11 जुलाई को 81 वर्षीय जानेमाने कवि वरवर राव ने महाराष्ट्र के तलोजा केंद्रीय कारागार से अपनी पत्नी हेमलता को फोन किया. वह बेसुध लग रहे थे और उनकी बोली भी बेतरतीब थी. यह बात वरवर राव के परिवार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताई है. 12 जुलाई को जारी उस विज्ञप्ति में लिखा है, "स्वास्थ्य से संबंधित सवालों का उन्होंने सीधा जवाब नहीं दिया और अपने पिता और मां के अंतिम संस्कार से जुड़ी अजीब-अजीब सी बातें करते रहे जबकि उनके पिता की मृत्यु सात दशक पहले और मां की मृत्यु चार दशक पहले हो चुकी है.” परिवार ने बताया कि उनके साथ जेल में कैद कार्यकर्ता वरनॉन गोंजाल्विस ने उनसे फोन ले लिया और हमें जानकारी दी कि वह बोलने की हालत में नहीं हैं और न खुद से टॉयलेट जा पाते हैं, न ब्रश कर पाते हैं.
परिवार ने लिखा है कि उन्हें बताया गया है कि वरवर राव हमेशा मतिभ्रमित रहते हैं और उन्हें लगता रहता है कि उन्हें रिहा किया जा रहा है और परिवार जेल के गेट के बाहर उनका इंतजार कर रहा है. जेल में बंद सहबंदी ने परिवार को बताया है कि उन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की तुरंत जरूरत है. 12 जुलाई को वरवर राव की पत्नी हेमलता और उनकी तीनों बेटियां चिंतित और तनावग्रस्त लग रही थीं. उन लोगों ने मीडिया के जरिए केंद्र और राज्य सरकारों एवं गृह मंत्रालय से अपील की कि राव को तत्काल मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में शिफ्ट किया जाए.
12 जुलाई की दोपहर में तलोजा जेल अधीक्षक कौस्तुभ कुरलेकर ने राव की हालत गंभीर होने की बात से इनकार किया. उन्होंने मुझसे फोन में कहा, “उनकी हालत सामान्य और स्थिर है. उन्हें उम्र से संबंधित परेशानियां हैं, जैसे ब्लड प्रेशर, पल्स रेट, ऑक्सीजन का स्तर कम होना आदि लेकिन अन्य चीजें सामान्य हैं. कोई बात नहीं है.” परिवार द्वारा प्रेस को दिए बयान के बारे में उन्होंने कहा, “कुछ गलत जानकारियां जेल से बाहर जा रही हैं, जो ठीक बात नहीं है. वे उनकी बात बताएंगे, हम अपनी बात बताएंगे.”
लेकिन राव का परिवार उनके स्वास्थ्य को लेकर बेचैन है. जनवरी 2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के आरोप में उस जेल में बंद 11 लोगों में वरवर राव की उम्र सबसे अधिक है. उम्र के साथ उन्हें अन्य स्वास्थ्य परेशानियां भी हैं जैसे फेफड़े का रोग और हाइपरटेंशन आदि. इससे उन्हें नोवेल कोरोनावायरस का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. मई में तलोजा जेल में कोरोनावायरस से एक कैदी की मौत हो गई थी. पिछले महीने राव खुद बीमार पड़ गए थे और उन्हें तीन दिनों तक अस्पताल में भर्ती रखा गया और पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हुए बिना ही डिस्चार्ज कर दिया गया था. राव की बेटी पी पवना ने मुझे बताया, “ मेरी आखिरी बार उनसे 24 जून को बात हुई थी. तब उन्होंने कहा था कि वह ठीक हैं लेकिन वह सामान्य नहीं लग रहे थे और ऐसा लग रहा था कि वह दबाव में आकर ऐसा बोल रहे हैं.”
जेल से दो मिनटों के उनके फोन कॉलों के सिवा, परिवार के पास उनके स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी हासिल करने के बहुत कम माध्यम हैं. महामारी शुरू होने के साथ कारावास के अधिकारियों ने परिवार से बातचीत की अनुमति बहुत कम कर दी है. परिवार ने बताया कि जब वह अस्पताल में भर्ती थे, तब भी कारावास के अधिकारी परिवार को उनके स्वास्थ्य से संबंधित अपडेट नहीं दे रहे थे. 2 जुलाई को जब राव ने फोन किया तो वह बहुत कमजोर, बेतरतीब और यहां-वहां की बात कर रहे थे. परिवारवालों ने मुझसे कहा, “हमें डर है कि उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा है.”
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