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अप्रैल के पहले सप्ताह में दिल्ली पुलिस ने जामिया नगर से ऐसे दो लोगों को गिरफ्तार किया जिन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध में भाग लिया था. जामिया नगर के ही एक तीसरे शख्स को पुलिस स्टेशन में हाजिर होने को बोला गया और बाद में उसे बताया गया कि उसे भी गिरफ्तार किया जा सकता है. शाहीन बाग और जामिया नगर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुझे बताया कि दिसंबर के मध्य से ही पुलिस दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को निशाना बना रही थी. उनके मुताबिक, कोविड-19 से लड़ने के लिए चल रही तालाबंदी में पुलिस को प्रदर्शनकारियों को ट्रैक कर गिरफ्तार करने का एक मौका मिल गया है.
जामिया नगर के रहने वाले आशु खान को 4 अप्रैल को शाहीन बाग पुलिस स्टेशन में बुलाया गया था. उन्होंने शाहीन बाग में सीएए-विरोधी प्रदर्शन में भाग लिया था. उनके वकीलों, अस्थर खान और नजमी खान, के अनुसार, स्टेशन पहुंचने पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उन्होंने कहा कि आशु को क्रमशः जामिया नगर, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और शाहीन बाग पुलिस स्टेशनों में दर्ज तीन एफआईआर के संबंध में गिरफ्तार किया गया है. अस्थर ने मुझे बताया, "एक मामले में उन्हें 45 दिनों के लिए अंतरिम जमानत मिली है, हमने अन्य दो मामलों में जमानत के लिए आवेदन किया है. चार दिन रिमांड में रखकर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है."
नजमी ने बताया कि आशु एक वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और एक स्थानीय स्तर के नेता हैं लेकिन वह किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं है. जामिया नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में 7 लोगों के नाम हैं, जिनमें आशु और जामिया मिलिया इस्लामिया के तीन छात्र शामिल हैं. दिनांक 16 दिसंबर 2019 को एफआईआर दर्ज होने से एक दिन पहले दिल्ली पुलिस ने जामिया के भीतर चल रहे सीएए विरोधी छात्र प्रदर्शन को तोड़ने के लिए विश्वविद्यालय के भीतर बर्बर हिंसा का सहारा लिया था और भारी संख्या में आंसू गैस के गोले दागे थे. यह प्राथमिकी 15 दिसंबर को किए गए "अपराधों" के संबंध में दर्ज की गई है.
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस स्टेशन में दर्ज दूसरी प्राथमिकी इसके एक दिन पहले के "अपराध" के लिए 16 दिसंबर को दर्ज की गई है. भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिसमें गैरकानूनी ढंग से इकट्ठा होने, आग और विस्फोटक पदार्थों द्वारा हुई हानि, सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक बल प्रयोग या हमला और गैर इरादतन हत्या के प्रयास के आरोप हैं. गैर इरादतन हत्या के प्रयास के लिए 7 साल तक की जेल हो सकती है. दोनों एफआईआर में लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 के तहत अपराध भी शामिल हैं.
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस स्टेशन वाली एफआईआर में यह भी उल्लेख है कि एनएफसी क्षेत्र में माता का मंदिर के पास बसों और सार्वजनिक संपत्ति में आग लगाई गई थी. अस्थर ने मुझे बताया, “घटना की सीसीटीवी क्लिप दिखाती है कि आशु खान और अन्य व्यक्तियों, जिनका एफआईआर में उल्लेख किया गया है, का इससे कोई लेना-देना नहीं है बल्कि पुलिस के वहां होने पर संदेह होता है.”
शाहीन बाग पुलिस स्टेशन में तीसरी प्राथमिकी 24 मार्च को महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत दर्ज की गई. इसके तहत आशु सहित कई अन्य लोगों पर भी मामला दर्ज किया गया जिसमें औरतें भी शामिल हैं. इनके खिलाफ शाहीन बाग में सड़क पर नाकाबंदी करने और धरने पर बैठने के लिए मामला दर्ज किया गया है. दिल्ली सरकार ने 22 मार्च को तालाबंदी की घोषणा की और प्रदर्शनों पर रोक लगा दी थी. 24 मार्च को पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा विरोध स्थल को खाली कर दिया गया था.
जामिया नगर के मीरान हैदर ने जामिया में सीएए विरोधी प्रदर्शन में भाग लिया था. हैदर जामिया में पीएचडी के छात्र हैं और राष्ट्रीय जनता दल की युवा शाखा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष हैं. 31 मार्च को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने उन्हें "एफआईआर संख्या 59/2020" से संबंधित नोटिस भेजा. नोटिस में कहा गया है, "आपसे अनुरोध है कि आप 01.04.2020 को सुबह 10 बजे विशेष प्रकोष्ठ, लोधी कॉलोनी, नई दिल्ली के कार्यालय में जांच के संबंध में शामिल हों." इसमें कहा गया है, “अगर आप पेश नहीं होते हैं, तो आपके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसे अत्यावश्यक माना जा सकता है.”
मीडिया रिपोर्चों के मुताबिक, हैदर को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया. समाचार एजेंसी भाषा ने उनके वकील के एक बयान की रिपोर्ट की है जिसमें कहा गया कि उन्हें "उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़काने की साजिश रचने" के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई हिस्सों में फरवरी 2020 के अंतिम सप्ताह में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई थी, जिसमें मुस्लिम समुदायों पर लक्षित हमले हुए थे. 6 अप्रैल को दिल्ली की एक अदालत ने हैदर की पुलिस हिरासत को अगले 9 दिनों के लिए बढ़ा दिया. 15 अप्रैल को अदालत ने उन्हें 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
इसी तरह जामिया नगर के अब्दुल सत्तार को 6 अप्रैल को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के चाणक्यपुरी कार्यालय से नोटिस मिला. इस पर एक सब-इंस्पेक्टर मिनत सिंह ने हस्ताक्षर हैं. नोटिस में सत्तार को अगले दिन पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने के लिए कहा गया था ताकि वह चल रही जांच के संबंध में जानकारी दे सके. नोटिस में कहा गया है, "उपरोक्त मामले में आपकी उपस्थिति आवश्यक है, जो एफआईआर 242/19 में दर्ज किए गए अपराध की जांच के लिए आवश्यक है." इस एफआईआर को भी दिनांक 16 दिसंबर 2019 को दर्ज किया गया था. इसमें कहा गया है, "इसलिए आपको उक्त कथित अपराध से संबंधित ऐसी जानकारी देने के लिए जो आपके पास हो, 07.04.2020 को अधोहस्ताक्षरी के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है."
सत्तार जामिया नगर में अल शिफा स्पेशलिटी अस्पताल में एक लैब तकनीशियन के रूप में काम करते हैं. सत्तार ने कहा, "उन्होंने मुझे सुबह 11 बजे आने के लिए कहा था. लॉकडाउन के कारण, जो लोग अस्पताल के पास रह रहे हैं, वे अतिरिक्त घंटे काम कर रहे हैं. इसलिए मैं नहीं जा सका और उनसे कुछ समय मांगा. ” सत्तार ने कहा कि उन्हें फिर 8 अप्रैल को दोपहर 3 बजे पेश होने के लिए कहा गया था.
"मामला 15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास हुए विरोध प्रदर्शन के बारे में है," सत्तार ने कहा. “मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. मैं राष्ट्रविरोधी गतिविधि में लिप्त नहीं रहा हूं. मैंने केवल विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने, नारे लगाने और अपनी राय जाहिर की थी इसके अलावा कुछ नहीं किया. मैं सिर्फ अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग कर रहा था. मैंने विरोध में हिस्सा लिया था और इस बारे में झूठ बोलने की कोई जरूरत नहीं है. पुलिस का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “जब मैंने उन्हें फोन पर यह बताया तो उन्होंने मुझे पुलिस स्टेशन बुलाया. यहां के कई लोगों को पुलिस स्टेशन जाने के लिए सूचनाएं मिल रही हैं. ”
सत्तार इसके बाद 8 अप्रैल को चाणक्यपुरी स्थित क्राइम ब्रांच ऑफिस गए. उन्होंने बताया कि, "मुझसे पूछताछ के दौरान वहां चार-पांच अधिकारी मौजूद थे. वे 15 दिसंबर को हुई हिंसा की कुछ घटनाओं के बारे में पूछताछ कर रहे थे. मैं उस समय उन स्थानों पर मौजूद नहीं था. मैंने उन्हें यह स्पष्ट रूप से बताया था. लेकिन वे इसे नहीं मान रहे हैं. उन्होंने मुझे बताया कि पूछताछ के लिए बुलाए गए दस लोगों में से, मुझे मिलाकर तीन लोगों को निश्चित रूप से गिरफ्तार किया जाएगा. मैंने उनसे कहा कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है या राष्ट्र के हितों के खिलाफ कुछ नहीं किया है. वे हम पर दबाव बना रहे हैं और झूठे मामलों में लोगों को फंसा रहे हैं. वे उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जिन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शनों में भाग लिया था. ”
सत्तार ने कहा कि उन्हे जामिया नगर पुलिस स्टेशन से फोन करके पूछताछ में उपस्थित होने के लिए कहा गया है. उन्होंने बताया कि उन्हें लॉकडाउन के कारण सामाजिक कार्यकर्ताओं से कानूनी मदद या सहायता प्राप्त करना मुश्किल हो रहा है.
सत्तार ने बताया कि जिस दिन उन्हें पुलिस का नोटिस मिला वह शाहीन बाग पुलिस स्टेशन में कर्फ्यू पास और तालाबंदी से प्रभावित लोगों के लिए भोजन वितरित करने की अनुमति प्राप्त करने के लिए गए थे. "हमें अनुमति मिलने में मुश्किल हो रही थी," उन्होंने मुझसे कहा. "वे पूछ रहे थे कि और किस ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था."
शाहीन बाग और जामिया नगर के अन्य मुस्लिम निवासियों ने भी मुझे बताया कि वे दिल्ली पुलिस द्वारा उत्पीड़न और धमकी के कारण लॉकडाउन से पीड़ित लोगों के लिए राहत कार्य जारी नहीं रख पा रहे हैं. एक कार्यकर्ता, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर मुझसे बात की, ने कहा कि उन्हें डर है कि उन्हें भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा, "क्राइम ब्रांच के अधिकारी इलाके में आए हैं और हममें से कुछ लोगों से पूछताछ कर रहे हैं, जो शाहीन बाग में सक्रिय थे. अधिकारी घरों में जा रहे हैं और परेशानी पैदा कर रहे हैं. हम में से अधिकांश राहत कार्य में लगे हुए हैं और क्योंकि हमें इस तरह से निशाना बनाया जा रहा है, हमें अपना काम रोकना पड़ा. मैंने अब बाहर जाना बंद कर दिया है.”
एक्टिविस्ट ने बताया कि दिसंबर के मध्य में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के शुरू होने के बाद से ही पुलिस उन्हें निशाना बना रही थी. उन्होंने कहा, 'क्राइम ब्रांच के अधिकारी विरोध प्रदर्शनों के शुरू होने के बाद से ही हम में से कुछ लोगों के पीछे पड़े थे. हमें विरोध प्रदर्शन के पहले सप्ताह के दौरान क्राइम ब्रांच और स्थानीय पुलिस स्टेशन से कई फोन आए. उन्होंने बताया कि विरोध प्रदर्शन व्यापक हो गया था और उसे व्यापक समर्थन मिलने लगा था, तो पुलिस डराने या गिरफ्तार करने में सफल नहीं हो पाई. "तब वे रुक गए थे लेकिन उन्होंने इसे फिर से शुरू कर दिया. जहां कहीं भी सीएए विरोधी प्रदर्शन हो रहे थे, वे लोगों को निशाना बना रहे हैं और उठा रहे हैं."
दिल्ली पुलिस ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. स्क्रॉल की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने जामिया के एक अन्य छात्र सफूरा जारगर को भी 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया है. जारगर जामिया समन्वय समिति के मीडिया संयोजक हैं. समन्वय समिति में विश्वविद्यालय के छात्र और पूर्व छात्र शामिल हैं. स्क्रॉल की रिपोर्ट में कहा गया है कि जारगर पर आरोप है कि वह इलाके में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सड़क को रोक रहा था.
मैंने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन की जामिया इकाई के सदस्य चंदन कुमार से भी बात की. कुमार का नाम जामिया नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर में भी है. उन्होंने कहा कि उन्हें जामिया नगर पुलिस स्टेशन से भी फोन आया है कि उनका ठिकाना कहां है. उन्होंने दिल्ली पुलिस का हवाला देते हुए कहा, "उन्होंने अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. वे फोन पर लोगों को धमकी दे रहे हैं और उन्हें स्टेशन पर बुला रहे हैं." राष्ट्रीय नागरिक पंजिका (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, "दिल्ली पुलिस लॉकडाउन का इस्तेमाल एनआरसी-एनपीआर आंदोलन के खिलाफ नैरेटिव गढ़ने के लिए कर रही है."
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