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22 फरवरी 2022 को उत्तराखंड पुलिस ने न्यूज वेबसाइट जनज्वार के पत्रकार किशोर राम के खिलाफ समुदायों के बीच सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और जातीय वैमनस्य फैलाने का आरोप लगा कर आईपीसी की धारा 153ए के तहत मुकदमा दर्ज किया है. जिसके बाद 24 फरवरी को किशोर राम को गिरफ्तार कर पिथौरागढ़ जेल भेज दिया गया. यह समाचार लिखे जाने तक किशोर को जमानत नहीं मिली है.
किशोर राम लगातार दलित, पिछड़ों और गरीबों से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग कर रहे हैं. वह स्वयं जाति से दलित हैं. जिन दो मामलों की वीडियों के आधार पर किशोर को हिरासत में लिया गया है वे दो अलग-अलग मामले हैं. पहला मामला एक दलित युवक की हत्या से जुड़ा है जिसमें 13 फरवरी को पिथौरागढ़ के डीडीहाट ब्लॉक के भैसोढ़ी गांव में युवक रामी राम की पत्थरों से कुचलकर हत्या कर दी गई थी. किशोर राम उस घटना की रिपोर्टिंग करने और मृतक के परिजनों से बात करने पहुंचे थे. परिजनों ने किशोर को बताया कि 13 फरवरी को रामी राम को राजेंद्र देउपा ने फोन करके बुलाया था जिसके बाद गोकुल देउपा पर रामी राम की हत्या की हत्या कर दी गई. रामी राम की पत्नी के आरोप लगाते हुए बताया कि उनका पति कांग्रेस समर्थक था इसलिए बीजेपी से जुड़े लोगों ने उसकी हत्या कर दी.
दूसरा मामला दो नाबालिक दलित लड़कियों के साथ दुष्कर्म से जुड़ा है. एक वीडियो में किशोर राम से बातचीत के दौरान लड़की के पिता बताते हैं कि 18 जनवरी की रात को गौरव बिष्ट और किशन नाम के दो लड़कों ने कार में घुमाने के बहाने उनकी बेटियों को चंगुल में फंसाया फिर पूरी रात उसके साथ दुष्कर्म कर टनकपुर-पिथौरागढ़ हाइवे पर छोड़ दिया. दोनों ही मामलों में पीड़ितों के परिजन प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने प्रशासन पर मामलों में कार्रवाई करने में ढिलाई बरतने के आरोप लगाए हैं. दलित लड़की के पिता ने बताया कि उन्होंने प्रशासन से कार्रवाई करने के लिए कहा लेकिन मामले को टाल दिया गया और साथ ही उनके साथ मुजरिमों जैसा बर्ताव किया गया.
पत्रकार किशोर के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में आरोप है कि "यूट्यूब और फेसबुक पर प्रसारित किए गए दो वीडियों की सोशल मीडिया मोनिटरिंग सेल द्वारा 22 फरवरी को जांच की गई थी जिसमें पाया गया था कि जनज्वार न्यूज पोर्टल के पत्रकार लोगों से बाइट लेते हुए बार-बार उनकी जाति के बारे में पूछ रहे हैं. विडियो में सवर्ण द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों की हत्या करने की बात कही जा रही है जिससे दो जाति विशेष के मध्य सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है."
बीते 15 दिनों में उत्तराखंड में जनज्वार के पत्रकार पर किया गया यह दूसरा मुकदमा है. पहला मुकदमा चुनावी कवरेज करने जा रहे जनज्वार के संपादक अजय प्रकाश की गाड़ी को रोक कर एआरटीओ ने अजय प्रकाश के खिलाफ सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का मुकदमा दर्ज किया था. 7 फरवरी 2022 को उधम सिंह नगर जिले के पुल भट्टा थाने में दर्ज की गई एफआईआर संख्या 0024 में उनपर भारतीय दंड संहिता की धाराएं 186, 188, 269, 270, 253 और आपदा प्रबंधन एक्ट की धारा 56 लगाई गई हैं.
एफआईआर में कहा गया है कि किच्छा क्षेत्र में वाहनों का अधिग्रहण करते समय वाहन संख्या UK06TA-5271 को रोक गया. ड्राइवर से वाहन कागज दिखाने को कहा गया तो उसने दिखाने से मना कर दिया और अपने अन्य दो साथियों कर साथ मिलकर आस-पास भीड़ इकट्टा कर हमलावर होते हुए सरकारी कार्य में व्यवधान उत्पन्न करने की कोशिश की. साथ ही मुकदमे में पत्रकार द्वारा राज्य में आदर्श चुनाव आचार संहिता के पालन हेतु लगाई गई धारा 144 और कोविड-19 महामारी को देखते हुए जारी किए गए आदेशों की अवहेलना करने की बात कही गई है.
राज्य पुलिस द्वारा मामला दर्जे किए जाने को लेकर अजय प्रकाश ने उत्तराखंड चुनाव आयुक्त, उत्तराखंड के परिवहन परिवहन सचिव, पुलिस महानिदेशक, कुमाऊं के पुलिस उपमहानिरीक्षक, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर शिकायत की है जिसमें उन्होंने बताया है कि "7 फरवरी 2022 को मैं अपने साथी अंकित गोयल के साथ चुनावी कवरेज के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा क्षेत्र खटीमा जा रहा था तभी पुल भट्टा थाना क्षेत्र में आरटीओ विपिन कुमार सिंह ने उनकी टैक्सी को रोक कागज दिखाने के लिए कहा जिसके बाद विपिन कुमार ने कागज जब्त कर गाड़ी को चुनाव के लिए अधिग्रहित कर लिया. इतना ही नहीं उन्होंने मां-बहन की गलियां और जेल में डालने की धमकी भी दी." उन्होंने आगे बताया कि थानाध्यक्ष राजेंद्र पांडे से उनका मोबाइल फोन जब्त कर लिए और उन्हें 9 घंटे तक थाने में बंद रखा.
अजय प्रकाश ने पत्र में लिखा है, "विपिन सिंह और पुल भट्टा थानाध्यक्ष राजेंद्र पांडे ने पद का दुरुपयोग करते हुए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता पर हमला कर निष्पक्ष पत्रकारिता को बाधित किया है."
अजय प्रकाश ने पत्र में मामले में कार्यवाही करते हुए विपिन सिंह और राजेंद्र पांडे को तुरंत निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच कर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने, उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को वापस लेने की मांग की है.
वहीं किशोर राम की रिहाई और मामले की पूरी जांच कर दोषी पुलिस अफसरों के खिलाफ उचित कदम उठाने की मांग को लेकर अजय के 28 फरवरी 2022 को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, गवर्नर, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, उत्तराखंड अनुसूचित जाति एंव जनजाति आयोग के अध्यक्ष, पुलिस महानिदेशक, कुमाऊं के पुलिस उपमहानिरीक्षक को भेजे पत्र में उन्होंने किशोर पर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि दोनों वीडियों में किसी भी तरह का आपराधिक कृत्य नजर नहीं आ रहा है. और पुलिस ने किशोर पर इसलिए मुकदमा दायर किया है क्योंकि वीडियों में मामलों को लेकर पुलिस की लापरवाही सामने आती है.
अजय ने पत्र में लिखा है, "पिथौरागढ़ पुलिस द्वारा किशोर को गिरफ्तार करना सिर्फ पत्रकारिता पर हमला ही नहीं बल्कि एक पत्रकार का जाति आधारित शोषण भी है. अगर सामाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार को इस तरह झूठे आरोपों में फंसाकर जेल में डाल दिया जाएगा तो भविष्य में कोई भी पत्रकार जाति अधारित उत्पीड़न और जनता के वास्तविक मुद्दों को सामने लाने के लिए काम नहीं कर पाएगा."
अजय प्रकाश ने घटना को शर्मनाक बताते हुए पुलिस एफआईआर में विरोधाभासी बातों को भी चिन्हित किया है. उन्होंने बताया कि पुलिस किशोर राम के बारे में दावा कर रही है कि उनके पास पत्रकार होने की आईडी नहीं थी लेकिन अपनी ही एफआइआर में वह लिख रही है कि वह जनज्वार चलाते थे. अजय प्रकाश ने यह भी पूछा कि जनज्वार पर सरकारी हमलों के बाद सवाल खड़ा होता है कि सरकार किस तरह की पत्रकारिता करने देना चाहती है. क्या अब सरकारी डिक्टेशन से पत्रकारिता करनी होगी? और क्या स्वतंत्र पत्रकारिता का कोई मायने नहीं है?
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