2024 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में कम मतदान का सिलसिला जारी है, जो राष्ट्रीय औसत से लगभग दस फीसदी अंक पीछे रह गया. ज़मीनी रिपोर्टों के अनुसार 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह के बावजूद पार्टी कार्यकर्ताओं में टिकट के बंटवारे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को हाशिए पर धकेले जाने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक बार फिर बंपर वापसी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को दरकिनार किए जाने को लेकर बनी धारणा के चलते व्यापक असंतोष है. बीजेपी के पन्ना प्रमुखों के साथ-साथ आरएसएस कैडर भी कथित तौर पर कई निर्वाचन क्षेत्रों से नदारद हैं.
मतदान प्रतिशत में गिरावट बीजेपी के पारंपरिक ऊंची जाति के आधार में अधिक है. पार्टी के मुख्य समर्थकों के बीच उत्साह की कमी एक कारण है क्योंकि मतदान के दिन अपने दोस्तों और पड़ोसियों को एकजुट करने के लिए पार्टी उन पर निर्भर रहती है. बंटे हुए मतदाता और कोई स्पष्ट राष्ट्रव्यापी लहर नहीं होने के चलते, कम मतदान वाला चुनाव अक्सर उलझे मतदाताओं को मनाने के बजाए अपने खुद के समर्थकों को बाहर निकालने की चुनौती बन जाता है.
13 मई को चौथे चरण के मतदान के दिन हमने उन्नाव का दौरा किया जहां फायरब्रांड हिंदू साधु सच्चिदानंद हरि, जिन्हें साक्षी महाराज के नाम से जाना जाता है, चार लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत कर सांसद बने थे. चुनाव आयोग के अनुसार, लखनऊ और आगरा के बीच गंगा के तट पर स्थित घनी आबादी वाले इस निर्वाचन क्षेत्र उन्नाव में 55.4 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2019 की तुलना में कम है. हमने उन्नाव अभियान का प्रबंधन करने वाले कई बीजेपी कार्यकर्ताओं से बात की कि क्या उन्हें अपने मतदाताओं को वोट दिलावाने लाने के लिए मेहनत करनी पड़ रही है.
अभियान का समन्वय कर रहे पार्टी के पूर्व शहर अध्यक्ष सुशील तिवारी और लगभग एक दर्जन मतदान केंद्रों पर मतदान के प्रयासों का समन्वय कर रहे जगदीश प्रसाद सैनी ने हमें वही घीसे-पीटे बहाने गिनाए. उन्होंने कम मतदान के लिए भीषण गर्मी को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि भले ही लोगों को सत्ता से शिकायत हो, फिर भी वे मोदी और आदित्यनाथ को ही वोट देंगे. हालांकि, बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष आशीष रावत; उरैहन खेड़ा गांव के पांच मतदान केंद्रों के बीजेपी समन्वयक के के राम कश्यप और पितनहारा में बीजेपी के एक बूथ अध्यक्ष राम प्रसाद ने हमें बताया कि उनका मानना है कि उन्नाव में चुनाव पिछली बार की तुलना में अधिक कांटे का होगा. उन्होंने साक्षी पर निर्वाचन क्षेत्र की उपेक्षा करने का आरोप लगाया और कहा कि जिले में विकास की कमी, साथ ही बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई ने बीजेपी कैडर को हतोत्साहित कर दिया है और मतदाताओं को नाराज़ कर दिया है.