10 नवंबर को भारतीय जनता पार्टी ने तेलंगाना के दुब्बाक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का उपचुनाव जीतकर राज्य में पैठ मजबूत कर ली. बीजेपी प्रत्याशी माधवनेनी रघुनंदन राव ने तेलंगाना राष्ट्र समिति के सोलीपेटा सुजाता को 1079 मतों से हराया. बीजेपी को 38.47 प्रतिशत वोट हासिल हुए और टीआरएस के हिस्से में 37.82 प्रतिशत वोट आए.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव या केसीआर के लिए यह हार एक झटका है क्योंकि सत्तारूढ़ टीआरएस को दुब्बाक सीट जित लेने का पूरा भरोसा था. पार्टी के वरिष्ठ सदस्य इस बारे में बयान भी देते रहे. हैदराबाद से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस सीट पर 2018 के विधानसभा चुनावों में टीआरएस उम्मीदवार सोलिपेटा रामलिंगा रेड्डी ने कांग्रेस के उम्मीदवार को 62500 मतों के अंतर से हराया था. उनकी मृत्यु के बाद उपचुनाव की घोषणा हुई और टीआरएस ने उनकी पत्नी को पार्टी का गढ़ माने जाने वाले निर्वाचन क्षेत्र में आसान जीत जाने की उम्मीद में टिकट दे दिया. यह जीत बीजेपी के इस दावे को भी मजबूत करती है कि पार्टी ने राज्य में मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस का स्थान लेना शुरू कर दिया है.
हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के सेवानिवृत्त प्रोफेसर मुदासानी कोदंडाराम ने मुझे बताया, "टीआरएस का विरोध किया गया और लोगों ने उस पार्टी को वोट दिया, जो सत्ता संभालने के लिए सबसे मजबूत दिखी. तो क्या यह बीजेपी के लिए राज्य में रास्ता खुलेगा? निश्चित रूप से, हां. उसका कैडर खुश होगा और समर्पण के साथ काम करेगा. यह कांग्रेस पार्टी के राज्य में कमजोर होने का संकेत है."
2018 के विधानसभा चुनावों में टीआरएस ने 119 सीटों में से 88 सीटें जीती थीं. तब कांग्रेस ने 19 सीटें हासिल की थीं, जबकि बीजेपी ने केवल एक सीट जीती थी, जो उसकी पिछली पांच सीटों से भी कम थी. हालांकि, राज्य में बीजेपी के पैर जमाने के संकेत 2019 के आम चुनाव में मिल गए थे, जब उसने चार संसदीय क्षेत्रों में जीत हासिल की थी. दुब्बाक निर्वाचन क्षेत्र उत्तरी तेलंगाना क्षेत्र के सिद्दीपेट जिले में स्थित है जो टीआरएस का गढ़ माना जाता है.
दुब्बाक सीट हारना टीआरएस के लिए शर्मनाक है क्योंकि यह तीन विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं से लगा है जिनका प्रतिनिधित्व सत्तारूढ़ कल्वाकुंतला परिवार के सदस्य करते हैं. केसीआर खुद दक्षिण में गजवेल का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनके दामाद और वित्त मंत्री थन्नेरू हरीश राव पूर्व में सिद्दीपेट का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनके बेटे और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कल्वाकुंतला तारक राम राव, जिन्हें आमतौर पर केटीआर के रूप में जाना जाता है, उत्तर में सिरकिला का प्रतिनिधित्व करते हैं. टीआरएस की हार के कारण मुख्यमंत्री की कथित निरंकुशता पर लोगों की नाखुशी, ग्रामीण तेलंगाना में जातिगत समीकरणों का बदलना और किसानों को नाराज करने वाली कृषि नीति थे.
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