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30 अगस्त की रात करीब 2 बजे गाजीपुर जिले के दिलदारनगर गांव में पुलिस ने फल बेचने वाले 55 साल के सलीम कुरैशी के घर में घुस कर मारपीट की. उनकी पत्नी सरवरी बेगम ने बताया कि पुलिस वालों ने सलीम के 20 हजार रुपए भी चुरा लिए. पुलिस की पिटाई में सलीम की ऐड़ी का हिस्सा पैर से अलग हो गया. उत्तर प्रदेश पुलिस ने दावा किया है कि उसने अवैध गोकशी की खबर मिलने पर घर पर छापा मारा था.
कुरैशी परिवार गांव के उन लोगों में से हैं जिन्होंने इस साल कारवां को बताया था कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके साथ मारपीट की और उन्हें परेशान किया है. इसी से मिलते-जुलते एक मामले में बिजनौर जिले के फरीदपुर काजी गांव के 8 मुस्लिम परिवारों ने मुझे बताया था कि 8 मई को पुलिस ने उनके घरों पर हमला किया, उन्हें गालियां दीं और घर के मर्दों को पीटा था. बाद में गांव वालों को पता चला था कि पुलिस ने गोकशी के शक पर उनके घरों में छापा मारा था. सहारनपुर जिले की गोकल विश्वविद्यालय के समाजशास्त्री डॉ. खालिद अनीस अंसारी ने मुझे बताया कि उनके इलाके में भी हर दिन ऐसी घटनाएं हो रही हैं. अंसारी ने पसमांदा मुसलमानों पर शोध किया है. उन्होंने कहा कि राज्य में गोकशी रोकने के बहाने पुलिस गरीब मुसलमानों को निशाना बना रही है.
उस रात की घटना के बारे में सरवरी बेगम ने बताया, “शनिवार रात 2 बजे के आस-पास जब घर के सभी लोग सो रहे थे तो किसी ने दरवाजा खटखटाया. मैं दरवाजे के पास ही सो रही थी इसलिए मेरी आंख सबसे पहले खुली तो मैंने पूछा कौन है?” सरवरी ने आगे बताना जारी रखा, “दरवाजे के उस पार से आवाज आई, ‘हम हैं असलम.’ मैंने पूछा, ‘कौन असलम?’ क्योंकि हमें वह आवाज पराई जान पड़ी. मुझे वह आवाज मोहल्ले के किसी आदमी की नहीं लगी. मैं ऊपर छत पर गई और छत से देखने लगी कि कौन है. उन्होंने मेरे चेहरे पर अपनी टार्च मारी. मैंने फिर पूछा, ‘भैया-बाबू, आप कौन हो’, तो वे लोग मुझे मां-बहन की गालियां देने लगे. मैंने फिर पूछा कि आप लोग कौन हो, आखिर क्या बात है और अपनी टार्च मेरे चेहरे से हटाइए. एक आदमी फिर वह बोला कि असलम है, किवाड़ क्यों नहीं खोलती हो. फिर तो वह हमारे दरवाजे को तोड़ने लगा. एक दरवाजा घर का था. दूसरा दरवाजा बैठकी का था, जिसमें मेरा आदमी सो रहा था. हल्ला सुनकर वह जाग गए और उठने के बाद उन्होंने दरवाजा खोल दिया. जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला वे पांचों बेहरहमी से उन्हें मारने लगे.”
उनकी 15 साल की बेटी सुबी खातून ने मुझे बताया कि हल्ले से उसकी भी नींद टूट गई. उसने भी कहा, “अब्बू ने दरवाजा खोला तो पांच लोग उन्हें पीटने लगे. पांच में से तीन लोग वर्दी पहने थे और दो लोग वर्दी में नहीं थे. वे सारे लोग दारू पिए हुए थे और उनके साथ एक भी महिला पुलिसकर्मी नहीं थी. जब मेरी मां ने उनसे अब्बू को छोड़ देने के लिए कहा तो उन लोगों ने मेरी मां को भी मारा.”
सरवरी बेगम ने बताया कि वह बार-बार पुलिस से पूछ रही थीं कि वे लोग उनके पति को क्यों मार रहे हैं लेकिन पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने बताया, “जब पुलिस ने देखा कि घर के अंदर एक दरवाजा बंद पड़ा है, वह मेरे बड़े बेटे का कमरा है जो मुंबई में काम करता है, तो एक पुलिस वाले ने कहा, ‘वहां छिपा रखा होगा.’” बेगम ने कहा मैंने उनसे कहा कि आप लोग ठीक से बात करिए लेकिन उन लोगों ने मुझे दो झापड़ मारे. परिवार वालों ने उस कमरे की चाबी पुलिस वालों को दे दी. कमरे में पुलिस वालों को कुछ नहीं मिला.
बेगम ने बताया कि इसके बाद भी वे लोग पति मारते रहे. “मैंने देखा कि मेरे पति बेहोश हो रहे हैं, तो मैंने पुलिस वालों के पैर पकड़ लिए और उनसे मिन्नतें करने लगी कि उन्हें छोड़ दो लेकिन एक आदमी ने मुझसे कहा कि यह ड्रामा बंद करो और फिर से पति को पीटने लगे. वे कह रहे थे, ‘इसे इतना मारो कि इसके हाथ-पैर साबुत नहीं बचें.’” मैं और मेरी बेटी बस रोते रहे.
बेगम ने कहा, “न जाने किस चीज से मारा कि पति के पैर की एड़ी अलग हो गई.” उसके बाद पुलिस वाले कुरैशी को घसीटने लगे जिससे पूरे घर पर खून फैल गया. बेटी खातून ने बताया कि वह लगातार पुलिस वालों से विनती कर रही थी, लेकिन हमलावरों ने धमकी दी कि यहां से चले जाओ नहीं तो “इसे और मारेंगे.” मां और बेटी ने मुझे बताया कि कुछ देर में कुरैशी बेहोश हो गए. बेगम ने आरोप लगाया है कि पुलिस वालों ने पति की जेब से 20000 रुपए चुरा लिए. उन्होंने बताया, “मेरे पति अपनी जेब में पैसे रखते हैं क्योंकि उन्हें अगले दिन दुकानदारों को देना होता है. उन्हें अगले दिन एक दुकानदार को 20000 रुपए देने थे क्योंकि उन्होंने कोरोनावायरस लॉकडाउन के समय उधार लिया था. हमलावर सारे पैसे ले कर भाग गए. बेगम ने बताया, “जब मैंने उनसे कहा कि मैं प्रधान को बुला लूंगी, तो एक आदमी ने जवाब दिया वह हमारा क्या बिगाड़ लेगा.” बेटी सुबी ने मुझे बताया कि एक पुलिस वाला अपना मास्क और चप्पल आंगन में छोड़ गया.
गाजीपुर के एसएसपी डॉ. ओपी सिंह ने गाजीपुर पुलिस के ट्विटर हैंडल पर इस घटना से जुड़ा एक वीडियो बयान जारी किया है. उस बयान में उन्होंने कहा है कि थाना दिलदारनगर पुलिस को गोकशी की सूचना मिली थी जिसके बाद वह गांव में सलीम कुरैशी के घर गई थी. पुलिस दिलदारनगर का कहना है जब पुलिस ने दरवाजे पर दस्तक दी तो सलीम कुरैशी पांच फुट की दिवार कूद कर भागने लगे जिससे उनके पैर पर चोट आई है.” बयान में आगे सिंह ने कहा है, “मेरे द्वारा पुलिस अधीक्षक को मौके पर पहुंच कर पूरे प्रकरण की जांच करने का आदेश दिया गया है. अगर किसी तरह की कमी पाई गई तो तदनुसार तत्काल कठोर करवाई की जाएगी.”
मामले के बारे में मैंने सिंह से फोन पर बात की. सिंह ने मुझे बताया कि फिलहाल इस मामले की जांच चल रही है और एक एसआई और तीन सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है. उन्होंने कहा, सीओ जमानियां इसकी जांच कर रहे हैं और जो दोषी होगा उसके खिलाफ कठोर करवाई होगी.”
इलाके के स्वतंत्र पत्रकार नसीम रजा खान का मानना है कि सलीम कुरैशी की चोट के बारे में पुलिस झूठ बोल रही है. खान ने कहा कि वह 30 अगस्त को सलीम के घर गए थे और देखा था कि सलीम की हालत बहुत खराब है. खान ने बताया कि सलीम के घर की दीवार छोटी है, तीन फिट के आसपास. उससे गिरने पर किसी का पैर अलग नहीं हो सकता. जिला अस्पताल की जांच में भी पाया गया है कि “मूल स्थान से हड्डी बाहर नकली है.” खान ने कहा, “पुलिस को अगर जानकारी थी, तो भी इतनी रात वहां जाने का कोई मतलब नहीं था. वह 7-8 बजे भी जा सकती थी.”
समाजशास्त्री अंसारी ने बताया कि पुलिस अक्सर गोकशी के मामले में किसी मुखबिर की सूचना के आधार पर दबिश देती है. उन्होंने बताया, “यहां समस्या यह है कि जब पुलिस को सबूत नहीं मिलते तो वहां लोगों के अंदर भय पैदा करने के लिए उन्हें मारती-पीटती है और ऐसा मुस्लिम समुदाय के गरीब वर्ग के साथ ज्यादा होता है. ये लोग ज्यादातर मजदूर हैं.”
अंसारी ने बताया कि पुलिस के ऐसा करने के पीछे दो कारण हो सकते हैं. एक तो यह कि जबरन वसूली एक धंधा बन गया है और दूसरा, हो सकता है कि पुलिस धर्म के आधार पर भेदभाव कर रही है. उन्होंने कहा कि हिंसा की ऐसी घटनाएं पुलिस के “अतिउत्साह” दिखाने का परिणाम हैं. अंसारी ने बताया, “किसी के घर में तोड़फोड़ करना, किसी का पैर तोड़ दिया जाना, ऐसा काम बहुत ज्यादा हो रहा है. कानून को कड़ाई से लागू करने के नाम पर पुलिस गुंडागर्दी कर रही है.”
फिलहाल कुरैशी को ऑपरेशन के लिए वाराणसी के हरि बंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया है. 1 सितंबर को परिवार ने मुझे बताया था कि उन्हें अब तक नहीं पता चला है कि पुलिस किस लिए उनके घर आई थी. बेटी खातून ने मुझसे कहा, “मेरे अब्बू ने कभी किसी से झगड़ा भी नही किया. वह हमें बताते थे कि चौराहे पर पुलिस वाले अक्सर बिना पैसे दिए ठेले से फल उठा लेते थे. वह घर के अकेले कमाने वाले थे और उनकी भी हालत खराब है. ऑपरेशन का पैसा कहा से आएगा.” सुबी ने कहा, “मैं अपने घर में अकेली पढ़ने वाली थी. इस साल मैंने हाईस्कूल पास किया है. मैंने सोचा था अपने अम्मी-अब्बू का नाम रोशन करूंगी, पर अब तो मेरे सारे सपने टूट गए.”
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