2 सितंबर 2021 को उदयपुर के एसपी कार्यालय से एक खत जिले के सभी सर्किल ऑफिसरों के नाम जारी हुआ. इस खत में 1 सितंबर 2021 के रोज राजस्थान पुलिस के इंटेलिजेंस विभाग के महानिदेशक के खत का हवाला देते हुए दक्षिण राजस्थान में सक्रिय राजनीतिक दल, भारतीय ट्राइबल पार्टी और अन्य आदिवासी संगठनों पर निगरानी रखने के निर्देश दिए गए थे.
दरअसल पिछले साल 7 सितंबर को आदिवासी युवाओं ने शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 के रिक्त पदों की भर्ती की मांग को लेकर कांकरी डूंगरी नाम के पहाड़ पर धरना शुरू कर दिया था. 24 सितंबर 2020 के रोज यह आंदोलन हिंसक हो गया था. इस घटना की पहली वर्षगांठ पर आदिवासी छात्र से आंदोलन शुरू कर सकते हैं. इस आशंका को मद्देनजर रखते हुए एसपी उदयपुर ने अपने खत में लिखा :
“प्रस्तावित कार्यक्रम के मद्देनजर सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था के दृष्टिगत अपने-अपने क्षेत्राधिकार में भारतीय ट्राइबल (बीटीपी) व अन्य आदिवासी संगठन के वर्तमान में सक्रिय नेता/पदाधिकारियों के नाम, मोबाइल नंबर व संगठन का नाम सहित सूचना दिनांक 05.09.2021 को प्रातः 10 बजे तक, जरिए ई-मेल, आवश्यक रूप से पहुंच जानी चाहिए.”
हालांकि यह खत पुलिस महकमे के अंदरूनी खत-ओ-किताबत का हिस्सा था लेकिन यह रिसते हुए पब्लिक डोमेन में आ गया. इसके बाद मानवाधिकार संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने राज्य के प्रमुख शासन सचिव निरंजन आर्यपुलिस महानिदेशक एमएल लाठर, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव कुलदीप रांका के नाम खुला खत लिखा. इस खत में सवाल उठाया गया कि पुलिस किसी राजनीतिक दल के नेताओं और दूसरे आदिवासी कार्यकर्ताओं की निगरानी किस बिनाह पर कर सकती है. आखिरकार उदयपुर एसपी को अपना खत वापस लेना पड़ा.
लेकिन यह खत बताता है कि कांकरी डूंगरी की घटना के एक साल बाद भी स्थानीय राजनीतिक नेतृत्व और प्रशासन के बीच भरोसे की कितनी कमी है. आखिर क्या है यह कांकरी डूंगरी आंदोलन जो एक साल बाद भी प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. इसे समझने के लिए आपको तकरीबन 10 महीने पीछे चलना पड़ेगा.
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