2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 72 दिनों तक भूटान की सीमा के भीतर लंबा गतिरोध चला. बाद में दोनों पक्ष पाछे हट गए. भारतीय सैनिक कुछ 100 मीटर पीछे हटकर अपनी चौकी पर लौट आए लेकिन चीनी पीछे हटने पर भी डोकलाम पठार में बने रह गए. बाद में सैटेलाइट तस्वीरों में सैनिकों की वापसी के बाद क्षेत्र में चीनियों द्वारा निर्मित सड़कें, वॉचटावर, बंकर, हेलीपैड, आवास और गोदाम देखे गए. भारतीय सेना चीनियों को जंफेरी रिज तक सड़क बनाने से रोकना चाहती थी क्योंकि यह रिज रणनीतिक तौर पर काफ़ी ज़रूरी है. यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर नज़र रखने के लिए आवश्यक है, जो पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली एक संकरी पट्टी है. चीनियों ने अमु चू नदी के समानांतर एक सड़क बनाई, जो डोकलाम पठार के करीब से होती हुई जंफेरी रिज की और जाती है. 2020 के बाद से जबकि भूटान लगातार चीन के करीब हो रहा है, भारत के चीन के साथ संबंध ख़राब हुए हैं. इस दौरान, सीमा संकट पर भारत की प्रतिक्रियाएं समझ से बाहर होती गई हैं.
2021 में चीन और भूटान ने अपनी द्विपक्षीय सीमा वार्ता में तेजी लाने के लिए "त्रि-स्तरीय रोडमैप" समझौते पर दस्तखत किए. पिछले अक्टूबर में दोनों देश सीमा के परिसीमन और सीमांकन को लेकर एक संयुक्त टीम के लिए दिशानिर्देश जारी करने पर सहमत हुए. भूटानी प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने पिछले साल इस बात पर जोर दिया था कि "भूटान और चीन के बीच कोई वास्तविक मतभेद नहीं हैं". एक अन्य बैठक में उन्होंने कहा, "हमारे कार्यकाल के पूरा होने तक इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा." उन्होंने मीडिया से यह भी कहा, “सैद्धांतिक रूप से भूटान अपने पड़ोसी देश चीन के साथ द्विपक्षीय संबंध भला कैसे नहीं रखेगा?”
इस साल की शुरुआत में चुनाव हारने के बाद लोटे अब पद पर नहीं हैं लेकिन उनके उत्तराधिकारी शेरिंग टोबगे उसी लाइन पर चल रहे हैं. चीन भारत को पछाड़ कर भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन कर उभरा है. जबकि चीनी बिजली निगम देश में प्रमुख जल विद्युत परियोजनाओं में शामिल है, चीनी रेलवे कंपनी दो प्रमुख तिब्बती शहरों, ल्हासा और ग्यात्से, के बीच एक लिंक के माध्यम से रेलवे संपर्क के बारे में सोच रही है. मोदी सरकार ने हाल ही में भूटान से अरुणाचल प्रदेश में तवांग और असम में गुवाहाटी को जोड़ने वाली एक मोटर योग्य सड़क के निर्माण का प्रस्ताव रखा है, लेकिन भूटान इस प्रस्ताव को लेकर तब तक आगे नहीं बढ़ना चाहेगा जब तक कि चीन के साथ इसकी सीमा का सीमांकन नहीं हो जाता.
डोकलाम संकट के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के साथ नए सिरे से रिश्ते बनाने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक अनौपचारिक शिखर सम्मेलन का प्रस्ताव रखा. ऐसी दो बैठकें हुईं- एक 2018 में वुहान में और दूसरी 2019 में चेन्नई में. दोनों नेता अपनी-अपनी सेनाओं को रणनीतिक मार्गदर्शन देने के लिए सहमत हुए, लेकिन इन बैठकों का बहुत कम प्रभाव पड़ा, जैसा कि 2020 की घटनाओं से साबित भी हुआ. उस साल जून में भारत और चीन के सैनिक लद्दाख की गलवान घाटी में टकरा गए. कई भारतीय सैनिक मारे गए. पिछले 45 सालों में, चीन से साथ लगी, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यह भारत की पहली सैन्य क्षति थी.