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उत्तर प्रदेश में संभावित नगर निगम चुनावों को लेकर बसपा सक्रिय है. हालांकि इनकी तारीख अभी तय नहीं हुई है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि ये इसी साल होंगे. उत्तर प्रदेश में 17 नगर निगम, 200 नगर पालिकाएं, 545 नगर पंचायतें हैं, जिन पर स्थानीय निकाय के चुनाव होने हैं. 2017 में बसपा के पास 17 नगर निगम में दो- मेरठ और अलीगढ़- जीते थे. साथ ही 29 नगर पालिकाएं और 45 नगर पंचायतें बसपा के पास थीं.
बसपा ने तय किया है कि किस कार्यकर्ता ने अपने क्षेत्र में कितना काम किया, इसकी रिपोर्ट अब हर सप्ताह उन्हें देनी होगी. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा अध्यक्ष मायावती ने पदाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सभी संयोजकों के काम की प्रत्येक सप्ताह समीक्षा की जाए.
इससे पहले मायावती ने 31 दिसंबर 2022 को जिला स्तर तक के पदाधिकारियों को लखनऊ बुला कर समीक्षा की थी. बैठक में उन्होंने कहा था कि निकाय चुनाव जल्द होता नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में सभी कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुट जाएं. इसी आधार पर पार्टी की बूथ कमिटियों को भी दुरुस्त करने की योजना बनाई गई थी और साथ ही "गांव चलो अभियान" के तहत दलितों, अतिपिछड़ों और मुसलमानों के मोहल्लों में कैडर कैंप लगाने की बात भी हुई थी. मायावती इन कामों की सप्ताहवार रिपोर्ट बसपा मंडल संयोजकों से लेंगी. सभी संयोजकों से कहा गया है कि वे पूरे सप्ताह भर की योजनाओं का खाका तैयार करें और उस पर काम करें, यानी वे बताएं कि एक सप्ताह में उन्होंने कितने सदस्य बनाए, मंडल में कितनी बैठकें कीं और खासतौर पर कितने युवाओं को जोड़ा.
एक तरफ बसपा ज्यादा से ज्यादा युवाओं को पार्टी से जोड़ने और सदस्य बनाने पर जोर दे रही है, वही वह ओबीसी और पासमांदा मुस्लिम मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए काम कर रही है. बीजेपी द्वारा पासमांदा सम्मेलन शुरू करने से बसपा एक हद तक परेशान है और इसलिए उसने अपनी टीमों को इस वर्ग के बीच उतारा है.
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