24 जनवरी को गोवा के आर्चबिशप के नेतृत्व में मडगांव के दक्षिणी हिस्से में स्थिति प्रतिष्ठित लोहिया मैदान में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में रैली का आयोजन किया गया. यह राज्य में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में की गई पहली रैली थी जिसे चर्च का पूरा समर्थन प्राप्त था. विभिन्न धर्मों के हजारों लोगों ने इसमें भाग लिया. रैली में आए वक्ताओं ने भी सामाजिक बंधनो से हट कर अपना समर्थन दिया. इन वक्ताओं में जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता, पादरी, लेखक और डॉक्टर आदि शामिल थे जिन्होंने सीएए और एनआरसी का विरोध करते हुए इन दोनों को खतरा बताया.
गोवा की विपक्षी पार्टियों के कई प्रमुख नेताओं ने भी रैली में शामिल होकर वक्ताओं को सुना. जिसमें कांग्रेस की सरकार में गोवा के मुख्यमंत्री रहे दिगंबर कामत और लुईजिन्हो फलेरियो, चर्चिल एलिमाओ भी शामिल थे, जो पूर्व में कांग्रेस पार्टी के साथ थे और अभी नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के नेता हैं, गोवा फारवर्ड पार्टी से गोवा के पूर्व उप मुख्यमंत्री रहे विजय सरदेसाई, कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक एलेक्सियो रेजिनाल्डो और एनसीपी के पूर्व विधायक जोस फिलीप डी सूजा भी रैली में शामिल थे.
गोवा के आर्चबिशप के अधिकार क्षेत्र में कार्यक्रर सामाजिक कार्य इकाई, शांति और सामाजिक न्याय परिषद (सीएसजेपी) ने मानवाधिकार संगठनों का राष्ट्रीय संघ (एनसीएचआरओ) गोवा और कंसर्न सिटिजन आॅफ गोवा जैसे नागरिक अधिकार संगठनों के साथ मिलकर इस रैली का आह्वान किया था. सीएसजेपी की इस रैली से पहले राज्य के पादरियों ने अपने-अपने मंच से सामुहिक वार्ताओं में लोगों से इस रैली में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने के लिए कहा था. 12 जनवरी को दक्षिण गोवा के कुछ गांवों में रैली से जुड़े विज्ञापन लगाए गए थे जिसमें पादरी उपदेशात्मक प्रचार करते हुए ग्रामवासीयों से 24 जनवरी को अधिक से अधिक संख्या में रैली में पहुंचने और संविधान को बचाने का आग्रह कर रहे थे.
सीएसजेपी के कार्यकारी सचिव सावियो फर्नांडिस ने गोवा के दैनिक अखबार हैराल्ड को बताया, “सरकार की सीएए और एनआरसी को लागू करने की नीयत वास्तव में भारत के उस बहुलतावादी और बहु-विश्वासी सामाजिक अस्तित्व को कमजोर करने का काम कर रही है जहां कानून के समक्ष हर नागरिक समान है.” वह आगे कहते हैं, “संशोधित नागरिकता कानून भारतीय संविधान में मौजूद कानून के समक्ष समानता की प्रतिबद्धता को कमजोर करेगा.”
24 जनवरी तक गोवा का माहौल सीएए को लेकर गर्माया रहा. पणजी में दिसंबर 2019 में हुई सीएए विरोधी रैली के अलावा छात्रों का कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ. लेकिन चर्च के आह्वान पर हुई रैली ने खामोश बैठी आम जनता और राजनीतिक लोगों इस विरोध प्रदर्शन के प्रति उत्साह से भर दिया.
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