कांग्रेस की हार का कारण बताने वाला एक गुमनाम खत

04 जुलाई 2019
गुमनाम खत (नोट) के अनुसार, कांग्रेस प्रसार समिति ने विज्ञापन एजेंसियों का चयन करने में आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया.
टी नरायण/ब्लूमबर्ग /गैटी इमेजिस
गुमनाम खत (नोट) के अनुसार, कांग्रेस प्रसार समिति ने विज्ञापन एजेंसियों का चयन करने में आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया.
टी नरायण/ब्लूमबर्ग /गैटी इमेजिस

हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के कारणों का खुलासा धीरे-धीरे हो रहा है. इसी कड़ी में एक गुमनाम खत (नोट) में पार्टी के विज्ञापन अभियान और पार्टी कार्यकर्ताओं को पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार बताया गया है. जून माह से यह गुमनाम नोट सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. इस खत में कांग्रेस के प्रचार अभियान की प्रमुख कमजोरियों का उल्लेख है. नोट में विज्ञापन एजेंसियों के चयन की अपारदर्शी प्रक्रिया, कमजोर प्रचार के कारण पार्टी के चुनावी वादों का लोगों तक न पहुंच पाना और लक्षित समूह तक पहुंचने में विज्ञापनों की असफलता की ओर इशारा है.

अगस्त 2018 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी (एआईसीसी) ने लोकसभा चुनावों के लिए तीन समितियों- 9 सदस्यीय कोर समूह समिति, 13 सदस्यीय प्रचार समिति और 19 सदस्यीय घोषणा पत्र समिति- का गठन किया था. उपरोक्त नोट में प्रचार समिति के कामकाज पर मुख्य तौर पर सवाल खड़े किए गए हैं. उस नोट में लिखा है, “मीडिया में विज्ञापनों के कार्यान्वयन के लिए एजेंसियों के चुनाव में आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया एवं मनमाने तरीके से चयन कर प्रचार समिति को बता दिया गया.”

कांग्रेस के कई नेताओं ने मुझे बताया कि यह आंतरिक नोट पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को एक ऐसी आंतरिक प्रक्रिया के तहत दिया गया है जिसमें शिकायतकर्ता के नाम का उल्लेख नहीं हो सकता और इसलिए मैं इस नोट के लेखकों की पहचान नहीं कर सका. हालांकि कई कांग्रेस नेताओं ने मुझसे पुष्टि की कि उन्होंने यह नोट देखा है और अब यह पार्टी के व्हाट्सएप में शेयर किया जा रहा है. पार्टी के संचार विभाग, प्रसार विभाग, पार्टी नेता और लोकसभा अभियान में शामिल विज्ञापन निर्माताओं ने उस नोट में बताई गई चिंताओं की पुष्टि की. इन लोगों ने प्रचार अभियान की कमजोरियों के बारे में पार्टी की उदासीनता के बारे में भी मुझसे शिकायत की.

चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी की प्रचार समिति को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई थीं. खास तौर पर उसे कांग्रेस के प्रचार नारों को बनाने और उनका डिजाइन तैयार करने, पोस्टर और होर्डिंग तैयार करने और टीवी, प्रिंट, डिजिटल और रेडियो जैसे माध्यमों में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर प्रचार करने का काम सौंपा गया था. विज्ञापन की दुनिया में इस काम को “मीडिया कार्यान्वयन” कहा जाता है. इस आंतरिक नोट के अनुसार प्रसार समिति ने विज्ञापन एजेंसियों का चयन करने में आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया.

नोट में कहा गया है कि पूर्व में जो प्रक्रिया स्थापित की गई थी उसका पालन क्रिएटिव एजेंसी के चयन के लिए तो किया गया परंतु विज्ञापन एजेंसियों का चयन मनमाने ढंग से कर उसे प्रचार समिति को बता दिया गया.

तुषार धारा कारवां में रिपोर्टिंग फेलो हैं. तुषार ने ब्लूमबर्ग न्यूज, इंडियन एक्सप्रेस और फर्स्टपोस्ट के साथ काम किया है और राजस्थान में मजदूर किसान शक्ति संगठन के साथ रहे हैं.

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