मध्य प्रदेश के शिवपुरी में दो दलित बच्चों की हत्या के बाद खौफजदा पीड़ित परिवार

03 अक्टूबर 2019
घटना के बाद जातीय हिंसा की आशंका के चलते गांव में दंगा-रोधी वैन और पुलिस की जीप तैनात की गई हैं.
फोटो : अमन गुप्ता
घटना के बाद जातीय हिंसा की आशंका के चलते गांव में दंगा-रोधी वैन और पुलिस की जीप तैनात की गई हैं.
फोटो : अमन गुप्ता

दिन के दूसरे पहर जब मैं मध्य प्रदेश में शिवपुरी जिले के भावखेड़ी गांव पहुंचा तो सुबह हुई बरसात के बाद जमीन गीली थी. मगर लगता था कि मिट्टी से सौंधी नहीं, दहशत की बू आ रही है. दो दिन पहले इस मिट्टी में दो मासूम बच्चे, 10 साल का अविनाश और 12 साल की रोशनी, दफनाए गए थे. 25 सितंबर की सुबह इन बच्चों की सरे-आम हत्या के बाद से ही गांव में एक अजीब-सी खामोशी पसरी थी. कत्ल के आरोप में पुलिस ने रामेश्वर और हाकिम को गिरफ्तार तो किया लेकिन इन आरोपियों का परिवार गांव से फरार हो गया है. गांव वालों ने मुझे बताया कि आरोपी गांव के सरपंच के रिश्तेदार हैं.

इस दोहरे कत्ल के पीछे जातीय समीकरण बताए जाने से किसी टकराहट की आशंका के चलते गांव में दंगा-रोधी वैन और पुलिस की जीप तैनात की गई हैं. मेरे वहां रहते घर में नेता, समाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों का लगातार आना जाना लगा हुआ था. सभी परिवार को ढाढ़स बंधा रहे हैं. मृतक बच्चे की मां तब तक बेसुध थी और परिवार के दूसरे सदस्य गमजदा और खौफजदा. हालत यह थी बेटे अविनाश के पिता मनोज वाल्मीकि शायद ही शांत बैठकर अपने बेटे और बहन के मरने का गम मना सकते थे. जो भी आता है मनोज उनके सामने किसी मशीन की तरह घटना के बारे में बताना शुरू कर देते और सबसे कहते, “आप लोग साथ हैं तो आरोपियों को सजा होकर रहेगी.” उसी वक्त बसपा की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल वहां आए. पिप्पल ने सरकार और प्रशासन की लापरवाही पर तो सवाल उठाए लेकिन यह नहीं बताया कि उनकी पार्टी जो राज्य सरकार में शामिल है, किस तरह का दबाव बनाएगी ताकि आरोपियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जा सके. मध्य प्रदेश में बसपा कांग्रेस सरकार में जूनियर पार्टनर के रूप में शामिल है.

25 सितंबर की सुबह अविनाश और रोशनी की लाठियों से पीट-पीट कर हत्या कर दी गई. दोनों तकरीबन सुबह छह बजे शौच के लिए घर से बाहर गए थे. कत्ल कर दिए गए दोनों बच्चे रिश्ते में बुआ-भतीजे लगते थे. मनोज वाल्मीकि ने बताया कि अविनाश उनका सबसे छोटा बेटा और रोशनी उनकी सबसे छोटी बहन थी. मां के न होने के कारण वह मनोज के यहांआकर रहती थी. घटना वाली रात के बारे में मनोज का कहना है कि रात में उनके सभी बच्चों ने खाना खाया और वहीं घर के बाहर खेलते-खेलते सो गए. “घर में शौचालय न होने के कारण शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है इसलिए सब लोग सुबह जल्दी जागते हैं ताकि गांव वालों की नजर पड़ने से पहले शौच आदि से निवृत हो सकें.”

अविनाश और रोशनी के परिवार वालों से मैंने हत्या के सम्भावित कारणों को जानने की कोशिश की. पिता मनोज ने बताया कि बच्चे वारदात से एक दिन पहले रामेश्वर और हाकिम के खेत में लगे उनके निजी ट्यूबवेल से पानी भरने गए थे. तभी हाकिम ने उनको पानी भरने से रोका था और धमकी देते हुए कहा था, "यहां से पानी भरा तो पटक-पटक कर मार डालूंगा." मनोज बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने अपने बच्चों को वहां पानी भरने से रोक दिया था और वहां से जाने के लिए डांटा भी था. उसके बाद भी हाकिम और रामेश्वर उसको धमकाने आए थे और कहा था, “अगर दुबारा वहां पानी भरने आए तो सबको गोली मार देंगे.” अगले दिन रामेश्वर और हाकिम ने उनके अविनाश और रोशनी की हत्या कर दी.

भावखेड़ी के लोगों के लिए एक रहस्य का विषय है कि सरपंच और उसका परिवार कहां है? और पुलिस उनको ढूंढ़ क्यों नहीं रही है?

अमन गुप्ता स्वतंत्र पत्रकार हैं.

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