19 दिसंबर 2019 को नागरिक-समाज, छात्र और वामपंथी संगठनों ने नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 के विरोध में दिल्ली में दो बड़े मार्चों आयोजन किया. ये मार्च लाल किला और मंडी हाउस में शुरू होने थे. इसी दिन देशभर में ऐसे ही विरोध मार्च का आयोजन हो रहा था. दिल्ली पुलिस ने लोगों को इकट्ठा होने से रोकने के लिए धारा 144 लागा दी. धारा 144 किसी भी क्षेत्र में चार से अधिक लोगों की सभा को प्रतिबंधित करती है. कम से कम सत्रह मेट्रो स्टेशनों को भी अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया और राजधानी के कुछ हिस्सों में इंटरनेट बंद कर दिया गया.
जब प्रदर्शनकारियों ने मार्च करना शुरू किया तो पुलिस ने हजार से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया और उन्हें जबरन बसों में डाल कर राजधानी के अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर छोड़ दिया. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई में स्थित सूरजमल स्टेडियम और उत्तर-पश्चिम दिल्ली के बवाना के राजीव गांधी स्टेडियम में पहुंचाया. दोनों मार्च से बचे प्रदर्शनकारियों ने जंतर-मंतर पर जुटने का फैसला किया. लेकिन पुलिस ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने आ रहे प्रदर्शनकारियों की बस को भी कब्जे में कर लिया.
एक मार्च मंडी हाउस से शुरू हो कर तीन किलोमीटर दूर पार्लियामेंट स्ट्रीट में संपन्न होना था. जेएनयू छात्र संघ के छात्रों ने विश्वविद्यालय से लोगों को लाने के लिए निजी बसों की व्यवस्था की थी. जेएनयू के 23 वर्षीय छात्र बिष्णुप्रिया चक्रवर्ती ने मुझे बताया, "बसों को जेएनयू परिसर के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी और हमें गेट तक पहुंचना था." विश्वविद्यालय में पुलिसकर्मी भी मौजूद थे. “पहले तो पुलिस ने बातचीत के बाद हमारी बस को रवाना होने दिया. बस में चढ़ने से पहले, हमें खबर मिली कि मंडी हाउस में बहुत सारे लोगों को हिरासत में लिया गया है इसलिए हमने जंतर-मंतर जाना तय किया क्योंकि वहां एक संयुक्त विरोध हो रहा था."
दोपहर बाद बस जेएनयू से निकली. बस में पंद्रह लोग सवार थे. उस बस में सवार लोगों ने बताया कि जंतर मंतर से दो किलोमीटर पहले मंडी हाउस में दो पुलिसकर्मी उसमें सवार हो गए. उन्होंने ड्राइवर पर दबाव डाला कि विरोध स्थल से दूर रोके. जैसा कि पुलिस ने ड्राइवर से ऐसा कहा बस में सवार छात्र "दिल्ली पुलिस, हाय हाय" के नारे लगाने लगे. फिर छात्रों ने पुलिस से बातचीत की और बस को धीमा करके लेडी इरविन कॉलेज पर रुकवा दिया.
दोपहर करीब 1.30 बजे, जब मैं मंडी हाउस की ओर जा रहा था, मैंने देखा कि एक बस खड़ी है और उसके आसपास पुलिस मौजूद है. जब मैं बस में पहुंचा, तो यात्रियों ने मुझे बताया कि उन्हें चालीस मिनट से अधिक समय से हिरासत में रखा गया है. वे नारे लगा रहे थे, "दिल्ली पुलिस, वापस जाओ," और पुलिस से रिहा करने की मांग कर रहे थे ताकि विरोध प्रदर्शन में शामिल हो सकें. जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइश घोष भी बस में मौजूद थीं और पुलिस से बातचीत करने की कोशिश कर रही थीं. जिस बस को रोका गया था वह निजी थी. पुलिस इसे नहीं रोक सकती थी.
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