बिहार चुनाव में चंद्रवंशी समाज का बढ़ता दखल   

अब तक हर बार तेजस्वी यादव को मगध से मज़बूत समर्थन मिलता रहा है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं दिख रहा. माना जा रहा है कि इस बार मगध राजद को झटका देगा. सुनील कश्यप

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बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र मगध क्षेत्र में एक नई सामाजिक और राजनीतिक चेतना उभरती दिखाई दे रही है. ख़ुद को महाभारत काल के मगध सम्राट जरासंध का वंशज मानने वाला चंद्रवंशी समाज, इस बार चुनावी राजनीति में सक्रिय और असरदार भूमिका में दिख रहा है.

बीते 1 नवंबर को राज्य में जरासंध की 5228वीं जयंती मनाई गई. इस दौरान मैंने गया जी से होते हुए राजगीर और जहानाबाद का दौरा किया. इन इलाकों में चन्द्रवंशी कहार समाज बसता है. इस साल फ़रवरी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजगीर में जरासंध अखाड़े पर जरासंध की एक प्रतिमा लगवाई और जयंती को राजकीय छुट्टी घोषित की. राजगीर कभी मगध की राजधानी हुआ करता ​था. इसे लेकर चन्द्रवंशी समाज खुश है. हालांकि, चुनावी आचार संहिता के चलते इस बार जयंती का भव्य आयोजन नहीं हो सका, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए पूरे प्रदेश में इसकी चुनावी गूंज सुनाई दी.

बिहार का यह चंद्रवंशी समुदाय एक बड़ी आबादी वाला अतिपिछड़ा समाज है. इस बार चुनाव में सभी प्रमुख दलों ने समाज से उम्मीदवार उतारे हैं. इसे समाज अपनी जीत मान रहा है. अपने चुनावी दौरे में उनका मन टटोलने की कोशिश करते समझ आया कि इस नई राजनीतिक चेतना के उभरने में तीन ख़ास वजह रही हैं: सोशल मीडिया के ज़रिए भरपूर जानकारी मिलना, जातीय पहचान पर आधारित राजनीतिक जागरूकता और सामाजिक मतभेदों को लेकर बढ़ती संवेदनशीलता.

चुनाव के बीच जारी एक वायरल वीडियो बखूबी असर जमाता दिख रहा है. वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि एक बाभन भूमिहार व्यक्ति चंद्रवंशी समाज के नेता को वोट न देने की बात कह कर भद्दी जातिगत टिप्पणी कर रहा है. उस वीडियो में वह व्यक्ति चंद्रवंशी समाज के नेता को पानी पिलाने वाला कह कर अपमानित कर रहा है. यह वीडियो पिछले लोकसभा चुनाव का बताया जा रहा है. उस चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के चंदेश्वर चंद्रवंशी राजद के सुरेन्द्र यादव से जहानाबाद सीट हार गए थे. वहीं, बाभन भूमिहार समाज में वीडियो में कही गई बात को लेकर कोई पछतावा नहीं है. जहानाबाग कचहरी में वकालत करने वाले राजेश कुमार ने, जो बाभन समाज से हैं, मुझसे कहा, ‘सही तो कहा है, वह पानी पिलाते थे. हम वोट बीजेपी को देते हैं, प्रत्याशी को देते हैं.’

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