20 दिसंबर को जामा मस्जिद में हुए प्रदर्शन में भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद ने भी भाग लिया. वहां मौजूद हजारों लोगों के बीच आजाद भारतीय संविधान को हाथों में लेकर “संविधान जिंदाबाद” के नारे लगा रहे थे.
उसी दिन देर रात कारवां के स्टाफ राइटर सागर और फोटो संपादक शाहिद तांत्रे ने आजाद से जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर बातचीत की. बाद में पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और अदालत के सामने पेश किया. तीस हजारी कोर्ट ने आजाद की जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
सागर : अपनी गिरफ्तारी और रिहाई के बारे में बताएं?
चंद्रशेखर आजाद : सादे कपड़ों में दिल्ली पुलिस के जवानों ने पकड़ कर एक कमरे में बंद कर दिया. लेकिन हमारे लोगों ने उनको घेर लिया और मेरी रिहाई की मांग की जिसके बाद उन्होंने मुझे जाने दिया. वे बोले कि ‘भैया जाओ जाकर अपना काम करो’. और मेरा काम क्या था? मैं वापस आकर विरोध करने लगा.
पुलिस ने कहा तुझे उल्टा लटका देंगे अगर तू मुसलमानों की बात करेगा. मैने उनसे कहा कि देखो मुझे उल्टा लटका दो या कत्ल कर दो लेकिन मैं ईमान की बात जरूर करूंगा और मेरा ईमान गवाही देता है कि देश को तोड़ा जा रहा है. पुलिस हम पर भी हमला कर सकती थी. हमें भड़का रही थी लेकिन हमने जवाब नहीं दिया क्योंकि हम लोग पीसफुल प्रोटेस्ट कर रहे थे. इन्हीं के लोग सिविल वर्दी में हमारे लोगों को भड़का रहे थे लेकिन हमारे लोगों ने सबको समझाया कि हम यहां से नहीं जाएंगे और यहीं प्रोटेस्ट करते रहेंगे. हम हिंसा का बिल्कुल समर्थन नहीं करते क्योंकि हमें पता है कि हिंसा जानबूझ कर कराई जा रही है एनआरसी-सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों को हिंसक साबित करने के लिए.
सागर : कानपुर में 8 लोगों को गोली मारी गई. उत्तर प्रदेश आपका राज्य है. राज्य भर में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया जा है और पीटा जा रहा है. आपकी पार्टी वहां है लेकिन आप दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं.
चंद्रशेखर : जो सीढियां है, (जामा मस्जिद की ओर इशारा करते हुए) मैं और आप जिन पर आप खड़े है, जब देश का बंटवारा हो रहा था तब मौलाना अबुल कलाम ने इन्हीं सीढ़ियों पर खड़े होकर कहा था कि हम बंटवारा नहीं होने देंगे, जब अंग्रेज बंटवारा कर रहे थे. ऐसी जगह को छोड़ कर मैं कहां जाता. मेरा काम है कि मैं इतिहास को लोगों तक पहुंचाऊं. आज मुसलमानों को ये लोग कह रहे हैं सीएए में तुम्हें नहीं रहने देंगे. घुसपैठिए बनाकर कैम्प में डाल देंगे. मैं कह रहा हूं आप लोगों को बाहर से लाने को बात कर रहे हो. लाकर रखोगे कहां? अडानी, अंबानी की कोठियों में? उनके लिए पैसे कहां से लाएंगे जिनको बुला रहे हैं? उनको नौकरी कहा से देंगे, मकान कहां से देंगे? इतनी पावर है आपमें? आप खुद भुखमरी के कगार पर खड़े हैं. ये ड्रामा बंद कीजिए, सीएए लाकर जो आपसे गलती हुई उसे स्वीकार कीजिए और इस्तीफा देकर घर बैठिए. आपके जैसे झूठे लोगों की जरूरत नहीं है हमें.
सागर : सरकार कह रही है कि आप मुद्दे को नहीं समझते और बस लोगों को डरा और भड़का रहे हैं.
चंद्रशेखर : आप यह कोट, मेरी जैकेट देख रहे है. हम सब पढ़े लिखे लोग हैं. पहले प्रोटेस्ट साउथ में हुआ जहां और ज्यादा पढ़े लिखे लोग हैं. भारत में प्रोटेस्ट कहा हो रहे हैं पता है आपको? जामिया में, जेएनयू में, अलीगढ़ में, बीएचयू में जहां स्कॉलर लोग हैं और अमित शाह और मोदी जिनके पास खुद डिग्री नहीं है वे हमें बेवकूफ बताएंगे? अगर लाखों लोगों की भीड़ में एक दो अनपढ़ लोग बैठ जाएं तो उनका पता नहीं चलता कि पढ़े लिखे हैं या अनपढ़ हैं. ऐसा ही उनके (मोदी-शाह) साथ है. वे लोग कितने पढ़े लिखे है सबको पता है. डिग्री दिखाएं अपनी. मैं लॉ ग्रेजुएट हूं. डबल एमए हूं. पढ़ा लिखा हूं, एडवोकेट हूं.
शाहिद : क्या आपको लगता कि यह कानून मुस्लिम विरोधी है?
चंद्रशेखर : सच बताएं आपको अमित शाह ने बयान दिया है कि देश में करोड़ों घुसपैठिए हैं. देश की आबादी 130 करोड़ है तो वे करोड़ों घुसपैठिए कौन हैं? मुस्लिम आबादी 20-25 करोड़ है. बाकी बचे दलित, फिर बचे ओबीसी, फिर बचे आदिवासी, फिर बचे धार्मिक अल्पसंख्यक. ये (मोदी-शाह) तोड़ने वाले लोग हैं. ये धर्म के आधार पर राजनीति करते आ रहे हैं. इनका देश से कोई वास्ता नहीं है. ये आरएसएस-सावरकर की विचारधारा के लोग हैं जो बंटवारे के पक्ष में थे और हम बंटवारे के खिलाफ थे.
शाहिद : क्या दलित और मुसलमान एक हो रहे हैं?
चंद्रशेखर : सिर्फ दलित, मुसलमान नहीं पूरा मुल्क जुड़ा हुआ है साहब. यहां जाति देखकर कोई बराबर में नही बैठता. बीएचयू और एएमयू के बच्चो की जातियां नहीं है. पूरा मुल्क एकजुट है.
सागर : क्या आप राजनीतिक पार्टी बनाने वाले है ?
चंद्रशेखर : चुनावी बातें बाद में पहले मुल्क है.
सागर : क्या देश में आपातकाल जैसी स्थिति है?चंद्रशेखर : फिलहाल ऐसा ही है. यह लोकतंत्र नहीं है. जामा मस्जिद में शांतिपूर्ण विरोध हो रहा था लेकिन पुलिस तीन बार यहां घुसी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शांतिपूर्ण विरोध किए जा सकते हैं. तो आप लोग यहां क्यों घुस आए? ये लोग हमारी आवाज दबाना चाहते हैं क्योंकि हम लोग सच्चाई के साथ हैं और वे लोग झूठ के.
शाहिद तांत्रे : क्या आपको लगता है कि दिल्ली पुलिस सरकार के इशारों में ऐसा कर रही है?चंद्रशेखर : ये सरकार के लोग हैं. इनको तनख्वा लेनी है. वे लोग अपना काम कर रहे है और हम अपना. हम देश के साथ खड़े हैं और इसे बंटने नहीं देंगे.