We’re glad this article found its way to you. If you’re not a subscriber, we’d love for you to consider subscribing—your support helps make this journalism possible. Either way, we hope you enjoy the read. Click to subscribe: subscribing
1980 से चांदनी चौक लोकसभा सीट पर कांग्रेस या भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है, लेकिन 2014 में आम आदमी पार्टी (आप) के आगमन के साथ ही संसदीय क्षेत्र और राष्ट्रीय राजधानी की राजनीति पूरी तरह बदल गई. अपने पहले लोकसभा चुनाव में आप ने दिल्ली के 33 फीसदी वोट हासिल किए. उस साल चांदनी चौक में आप के उम्मीदवार आशुतोष को 31 प्रतिशत वोट मिले, जो कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से 13 प्रतिशत ज्यादा थे. अगले साल दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप को 70 में से 67 सीटें मिलीं. तब से पार्टी इस संसदीय क्षेत्र के लोगों की पसंद बनी हुई है. फिर भी इस लोकसभा चुनाव में यहां के व्यापारी बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रवाद आधारित प्रचार की तरफ जा रहे हैं.
आम आदमी पार्टी ने अपना प्रचार जून 2018 में शुरू कर दिया था. इसके बावजूद चांदनी चौक में बीजेपी की लोकप्रियता बढ़ी है. आप ने दिल्ली के 5 लोकसभा क्षेत्रों के लिए प्रभारी नियुक्त किए थे, जिन्हें बाद में उम्मीदवार बना दिया गया. इस साल मार्च की शुरुआत में आप ने चांदनी चौक से अपने राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता को चांदनी चौक से उम्मीदवार घोषित किया. गुप्ता का मुकाबला यहां के निवर्तमान सांसद और केंद्र में विज्ञान और तकनीक मंत्री हर्षवर्धन और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल से है जो तीन बार इस सीट पर चुनाव जीत चुके हैं.
चांदनी चौक लोकसभा दिल्ली के मध्य और उत्तरी जिलों तक फैली है और इसमें 10 विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां से आप के विधायक जीते थे. मैंने इनमें से तीन क्षेत्रों बल्लीमारान, अजमेरी गेट और चांदनी चौक का दौरा किया और पाया कि जमीन पर लोग केंद्र में मोदी सरकार के पक्ष में थे. हालांकि, आप को यहां से काफी समर्थन मिल रहा है, लेकिन देश के सबसे शक्तिशाली व्यापारी वर्ग बनिया समुदाय आप को राष्ट्रीय पार्टी नहीं मानता.
बुलियन और ज्वैलर्स एसोसिएशन के प्रमुख योगेश सिंघल ने कहा, "आप एक राज्य की और कांग्रेस और बीजेपी राष्ट्रीय पार्टी है. हम आप को वोट क्यों दें? उनको दो-तीन सीटें मिलेगी. इससे क्या हासिल होगा?" ऐसे ही अजमेरी गेट पर हार्डवेयर की दुकान चलाने वाले और बनिया समुदाय से आने वाले 72 वर्षीय पंजाबी चंचल गिरधर ने मुझे बताया कि आप ने बिजली के दाम कम किए हैं, फ्री पानी दिया है, शहर में परिवहन की व्यवस्था ठीक की है, लेकिन बीजेपी के अलावा दूसरी पार्टी को दिया गया वोट "बेकार करने के बराबर है."
मीडिया अनुमानों के मुताबिक, इस लोकसभा क्षेत्र में बनिया समुदाय की जनसंख्या 40 प्रतिशत है. चांदनी चौक के आसपास के व्यापारी वर्गों के प्रतिनिधि, जो अधिकतर बनिया समुदाय से आते हैं, ने कहा कि वह मोदी की दो सबसे बड़ी आर्थिक नीतियों- नोटबंदी और जीएसटी से पीड़ित हैं. चांदनी चौक के एक बनिया व्यापारी मुकेश सचदेवा ने मुझे बताया, "जैसे ही हम नोटबंदी से उबरना शुरू हुए, हम पर जीएसटी की मार पड़ गई." सचदेवा दिल्ली हिंदुस्तानी मर्सेंटाइल एसोसिएशन (डीएचएम) के महासचिव हैं. यह टेक्सटाइल व्यापारियों की संस्था है जो चांदनी चौक की 5 हजार दुकानों का प्रतिनिधित्व करती है. उन्होंने कहा कि नई कर व्यवस्था स्थापित हो गई है, लेकिन यह व्यापारियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है.
मोदी की नीतियों से लोगों में असंतोष होने के बावजूद आप और कांग्रेस, बीजेपी की छवि पर हमला करने में नाकाम रहीं. चांदनी चौक के निवासी और डीएचएमए के उप प्रमुख भगवान बंसल ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी से नाराज और मुश्किलों में फंसे व्यापारी बीजेपी को समर्थन देंगे क्योंकि मोदी ने राष्ट्रीय महत्व को मुद्दों को बेहतरी से संभाला है. उन्होंने कहा, "व्यापारी हमेशा से बीजेपी के साथ थे और आगे भी यह साथ जारी रहेगा."
सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासंघ के वरिष्ठ उप प्रमुख नरेश अधलखा ने बताया, "चुनाव के लिए राष्ट्रीय मुद्दे प्रासंगिक है." उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा, दुनिया का भारत के प्रति नजरिया और क्या देश अपनी रक्षा खुद कर सकता है, जैसे मुद्दों को चुनावों के लिहाज से बड़ा माना. अधलखा ने कहा, "देश को मोदी जी जैसे प्रधानमंत्री की जरूरत है इसलिए मैं तो मोदी को ही वोट करुंगा."
हालांकि, आप और कांग्रेस ने यहां से बनिया उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन तीनों पार्टियों के प्रतिनिधियों ने मुझसे इस बात से इनकार किया कि उन्होंने चांदनी चौक के बनिया समुदाय के लिए चुनाव प्रचार तैयार किया है. कांग्रेस उम्मीदवार के बेटे और इलाके के चुनाव प्रभारी अमित अग्रवाल ने मुझे बताया कि सांसद न होने के बावजूद उनके पिता ने लोगों से निजी रिश्ते बनाए रखे. अमित ने कहा कि लोकसभा के निवासी उन्हें अलग-अलग कार्यक्रमों में बुलाते रहते हैं. "जैसे शादी होती है तो बनिया लोग तो बुलाते ही बुलाते है."
मैंने गुप्ता की टीम के आकाश वर्मा से पूछा कि क्या आप उम्मीदवार की बनिया पहचान उनकी मदद करेगी. वर्मा ने कहा वह खुद जाति के आधार पर वोट नहीं देता, लेकिन बनिए अगर सपोर्ट करते हैं तो बहुत अच्छी बात है, इसमें गलत क्या है.
आप और कांग्रेस दोनों अपने चुनाव प्रचार में सीलिंग के मुद्दे को उठा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई मॉनिटरिंग कमिटी के आदेश पर दिल्ली में दिसंबर, 2017 से 6 हजार से ज्याद प्रॉपर्टी को सील कर दिया गया है. आप का मुख्य चुनावी वादा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना है. कांग्रेस के लिए अमित अग्रवाल ने कहा कि उनका मुख्य मुद्दा बिजली और पानी है. विडंबना यह है कि उन्होंने बाद में कहा, "केजरीवाल ने केवल बिजली और पानी ही दिया है. इसके अलावा उन्होंने क्या किया है." असल में कई निवासियों ने बिजली और पानी के मुद्दे को लेकर आप सरकार की तारीफ की. बल्लीमारान के फुटवीयर एसोसिएशन के महासचिव सुल्तान मलक के मुताबिक, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हमें सीधा फायदा दिया है. उन्होंने हमारा खर्चा कम कर दिया है. मलक ने कहा, "उन्होंने 20 हजार लीटर पानी फ्री दिया है और बिजली के दाम कम कर दिए."
दूसरी तरफ बीजेपी इस चुनाव में अपनी स्टैंडर्ड स्क्रिप्ट- राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और नरेन्द्र मोदी के नाम पर अटकी है. बीजेपी के चांदनी चौक के प्रभारी अशोक शर्मा ने मुझे बताया, "बिजली और पानी की समस्याएं हमेशा रहनी है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसने क्या किया. लोग हमें मोदी के नाम पर वोट देंगे. आप देखेंगे कि उन्हें डॉक्टर हर्षवर्धन, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी से फर्क नहीं पड़ता. उन्हें केवल मोदी से फर्क पड़ता है."
मोदी के नाम पर अटके रहने की बीजेपी की रणनीति कामयाब भी हो रही है. जीएसटी और नोटबंदी की आलोचना करने के बाद सचदेवा ने कहा, "ज्यादातर झुकाव जो है व्यापारी का वह बीजेपी की तरफ है." उनके अनुसार, संयुक्त राष्ट्र द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन के सरगना मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करना और भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक से मोदी का समर्थन बढा है. सिंघल ने खुद को किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में दिखाने से बचने हुए ऐसे ही मुद्दे गिनाए. लेकिन बीजेपी के वादों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "हम उनके साथ जाएंगे जो डिजिटल इंडिया की बात करता है, जो व्यापार में सुगमता की बात करता है."
चांदनी चौक में बनिया समुदाय के अलावा मुस्लिमों की तादाद भी अच्छी खासी है. मीडिया के मुताबिक, इस इलाके में मुसलमानों के 15 प्रतिशत वोट है. इस समुदाय को कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता था, लेकिन 2014 में इनका वोट कांग्रेस और आप के बीच बंट गया था, जिससे बीजेपी को फायदा मिला. इन चुनावों को लेकर आप और कांग्रेस उम्मीदवार निश्चिंत हैं कि मुस्लिमों का वोट उन्हें ही मिलेगा क्योंकि समुदाय बीजेपी के खिलाफ है. हालांकि, बातचीत में लोगों ने संकेत दिया कि इन दोनों पार्टियों का भरोसा टूट सकता है.
किसी ने कांग्रेस के उम्मीदवार की सीधी आलोचना नहीं की, लेकिन मुझे मिले एक मुस्लिम निवासी ने बताया कि वह अग्रवाल को मजबूत उम्मीदवार नहीं मानते. बल्लीमारान के रेजिडेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशन के प्रमुख मोहम्मद नासिर ने कहा, "लोग भूल गए कि जेपी अग्रवाल कौन हैं." एक दशक से ज्यादा हो गया है जब अग्रवाल ने चांदनी चौक से लोकसभा चुनाव लड़ा था. 2009 में वह उत्तर पूर्व दिल्ली लोकसभा से जीते थे, जहां से वह 2014 में मनोज तिवारी से हार गए. नासिर ने कहा कि आप उम्मीदवार गुप्ता इस इलाके में नए हैं और उनका व्यक्तित्व प्रभावित नहीं करता. नासिर ने कहा, "लोगों को आप उम्मीदवार पसंद नहीं आया. आशुतोष इनसे ठीक है."ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के पूर्व सदस्य और बल्लीमारान के निवासी 73 वर्षीय मसरूर अहमद खान ने उनकी बात से सहमति जताई. खान ने कहा कि पार्टी को ऐसे व्यक्ति को खड़ा करना था, जिसकी "खुद की पहचान हो, जैसे आशुतोष. उन्हें दोबारा चुनाव लड़ना चाहिए था."
बहरहाल, खान ने दावा किया, "मुसलमान आम आदमी पार्टी के साथ है. लक्ष्य बीजेपी को हराना है." हालांकि, वर्धन और अग्रवाल को पंकज गुप्ता से ज्यादा फायदा मिल रहा है क्योंकि दोनों इस इलाके में जाने-पहचाने नाम है. उदाहरण के लिए सिंघल ने मुझे बताया कि वर्धन उनके पारिवारिक डॉक्टर हैं. उन्होंने कहा कि उनके परिवार के लोग उनके पास जाते और कहते, "डॉक्टर साहब कान में दर्द है, 10 रुपए ले लो और कान साफ कर दो." चांदनी चौक थोक बाजार में टेक्सटाइल स्टोर चलाने वाली शालीमार बाग निवासी शशि बंसल ने कहा कि वह दोनों उम्मीदवारों को जानती हैं. उन्होंने कहा कि हर्षवर्धन पारिवारिक दोस्त हैं और अग्रवाल की पत्नी एक किट्टी में मिली थी और वह अग्रवाल की पत्नी के लिए कपड़े सिलती थी. उन्होंने कहा कि गुप्ता की यहां कोई मौजूदगी नहीं है.
दूसरी तरफ चांदनी चौक से आप विधायक अल्का लांबा इस इलाके में काफी लोकप्रिय हैं. डीएचएमए के महासचिव सचदेवा ने कहा, "अगर हम अल्का जी को किसी भी काम के लिए बुलाएं, तो वह आकर संबंधित विभाग को काम करने के लिए कहती हैं." दिसंबर, 2018 में अल्का ने दिल्ली सरकार के राजीव गांधी को दिए भारत रत्न वापस लेने के प्रस्ताव का विरोध किया था. तब से उन्होंने पार्टी नेतृत्व को लेकर कई बार अपना विरोध दर्ज कराया है. सचदेवा ने मुझे बताया कि जब गुप्ता ने अपना प्रचार अभियान शुरू किया था तब अल्का ने उनका काफी समर्थन किया था, लेकिन अब वह समर्थन नहीं कर रही है. मई की शुरुआत में उन्होंने ट्वीट किया था कि उन्होंने चांदनी चौक में अरविंद केजरीवाल के रोड शो में हिस्सा लेने से मना कर दिया क्योंकि उन्हें केजरीवाल के पीछे चलने के लिए कहा गया था. सचदेवा ने कहा, "अगर अल्का लांबा आकर हम पर वोट डालने का दबाव डालें तो हम आप को वोट देने पर सोच सकते हैं क्योंकि हम जब भी बुलाते हैं वह हाजिर होती हैं, लेकिन वह कोई जोर नहीं लगा रही है." उन्होंने अनुमान लगाया कि आप लगभग 10-15 प्रतिशत वोट खो सकती है क्योंकि अल्का लांबा ने प्रचार नहीं किया.
मसरूर ने अल्का लांबा का समर्थन किया और कई नागरिकों ने आप विधायक इमरान हुसैन के बारे में काफी बातें की. जिन व्यापारियों से मैंने बात की उनमें से अधिकतर ने बताया कि लांबा या दूसरे विधायकों के आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उन्हें लगता है कि आप राष्ट्रीय चुनावों के लिए नहीं लड़ रही है. डीएचएमए के उप प्रमुख बंसल ने मुझे बताया, "आप ने काम किया है. मैं नहीं कहता कि उन्होंने काम नहीं किया, लेकिन राष्ट्रीय मुद्दों के कारण व्यापारी बीजेपी की तरफ जा रहे हैं."
जब मैंने व्यापारियों से बीजेपी के खिलाफ लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों जैसे राफेल डील आदि के बारे में बात की तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया. अधलखा ने मुझे बताया, "जो भी पार्टी सत्ता में आती है उनके ऊपर कुछ न कुछ आरोप लगते हैं." ऐसे ही बंसल ने पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक का हवाला देते हुए कहा, "भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं. लोगों को केवल इस बात से मतलब है कि क्या कदम उठाए गए." उन्होंने कहा कि इससे लोग "मोदी के समर्थन में आ गए हैं." मोदी की आर्थिक नीतियों के आलोचक रहे सिंघल जैसे व्यापारियों ने मोदी का समर्थन नहीं करने की बात नहीं की. उन्होंने कहा, "जीएसटी, नोटबंदी और सीलिंग जैसे मुद्दे राष्ट्रवाद और सुरक्षा के नीचे दब जाते हैं."
मैं जितने मुस्लिम मतदाता से मिली, किसी ने बीजेपी का समर्थन नहीं किया. फुटवीयर एसोसिएशन के महासचिव मलक ने कहा कि हर्षवर्धन जी सिर्फ मोदी जी के आस-पास घूमते हैं उसके अलावा उन्होंने कुछ नहीं किया. हालांकि, चांदनी चौक के कई मुस्लिम निवासी किसी भी पार्टी के समर्थन में नहीं है. बल्लीमारान रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव युसुफ जमाल ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि हर्षवर्धन धर्म निरपेक्ष हैं और न ही वह कांग्रेस के काम से संतुष्ट हैं. जब मैंने उनसे पूछा कि क्या वह आप के साथ जाने वाले हैं. इस पर उन्होंने कहा, "यह राज्य का चुनाव नहीं है. इसलिए आप के साथ भला क्यों जाएंगे?"
Thanks for reading till the end. If you valued this piece, and you're already a subscriber, consider contributing to keep us afloat—so more readers can access work like this. Click to make a contribution: Contribute