हिंसा और लूट के जश्न के बीच पांच घंटे

26 फ़रवरी 2020
दिल्ली में 24 फरवरी को सीएए समर्थक और विरोधियों के बीच हुई झड़प में एक आदमी को पीटते लोग. फोटो : 24 फरवरी 2020.
दानिश सिद्दीकी/रॉयटर्स
दिल्ली में 24 फरवरी को सीएए समर्थक और विरोधियों के बीच हुई झड़प में एक आदमी को पीटते लोग. फोटो : 24 फरवरी 2020.
दानिश सिद्दीकी/रॉयटर्स

दिल्ली के गोकलपुरी के आंबेडकर कॉलेज के पास 14 से 35 साल के आदमियों के एक हुजूम ने वहां खड़ी एक कार को घेर लिया. उन लोगों ने कार का पिछला शीशा तोड़ा और ''जय श्री राम'' के नारे लगाने लगे. देखते ही देखते कार का सारा कांच सड़क पर बिखर गया. सड़क के दूसरी ओर से जैसे ही मैंने वीडियो बनाने के लिए अपना मोबाइल निकाला, टू-लेन सड़क की दूसरी तरफ से मोटे-मोटे डंडे मेरी तरफ लहराने लगे. उन्होंने इशारा किया मैं वीडियो न बनाऊं. पूरा माहौल इस कदर भयावह था कि एक तरह के अपराधबोध के साथ मैंने अपना फोन जेब में रख लिया और हाथ उठाकर माफी मांग ली.

23 फरवरी को बीजेपी नेता और आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा ने दिल्ली के जाफराबाद इलाके के मौजपुर चौक में नागरिकता संशोधन कानून (2019) के समर्थन में एक सभा को संबोधित किया. मिश्रा के भड़काऊ भाषण के बाद आसपास के इलाकों में मुस्लिम विरोधी हिंसा शूरू हो गई. जारी हिंसा में अब तक दिल्ली पुलिस के एक कॉन्सटेबल समेत कम से कम 22 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं.

25 फरवरी की सुबह करीब 11 बजे मैं रिपोर्टिंग करने गोकलपुरी जाने के लिए निकला था. इलाके में मुझे जिस आदमी से मिलना था, रास्ते में उसका फोन आ गया कि मैं फिलहाल वहां न आऊं. उसने मुझे बताया कि मेरी “मुस्लिम” दाढ़ी मेरे लिए परेशानी खड़ी कर सकती है.

हमेशा जाम के कारण परेशान करने वाली वह सड़क उस दिन एकदम सुनसान थी. लोनी गोलचक्कर से बाईं ओर यमुना विहार की तरफ जाती सड़क पर जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ रहा था धुंए का बादल गाढ़ा होता जा रहा था. दिल्ली विश्वविद्यालय के आंबेडकर कॉलेज के सामने वाला टायर बाजार जल रहा था. सड़क पर बने लोहे के ओवर ब्रिज के एक कोने में आग की लपटें ऊंची—ऊंची होती जा रही थीं. मेरे बगल में खड़े एक अधेड़ उम्र के आदमी ने कहा, “पेट्रोल पंप में भी आग लग सकती है.” पेट्रोल पंप से आग की दूरी बहुत ज्यादा नहीं थी. जब-तब आग भड़क उठती और धुंआ कुछ कम होता तो सड़क के दूसरी ओर मौजूद हिंदुओं का हुजूम ''जय श्री राम'' का उद्घोष करने लगता.

इसके बाद गोलचक्कर के फ्लाईओवर से पैदल और मोटरसाइकिल सवार भीड़ उसी लेन पर आने लगी. भीड़ के आगे एक लड़का तिरंगा झंडा लिए चल रहा था और उसके पीछे तकरीबन 200 लोगों की भीड़ ''जय श्री राम'' के नारे के साथ आगे बढ़ रही थी. मोटे-मोटे डंडे, लोहे की रॉड और लकड़ी के डंडे के आगे धातु का एक धारदार हथियार लिए भीड़ बेखौफ घूम रही थी. तभी दिल्ली पुलिस की एक गाड़ी वहां से गुजरी. भीड़ ने उसे घेर लिया. मुझे डर लगा कि पुलिस के साथ अब भीड़ हिंसक बर्ताव करेगी. लेकिन अब नारा बदल गया और भीड़ चिल्लाने लगी, ''दिल्ली पुलिस संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं.'' पुलिस की गाड़ी आगे चली गई. सामने सड़क पर दंगा रोधी बल के दो जवान टहल रहे थे. पास में ही दिल्ली जल बोर्ड के गेट के आगे एक 55-60 साल का आदमी खड़ा था. मैंने उससे पूछा, ''बस दो ही पुलिस वाले हैं?'' उसने कहा, ''तीन थे, एक मूतने गया होगा.'' कुछ देर बाद बोर्ड के अन्य कर्मचारी भी बाहर आ गए. उनमें से एक ने खुश होकर कहा, ''वे लोग अब मजार तोड़ रहे हैं.'' जल बोर्ड के गेट के अंदर टैंकर पर खड़े होकर एक आदमी वीडियो बनाने लगा. कुछ लड़के हाथ में पत्थर और डंडे लिए हमारी तरफ बढ़ने लगे. उन्होंने जोर से कहा, ''जय श्री राम.'' मेरे साथ खड़े लोगों ने उतनी ही जोर से जवाब दिया, ''जय श्री राम.'' मामला निपट गया. सारे लोग हंसने लगे. खुशी का माहौल हो गया.

पारिजात कारवां में अनुवादक हैं.

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