19 जनवरी 2022 को दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में अपना दल और निषाद पार्टी के साथ यूपी विधानसभा चुनाव में सीटों के बटवारे पर सहमति बन जाने के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बैठक की एक तस्वीर ट्वीट कर उसके साथ लिखा, “उत्तर प्रदेश में फिर एक बार, NDA 300 पार.”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने ट्विटर हैंडिल से ऐसा ही दावा करते हुए ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि “बीजेपी ने आज यूपी के अपने दो महत्वपूर्ण सहयोगी अपना दल और निषाद पार्टी के साथ यूपी चुनाव का गठबंधन किया है.” आदित्यनाथ ने विश्वास व्यक्त किया कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन दो-तिहाई से अधिक सीटें जीत कर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाएगी.
बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री और अपना दल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने कहा कि “अपना दल बहुत लंबे समय से एनडीए गठबंधन का हिस्सा है. यूपी को सामाजिक न्याय और विकास दोनों की जरूरत है और हमारा गठबंधन सामाजिक न्याय और विकास पर खरा उतरा है.
यूपी चुनाव में सामाजिक न्याय हमेशा से ही बड़ा मुद्दा रहा है. बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने सामाजिक न्याय के मुद्दे को आधार बना कर राज्य में अपना विस्तार किया और सरकारें बनाईं.
लंबे समय तक माना जाता रहा कि सामाजिक न्याय का मुद्दा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे की मुनासिब काट है. इस भरोसे के पीछे की वजह यह थी कि संघ के राम जन्मभूमि आंदोलन का केंद्र होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में सामाजिक न्याय की विचारधारा से प्रेरित निचली जातियों के ध्रुवीकरण के चलते बीजेपी साल 2002 से निरंतर कमजोर होती गई. लेकिन 2014 में उसने अपना दल और अन्य गैर-यादव ओबीसी पार्टियों के साथ गठबंधन बना कर चुनाव लड़ा और उसे अभूतपूर्व जीत हासिल हुई. उसके नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने लोक सभा की 80 सीटों में से 73 सीटें जीती. मोदी समर्थक दक्षिणपंथी विश्लेषक 2014 के लोक सभा चुनाव और फिर 2017 के प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत को “मोदी लहर” का कमाल भले बताते रहे हैं लेकिन वे जीतें तथाकथिक मोदी लहर से अधिक ओबीसी जातीयों के विकेंद्रीकरण का परिणाम थीं.
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