहने वाले एक अन्य निवासी ने मुझे बताया कि उन्होंने सरबजीत को लगभग तीन महीने पहले गांव में पहली बार सराय अमानत खान थाने के पास देखा था. “यह बाबा जी सरबजीत सिंह, जिन्होंने गिरफ्तारी दी, हमने इस आदमी को यहां अपने गांव में देखा. वह किसी की कार चलाता था." निवासी ने कहा कि उन्हें सरबजीत को देखकर याद आया क्योंकि निहंग ने उनका पीछा उस कार में किया था जिसे वह चला रहा था. “जब हमने उससे अपना पीछा करते हुए पाया तो हम पुलिस स्टेशन से कुछ दूर रुक गए. कल, जब मैं इस आदमी का वीडियो देख रहा था, मुझे एहसास हुआ कि मैंने अपने गांव में इस आदमी को किसी की कार चलाते हुए देखा है, हालांकि मुझे नहीं पता कि वह किसकी कार थी."

एक अन्य निवासी ने मुझे बताया कि उन्होंने कई अन्य ग्रामीणों ने भी तब से कई मौकों पर सरबजीत को चीमा कलां में देखा था और वह आमतौर पर बोलेरो कैंपर चलाता था. निवासी ने यह भी कहा कि कई ग्रामीणों ने सरबजीत को गांव के बस स्टैंड के पास बनाए जा रहे लंगर हॉल के पास कई मौकों पर देखा है. पहले निवासी ने मुझे बताया कि स्थानीय लोगों ने सरबजीत को गांव के बाहरी किनारे पर घरों के सामने बहने वाले नाले के पास एक हैंडपंप पर नहाते हुए देखा था - सरबजीत इनमें से कम से कम दो घरों में कुछ हफ्तों से रह रहा था. कुछ ग्रामीणों ने मुझे बताया कि सरबजीत ने उनके गांव में आकर अपने बाल बढ़ाने शुरू कर दिए थे और यहां तक ​​कि गांव वालों को भी बताया कि उन्हें गुजराती, मराठी और कुछ अन्य भाषाएं आती हैं.

12 अक्टूबर की घटना को याद करते हुए पहले निवासी ने मुझे बताया कि उस दिन लखबीर पास की अनाज मंडी में काम ढूंढने गया था. बहन राज ने भी इसकी पुष्टि की. निवासी के अनुसार, एक किसान, जिसे उन्होंने गुरसिख बताया, ने लखबीर को काम देने से मना कर दिया था क्योंकि वह नशा करता था. “लखबीर बाजार छोड़ कर चलने लगा. एक बाइक सवार व्यक्ति ने लखबीर को पास के श्मशान घाट से उठाया और एक बोलेरो कार में बैठे दुमल्ला पहने, बड़ी-बड़ी तलवारें लिए और चोला पहने हुए दो निहंगों को सौंप दिया." दुमल्ला निहंग सिखों द्वारा पहनी जाने वाली एक प्रकार की पगड़ी है, जबकि चोला पारंपरिक युद्ध पोशाक है जिसे सिखों द्वारा और विशेष रूप से निहंगों द्वारा पहना जाता है. निवासी ने कहा कि उस रात बाद में लखबीर को स्थानीय गौशाला में मवेशियों को चरते हुए देखा गया था.

अगली सुबह, लखबीर को फिर से अनाज मंडी में एक निजी बैंक में काम करने वाले गांव के निवासी अमृतपाल सिंह ने देखा था. "मैंने उसे दूर से देखा," अमृतपाल ने मुझे बताया. वह आखिरी बार था जब गांव के किसी आदमी ने लखबीर को देखा था और किसी को नहीं पता था कि वह 14 अक्टूबर की रात सिंघु बार्डर पर वह कैसे पहुंच गया.

14 और 15 अक्टूबर की दरम्यानी रात लखबीर को सरबजीत और अन्य निहंगों के एक समूह ने पीट-पीट कर मार डाला था. कौशल ने पुलिस को सरबजीत और नारायण से मिले सबूतों को साझा किया. कौशल ने बताया​ कि जब लखबीर पर हमला हो रहा था, "सड़क से कुछ मीटर की दूरी पर, मिस्ल शहीद बाबा बाज सिंह शिरोमणि पंथ अकाली तरना दल के प्रमुख नारायण सिंह से निहंग सरबजीत सिंह ने संपर्क किया और रोते हुए कहा, 'बेदाबी कर दिट्टी, गुरु साहिब की बेदाबी हो गई. अंग वड़ ते, वद्दो एह्नु. '"(उसके टुकड़े कर दिए.) कौशल के अनुसार नारायण ने उन्हें बताया कि "बेअदबी के इस रोने का असर बिजली की सी तेजी से हुआ और उसने अपना आपा खो दिया और सिंघु बॉर्डर पर तरनतारन के चीमा कलां के लखबीर सिंह की लिंचिंग में सक्रिय रूप से भाग लिया."

कौशल के मुताबिक 13 अक्टूबर की रात नारायण और उनके बेटे समेत चार अन्य लोग अपने गांव से सिंघु बॉर्डर पर दशहरा मनाने के लिए निकले थे. कौशल ने कहा कि निहंग 15 अक्टूबर की सुबह करीब साढ़े पांच बजे सिंघु पहुंचे, तभी सरबजीत और अन्य आरोपियों ने उनसे संपर्क किया जो कथित बेअदबी से गुस्से में थे - सरबजीत ने उन्हें बताया कि लखबीर ने निहंगों की पूजनीय ​किताब सरबलो को खेतों में फेंक दिया था और दूसरी पवित्र किताब लेने के लिए वापस आ आया था. कौशल के अनुसार, नारायण ने कहा कि वह तुरंत हिंसा में शामिल हो गया और उसने खून से लथपथ लखबीर का पैर काट दिया. नारायण ने फिर लखबीर पर अपनी तलवार से तीन बार हमला किया. नारायण ने पुलिस को यह भी बताया कि वह सरबजीत से पहले कभी नहीं मिला था.

बटाला जिले के एसएसपी मुखविंदर सिंह भुल्लर ने मुझे बताया कि 35 साल का सरबजीत पांच या छह साल की उम्र से ही अपने मामा के साथ खुजाला गांव में रहता था. उसने 2000 में ढांडोई गांव के एक स्कूल से दसवीं की पढ़ाई की और बाद में दुबई में लगभग चार-पांच साल बिताए. पुलिस ने कहा कि सरबजीत फिर अपने मामा के साथ बटाला की सुखमनी कॉलोनी में शिफ्ट हो गया. 2007 में उसकी शादी हुई और 2017 में उसका तलाक हो गया. सरबजीत फिर सिखों के पांच तख्तों में से एक महाराष्ट्र के नांदेड़ में हजूर साहब के लिए रवाना हो गया. वह निहंग बन गया और उनका पारंपरिक बाना पहनना शुरू कर दिया. पुलिस के मुताबिक उसे आखिरी बार दो साल पहले बटाला में देखा गया था.

20 अक्टूबर को जैसे ही हत्या को लेकर विवाद बढ़ता गया राज्य के पुलिस महानिदेशक इकबाल प्रीत सिंह सहोता ने पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के आदेश के तहत एक विशेष जांच दल का गठन किया. लखबीर की बहन राज द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच एसआईटी से करने को कहा गया है. अतिरिक्त डीजीपी और जांच ब्यूरो पंजाब के निदेशक वरिंदर कुमार एसआईटी की अध्यक्षता कर रहे हैं. इसके सदस्यों में फिरोजपुर रेंज के उप महानिरीक्षक इंद्रबीर सिंह और तरनतारन के एसएसपी हरविंदर सिंह विर्क शामिल हैं.

इस बीच गांव के एक पूर्व सरपंच सोनू चीमा ने मुझे बताया कि ग्रामीणों को स्थानीय राजनीतिक हस्तियों और अधिकारियों के चुप रहने के दबाव का सामना करना पड़ रहा है. चीमा ने कहा, "गांव वाले सच बताएंगे बशर्ते कोई उन्हें बचाव और इंसाफ का भरोसा दे."