2014 के आम चुनाव से पहले के महीनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता राम माधव ने भारतीय जनता पार्टी के नेता अरुण शौरी से मिलने का समय मांगा. माधव का उनसे एक अनुरोध था. वह चाहते थे कि शौरी आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत की ओर से बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के साथ बात करें.
भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छठे सरसंघचालक हैं. 1925 में नागपुर के ब्राह्मण समुदाय के भीतर से संघ उभरा था. इसके संबद्ध संगठनों का नेटवर्क, जिसे सामूहिक रूप से संघ परिवार के कहा जाता है, भारतीय समाज के लगभग हर पहलू में घुसा हुआ है. हिंदुत्व परिवार के प्रमुख के रूप में आरएसएस अपने लगभग तीन दर्जन संबद्ध संगठनों के लिए वैचारिक ईंधन प्रदान करता है, जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी, देश के सबसे बड़ी ट्रेड यूनियनों में से एक भारतीय मजदूर संघ, विभिन्न विश्वविद्यालयों में सक्रिय एक छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और हिंदू साधुओं के समूह और मठवासी प्रतिष्ठान शामिल हैं. सरसंघचालक इस विशाल बिना आकार वाली प्रणाली पर अंतिम मार्गदर्शक के रूप में शासन करता है.
"आप कृपया नरेन्द्रभाई से मोहनजी के बारे में बात करें," शौरी माधव की इस बात को याद करते हैं. माधव के पास शौरी और मोदी के बीच घनिष्ठता का अनुमान लगाने का अच्छा कारण था. 2013 में दोनों की कई बार मुलाकात हुई थी. उसी साल 18 अक्टूबर को मोदी ने शौरी की एक किताब का विमोचन किया था. शौरी को लगता है कि इसी वजह से यह बात फैल गई कि वह मोदी को अच्छी तरह से जानते हैं.
शौरी बताते हैं, "मैंने राम माधव से पूछा कि क्या हुआ." माधव ने बताया कि भागवत ने मोदी की भाषा और अशिष्ट व्यवहार से नाराजगी जताई थी. शौरी ने कहा, "मोदीजी को नागपुर में मोहनजी से मिलने और उनके साथ, आरएसएस चुनाव अभियान में कैसे योगदान दे सकता है, इस पर चर्चा करने के लिए कहा गया था, “लेकिन मोदीजी ने कहा कि वह नागपुर नहीं जाएंगे और (भागवत) को बैठक के लिए अहमदाबाद आना चाहिए. तब मोहनजी अपने दौरे की सारी योजना बदल कर उनसे मिलने अहमदाबाद पहुंचे.''
एक बार अहमदाबाद में, भागवत ने अनुरोध किया कि बैठक आरएसएस कार्यालय में आयोजित की जाए लेकिन मोदी ने इनकार कर दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि भागवत उनके आवास पर आएं. वे अंततः . आरएसएस के किसी संरक्षक के घर पर मिले. शौरी बताते हैं, "मोदी शायद उनके साथ बहुत रूखे थे. बैठक में भागवत ने मोदी को बताना शुरू किया कि चुनाव अभियान कैसे आयोजित किया जाए, क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं किया जाना चाहिए.” शौरी को माधव ने जो बताया उस के अनुसार, मोदी ने कहा, " मोहनजी एक बात याद रखना. अगर मैंने बीजेपी में जाने के आरएसएस के आदेश का पालन नहीं किया होता, तो शायद मैं उस पद पर बैठा होता जहां आप आज हैं.” मोदी ने संगठन में एक प्रचारक के रूप में कई साल बिताए थे.
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