लॉकडाउन में दिल्ली पुलिस की करतूत, सीएए विरोधी आंदोलनकारियों को कर रही गिरफ्तार

18 अप्रैल 2020
24 मार्च को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से शाहीन बाग खाली कराया था. अब दिल्ली पुलिस उन लोगों को निशाना बना रही है जो विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे
बिप्लव भुयान / हिंदुस्तान टाइम्स / गैटी इमेजिस
24 मार्च को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से शाहीन बाग खाली कराया था. अब दिल्ली पुलिस उन लोगों को निशाना बना रही है जो विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे
बिप्लव भुयान / हिंदुस्तान टाइम्स / गैटी इमेजिस

अप्रैल के पहले सप्ताह में दिल्ली पुलिस ने जामिया नगर से ऐसे दो लोगों को गिरफ्तार किया जिन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध में भाग लिया था. जामिया नगर के ही एक तीसरे शख्स को पुलिस स्टेशन में हाजिर होने को बोला गया और बाद में उसे बताया गया कि उसे भी गिरफ्तार किया जा सकता है. शाहीन बाग और जामिया नगर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुझे बताया कि दिसंबर के मध्य से ही पुलिस दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को निशाना बना रही थी. उनके मुताबिक, कोविड-19 से लड़ने के लिए चल रही तालाबंदी में पुलिस को प्रदर्शनकारियों को ट्रैक कर गिरफ्तार करने का एक मौका मिल गया है.

जामिया नगर के रहने वाले आशु खान को 4 अप्रैल को शाहीन बाग पुलिस स्टेशन में बुलाया गया था. उन्होंने शाहीन बाग में सीएए-विरोधी प्रदर्शन में भाग लिया था. उनके वकीलों, अस्थर खान और नजमी खान, के अनुसार, स्टेशन पहुंचने पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उन्होंने कहा कि आशु को क्रमशः जामिया नगर, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और शाहीन बाग पुलिस स्टेशनों में दर्ज तीन एफआईआर के संबंध में गिरफ्तार किया गया है. अस्थर ने मुझे बताया, "एक मामले में उन्हें 45 दिनों के लिए अंतरिम जमानत मिली है, हमने अन्य दो मामलों में जमानत के लिए आवेदन किया है. चार दिन रिमांड में रखकर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है."

नजमी ने बताया कि आशु एक वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और एक स्थानीय स्तर के नेता हैं लेकिन वह किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं है. जामिया नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में 7 लोगों के नाम हैं, जिनमें आशु और जामिया मिलिया इस्लामिया के तीन छात्र शामिल हैं. दिनांक 16 दिसंबर 2019 को एफआईआर दर्ज होने से एक दिन पहले दिल्ली पुलिस ने जामिया के भीतर चल रहे सीएए विरोधी छात्र प्रदर्शन को तोड़ने के लिए विश्वविद्यालय के भीतर बर्बर हिंसा का सहारा लिया था और भारी संख्या में आंसू गैस के गोले दागे थे. यह प्राथमिकी 15 दिसंबर को किए गए "अपराधों" के संबंध में दर्ज की गई है.

न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस स्टेशन में दर्ज दूसरी प्राथमिकी इसके ए​क​ दिन पहले के "अपराध" के लिए 16 दिसंबर को दर्ज की गई है. भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिसमें गैरकानूनी ढंग से इकट्ठा होने, आग और विस्फोटक पदार्थों द्वारा हुई हानि, सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक बल प्रयोग या हमला और गैर इरादतन हत्या के प्रयास के आरोप हैं. गैर इरादतन हत्या के प्रयास के लिए 7 साल तक की जेल हो सकती है. दोनों एफआईआर में लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 के तहत अपराध भी शामिल हैं.

न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस स्टेशन वाली एफआईआर में यह भी उल्लेख है कि एनएफसी क्षेत्र में माता का मंदिर के पास बसों और सार्वजनिक संपत्ति में आग लगाई गई थी. अस्थर ने मुझे बताया, “घटना की सीसीटीवी क्लिप दिखाती है कि आशु खान और अन्य व्यक्तियों, जिनका एफआईआर में उल्लेख किया गया है, का इससे कोई लेना-देना नहीं है बल्कि पुलिस के वहां होने पर संदेह होता है.”

निलीना एम एस करवां की स्टाफ राइटर हैं. उनसे nileenams@protonmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.

Keywords: Delhi Police student protest Jamia Millia Islamia Anti-CAA Protests Citizenship (Amendment) Act
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