जी20 और देश का कंपनी बन जाना

25 सितंबर 2023
कारवां के लिए शाहिद तांत्रे
कारवां के लिए शाहिद तांत्रे

जी20 सम्मेलन के प्रचार के लिए देश भर में लगे बिलबोर्डों में मोदी की तस्वीर को बड़ा हिस्सा दिया गया था. एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली हवाई अड्डे से सम्मेलन के मेहमानों के होटलों तक लगे हजारों विज्ञापनों के एक चौथाई विज्ञापनों में प्रधानमंत्री मुस्कुरा रहे हैं. मोदी के लिए स्वयं का इस तरह का प्रचार बिल्कुल नई बात नहीं है, बल्कि उनकी फोटों हमने ऐसी चीजों में भी देखी हैं जिनसे उनका कोई लेना-देना नहीं होता. मसलन, कोविड-19 के टीकों के सर्टिफिकेटों में और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की प्रचार सामग्री में भी, जिसने अपने बजट का 56 फीसदी तो विज्ञापन पर ही खर्च कर डाला.

लेकिन अन्य दृश्यसामग्री और पदावलियां भी सम्मेलन के प्रचार में दिखाई दीं, जैसे भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह कमल का निशान, ऐतिहासिक धरोहरों में जी20 के लोगो का प्रोजेक्शन, छह लाख से अधिक गमले लगाना और बंदरों को भगाने के लिए जगह-जगह लंगूरों के कट आउट्स लटकाना. इसके अलावा, आयोजन से पहले भारत की विशाल गरीबी को छिपाने के लिए झुग्गियों को ग्रीनशीट से ढक दिया गया.

जी20 सम्मेलन से जुड़े 200 से अधिक आयोजन हुए और दिसंबर 2022 से लेकर इस साल अप्रैल तक इसके विज्ञापन पर 50 करोड़ 60 लख रुपए खर्च हुए, जो दिखता है कि यह ब्रांडिंग की कितनी बड़ी एक्सरसाइज थी. साड़ियों और "सांस्कृतिक धरोहर" के विज्ञापनों, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के लिए शैंपेन के आयात और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा की पत्नी को उपहार में पशमीना शॉल दिए जाने को भारतीय मीडिया ने देश के "सॉफ्ट पावर" की झांकी करार दिया. यहां तक कि स्कूलों में जी20 विषय पर पोस्टर प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं.

बस स्टॉपों, पेट्रोल पंपों और शहर में हर कहीं लगीं होर्डिंगें पर्यावरण की चिंता में चींख-चींख कर दावा कर रही थीं कि यह आयोजन "धरती को प्यार करने वालों द्वारा धरती की खुशहाली के लिए है." इस बीच लोगों को उनके घरों से उजाड़ा जा रहा था. मार्च में जी20 के लिए शहर के सौंदर्यीकरण के मकसद से गरीबों के घरों पर बुलडोजर चला दिए गए जिसके बाद जुलाई की बाढ़ में उनको भयानक स्थिति का सामना करना पड़ा. आजकल ग्रीनवॉशिंग का बड़ा चलन है. यह शब्द ब्रेनवॉशिंग से आया है जिसका इस्तेमाल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कारपोरेटों के ऐसे कृत्यों के लिए होता है जिसमें वे दिखाते हैं कि वे पर्यावरण को बचाने के लिए कितना काम कर रहे हैं. इस साल विश्व पर्यावरण दिवस पर माइनिंग कंपनी वेदांता, जिसके कामों का पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए जबरदस्त विरोध होता रहा है, ने स्कूलों में दस हजार पौधे लगाने की घोषणा की. ग्रीनवाशिंग अब इतना चलन में आ गया है या कहें कि इतना बदनाम हो चुका है कि अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्थाएं कारपोरेट कंपनियों को "नेचर पॉजिटिव" या "पर्यावरण अनुकूल" जैसे शब्दों के बेजा इस्तामल के लिए चेतावनियां देने लगी हैं.

आज राष्ट्रों का रुख राष्ट्र निर्माण से राष्ट्र की ब्रांडिंग की तरफ हो गया है और उग्र राष्ट्रवाद और प्रचार के बीच मजबूत नाता बन गया है.

माया पालित कारवां की बुक एडिटर हैं.

Keywords: G20 Summit branding India Shining
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