फर्जी मसीहा!

अमृतपाल : पंजाब की त्रासदी या स्वांग

30 अक्टूबर 2022 को पंजाब के अमृतसर शहर में स्वर्ण मंदिर में अमृतपाल सिंह (बीच में). दुबई में एक दशक बिताने के बाद अमृतपाल अगस्त में भारत लौटा. अपनी वापसी के बाद की छोटी अवधि में, उसने खुद को सिख समुदाय का रक्षक बना लिया और खालिस्तान की मांग का सबसे स्पष्ट समर्थक बन गया.
नरिंदर नानू/एएफपी/गैटी इमेजिस
30 अक्टूबर 2022 को पंजाब के अमृतसर शहर में स्वर्ण मंदिर में अमृतपाल सिंह (बीच में). दुबई में एक दशक बिताने के बाद अमृतपाल अगस्त में भारत लौटा. अपनी वापसी के बाद की छोटी अवधि में, उसने खुद को सिख समुदाय का रक्षक बना लिया और खालिस्तान की मांग का सबसे स्पष्ट समर्थक बन गया.
नरिंदर नानू/एएफपी/गैटी इमेजिस

23 फरवरी की दोपहर करीब 2 बजे लगभग आठ सौ जवानों की पंजाब पुलिस की एक टुकड़ी लाठियों से लैस हो कर अमृतसर के अजनाला पुलिस स्टेशन के बाहर लगे बैरिकेडों के पीछे मुस्तैद खड़ी थी. बैरिकेडों के दूसरी तरफ भी इतनी ही भीड़ थी. भीड़ में ऐसे लोग भी थे जिनके हाथों में कृपाण थे. ये लोग पालकी बनाई गई एक बस को घेरे हुए थे.

वहां राइफल से लैस मर्दों से घिरे वाहन के साथ चल रहा था 30 वर्षीय अमृतपाल सिंह. इससे पहले उसने पिछले छह महीनों तक राज्य का दौरा किया था और सिखों के लिए एक स्वतंत्र राज्य खालिस्तान की स्थापना की मांग कर रहा था. वह सिख धर्म के मूल उपदेशों को अपने की बात करता, जो और कुछ नहीं धर्म की उसकी अपनी परिभाषा थी.

चंद मिनटों में भीड़ की अग्रिम पंक्ति में खड़े कई निहंग सिखों ने बैरिकेडों को तोड़ दिया. उपलब्ध मीडिया फुटेज में देखा जा सकता है कि किस लाचारी से पुलिस भीड़ को रास्ता दे रही थी. इसके साथ ही, अमृतपाल और उसके हथियारबंद बंदूकधारी बस को ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हुए उसके पीछे चले गए और पुलिस स्टेशन की बढ़ने लगे. जल्द ही, बस को घेरे वाली भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया. फिर भी पुलिस ने कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की. हाथापाई में एक अधीक्षक समेत कम से कम छह पुलिसकर्मी घायल हो गए. अमृतपाल और उनके समर्थकों ने अगले कई घंटों तक स्टेशन पर कब्जा जमाए रखा, अंदर से भाषण देने और वहीं से मीडिया को संबोधित करने के लिए माइक्रोफोन का इस्तेमाल किया. बस स्टेशन के बाहर खड़ी रही और पुलिस हाशिए पर.

3 नवंबर 2022 को पंजाब में मोहाली के पास देसु माजरा गांव में अमृत संचार के दौरान जरनैल सिंह भिंडरांवाले की तस्वीर पकड़े अमृतपाल. 1984 में भारतीय सेना द्वारा भिंडरांवाले की हत्या ने राज्य में एक दशक लंबे विद्रोह को जन्म दिया. भिंडरांवाले भी अमृत संचार का संचालन करता था और अमृतपाल खुद को भिंडरांवाले के उत्तराधिकारी के रूप में पेश करने से हिचकिचाता नहीं है. . संजीव शर्मा/हिंदुस्तान टाइम्स 3 नवंबर 2022 को पंजाब में मोहाली के पास देसु माजरा गांव में अमृत संचार के दौरान जरनैल सिंह भिंडरांवाले की तस्वीर पकड़े अमृतपाल. 1984 में भारतीय सेना द्वारा भिंडरांवाले की हत्या ने राज्य में एक दशक लंबे विद्रोह को जन्म दिया. भिंडरांवाले भी अमृत संचार का संचालन करता था और अमृतपाल खुद को भिंडरांवाले के उत्तराधिकारी के रूप में पेश करने से हिचकिचाता नहीं है. . संजीव शर्मा/हिंदुस्तान टाइम्स
3 नवंबर 2022 को पंजाब में मोहाली के पास देसु माजरा गांव में अमृत संचार के दौरान जरनैल सिंह भिंडरांवाले की तस्वीर पकड़े अमृतपाल. 1984 में भारतीय सेना द्वारा भिंडरांवाले की हत्या ने राज्य में एक दशक लंबे विद्रोह को जन्म दिया. भिंडरांवाले भी अमृत संचार का संचालन करता था और अमृतपाल खुद को भिंडरांवाले के उत्तराधिकारी के रूप में पेश करने से हिचकिचाता नहीं है.
संजीव शर्मा/हिंदुस्तान टाइम्स

इस घटना की वजह थी 16 फरवरी को अजनाला पुलिस स्टेशन में दायर एक प्रथम-सूचना रिपोर्ट जिसमें अपहरण और हमले के एक मामले में अमृतपाल, उसके पांच समर्थकों और लगभग बीस अन्य अज्ञात व्यक्तियों का नाम था. मामला सिख मदरसा दमदमी टकसाल (अजनाला) से जुड़े एक उपदेशक वरिंदर सिंह द्वारा दायर किया गया था. वरिंदर पहले अमृतपाल के समर्थक थे लेकिन हाल ही में वह अमृतपाल और उसके समूह "वारिस पंजाब दे" से अलग हो गए थे. दो दिन बाद पुलिस ने अमृतपाल के साथी लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान को एफआईआर के सिलसिले में हिरासत में लिया था. लेकिन अमृतपाल कई दिनों तक खुला घूमता रहा.

जतिंदर कौर तुड़ वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले दो दशकों से इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स और डेक्कन क्रॉनिकल सहित विभिन्न राष्ट्रीय अखबारों में लिख रही हैं.

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