खाद्य सुरक्षा और आधार की अनिवार्यता पर ओडिशा से कांग्रेस पार्टी के एकमात्र सांसद से बातचीत

सौजन्य : सप्तगिरी उलाका
सौजन्य : सप्तगिरी उलाका

इस बार संसदीय चुनावों में ओडिशा में बीजू जनता दल ने 12, बीजेपी ने 8 और कांग्रेस ने मात्र 1 सीट पर जीत दर्ज की. ओडिशा की कोरापुट सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचने वाले सप्तागिरी उलाका कांग्रेस के एकमात्र सांसद हैं. यह सीट आदिवासी बहुल है जो कालाहांखडी-बालंगीर-कोरापुट क्षेत्र में आती है. इस क्षेत्र की 70 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे है. इसलिए यहां खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और विकास जैसे मुद्दे बेहद जरूरी हो जाते हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता अबिनाश दास चौधरी और श्वेता दास ने उलाका से उपरोक्त विषयों के साथ आधार की अनिवार्यता और भूख से होने वाली मौतों पर बात की.

अबिनाश दास चौधरी और श्वेता दास- कोरापुट जिला आजादी के बाद से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है लेकिन पिछले 10 सालों से यहां बीजेडी का वर्चस्व रहा. इस बार आपने पूर्व सांसद की पत्नी और बीजेडी नेता कौशल्या हिकाका और बीजेपी के जयराम पंगी को हराकर चुनाव जीता है. आपके चुनाव अभियान का केंद्रीय मुद्दा क्या था?

सप्तगिरी उलाका- कोरापुट कांग्रेस का गढ़ इसलिए था क्योंकि यहां पार्टी के कई दिग्गज नेता हुए हैं. मेरे पिता रामचंद्र उलाका, नवरंगपुर विधानसभा सीट से 9 बार विधायक रहे हबीबउल्ला खान, जयपुर निर्वाचन क्षेत्र के 6 बार के विधायक रघुनाथ पटनायक और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ गिरिधर गमांग ने कोरापुट जिले में काम किया है.

2009 और 2014 में हम लोग इसलिए हारे थे क्योंकि टिकटों का वितरण ठीक से नहीं हुआ था. 2015 में डॉक्टर गमांग रे के बीजेपी में चले जाने के बाद यहां नेतृत्व खाली हो गया. मैंने निर्वाचन क्षेत्र में घूम-घूम कर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया और उन्हें समझाया. मैं अमेरिका से इंफोसिस की नौकरी छोड़ कर कोरापुट आ गया. मेरी मां ने पार्टी से जुड़ने में मेरी मदद की. 2019 के चुनावों के लिए टिकट वितरण में जनता की आकांक्षा का ध्यान रखा गया. कार्यकर्ताओं की मांग थी कि मैं चुनाव लड़ूं और मुझे टिकट दिया गया. इसलिए हमारा संदेश जनता तक पहुंचा और जनता ने हमें वोट दिया. उन्होंने मुझ पर विश्वास किया न सिर्फ इसलिए कि मैं रामचंद्र उलाका का बेटा हूं बल्कि इसलिए कि मैं शिक्षित हूं और जनता की सेवा करने यहां आया हूं.

अबिनाश दास चौधरी स्वतंत्र लेखक और खाद्य सुरक्षा अधिकार कार्यकर्ता हैं.

श्वेता दास अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली में स्नातकोत्तर छात्र हैं.

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