23 फरवरी 2023 को करीब 2 बजे लाठियों से लैस पंजाब पुलिस के 800 सिपाही अमृतसर के अजनाला पुलिस स्टेशन के बाहर लगे बैरिकेडों के पीछे चौकस खड़े थे. बैरिकेडों के दूसरी तरफ़ भी उतनी ही भीड़ थी. हाथों में कृपाण लिए ये लोग पालकी की तरह सजी एक बस को घेर कर खड़े थे.
वहां 30 साल का अमृतपाल सिंह राइफलधारियों से घिरी उस पालकी के संग चल रहा था. इससे पहले उसने छह महीनों तक राज्य में घूम-घूम कर स्वतंत्र खालिस्तान की मांग की थी. वह सिखों को सिख धर्म की मूल शिक्षा, जो धर्म की उसकी अपनी परिभाषा थी, पर चलने को कहता.
उस दोपहर चंद मिनटों के भीतर निहंग सिखों ने बैरिकेडों को तोड़ दिया. उपलब्ध मीडिया फुटेज में देखा जा सकता है लाचार होकर पुलिस भीड़ को रास्ता दे रही थी. अमृतपाल और उसके बंदूकधारी समर्थक बस को ढाल की तरह इस्तेमाल करते हुए पुलिस स्टेशन की ओर बढ़ने लगे. जल्द ही भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया. फिर भी पुलिस ने कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की. हाथापाई में एक अधीक्षक समेत कम से कम छह पुलिसकर्मी घायल हुए. अमृतपाल और उसके समर्थकों ने अगले कई घंटों तक स्टेशन पर कब्ज़ा जमाए रखा, अंदर से भाषण देने और वहीं से मीडिया को संबोधित करने के लिए माइक्रोफ़ोन का इस्तेमाल किया. बस स्टेशन के बाहर खड़ी रही और पुलिस हाशिए पर.
इस घटना की वजह थी 16 फरवरी को अजनाला पुलिस स्टेशन में दायर एक प्रथम सूचना रिपोर्ट, जिसमें अपहरण और हमले के एक मामले में अमृतपाल, उसके पांच समर्थकों और बीस अन्य अज्ञात व्यक्तियों का नाम था. मामला सिख मदरसा दमदमी टकसाल (अजनाला) से जुड़े एक उपदेशक वरिंदर सिंह द्वारा दायर किया गया था. वरिंदर पहले अमृतपाल के समर्थक थे लेकिन हाल ही में वह अमृतपाल और उसके समूह, "वारिस पंजाब दे", से अलग हो गए हैं. दो दिन बाद पुलिस ने अमृतपाल के साथी लवप्रीत सिंह उर्फ़ तूफान को एफ़आईआर के सिलसिले में हिरासत में लिया था. लेकिन अमृतपाल को किसी ने छुआ तक नहीं.