कश्मीर लोकसभा चुनाव में बीजेपी की प्रॉक्सी पार्टियों की भूमिका

8 मार्च 2020 को श्रीनगर में अपने आवास पर जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के लॉन्च पर अल्ताफ बुखारी (बीच में). कश्मीर में बीजेपी एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी गुप्त रूप से अपनी पार्टी और सज्जाद गनी लोन के नेतृत्व वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का समर्थन कर रही है. तौसीफ मुस्तफा/एएफपी/गैटी इमेजिस

नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद पहली बार श्रीनगर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 2024 के आम चुनाव के चौथे चरण में 13 मई को मतदान हुआ. मोदी की भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि कश्मीर घाटी में शांति लौट आई है, जबकि कई रिपोर्टों से पता चलता है कि वह इस क्षेत्र में नागरिक स्वतंत्रता पर रोक लगा रही है.

बीजेपी कश्मीर संभाग की तीन लोकसभा सीटों में से किसी पर भी चुनाव नहीं लड़ रही है. हालांकि, अप्रैल में जम्मू में रैली के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मतदाताओं से कांग्रेस और प्रमुख कश्मीरी पार्टियों, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, को वोट नहीं देने के लिए कहा था. यदि मतदाताओं ने उनकी सलाह पर ध्यान दिया होगा, तो उनके पास केवल दो प्रमुख विकल्प बचे होंगे: श्रीनगर और अनंतनाग-राजौरी के निर्वाचन क्षेत्रों में अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी और बारामूला में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार सज्जाद गनी लोन. दोनों पार्टियों पर बीजेपी की प्रॉक्सी होने का आरोप लगता है.

5 अगस्त 2019 को शाह ने घोषणा की कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर राज्य की स्वायत्त स्थिति को रद्द कर दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर रही है. इस निर्णय की घोषणा इंटरनेट पर सख्ती रखकर, सेना की व्यापक उपस्थिति और घाटी में फैले असंतोष के बीच की गई थी. यहां तक ​​कि जम्मू-कश्मीर के सबसे वरिष्ठ नेताओं, एनसी के फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, को कई महीनों तक नजरबंद रखा गया. कश्मीर में राजनीतिक नेतृत्व का एक खालीपन था जिसे भरने की कोशिश तब से विभिन्न गुट कर रहे हैं.

370 के हटाए जाने के लगभग एक साल बाद, सात राजनीतिक दलों- कांग्रेस, एनसी, पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस और जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट- ने दूसरे गुप्कर घोषणा पर हस्ताक्षर किए जो राज्य में संवैधानिक प्रावधानों को बहाल करने के लिए एक साथ लड़ने का संकल्प है.