दिल्ली विधानसभा चुनाव : स्थानीय मुद्दों पर भारी शाहीन बाग

कारवां के लिए शाहिद तांत्रे
06 February, 2020

आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार राज्य से जुड़े मुद्दों के अलावा सीएए और एनआरसी जैसे राष्ट्रीय मुद्दे भी हावी हैं. दिल्ली के शाहीन बाग में जारी सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन को जहां बीजेपी हिंदू-मुस्लिम बनाने पर तुली है और उसके नेता आंदोलनकारियों को “गोली मारने” की धमकी दे रहे हैं, वहीं आम आदमी पार्टी इसे कांग्रेस और बीजेपी की साजिश बता रही है. कांग्रेस ने जरूर सीएए का सीधा विरोध करते हुए अपने घोषणा पत्र में इसे लागू न होने देने का वादा किया है.

दिल्ली में 8 फरवरी को विधानसभा चुनाव हैं और नतीजे 11 फरवरी को घोषित किए जाएंगे. पिछले चुनावों में आप ने दिल्ली की 70 सीटों में से 67 में जीत हासिल की थी और बाकि की तीन बीजेपी को मिली थीं. उस चुनाव में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी.

इस शनिवार होने जा रहे चुनावों के लिए इन पार्टियों की तैयारी का जायजा लेने और यह समझने के लिए की आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रही हैं, मैंने इनके कार्यालयों का दौरा किया और इन तीन पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं से बातचीत की. मैंने जानने की कोशिश की कि सीएए-एनआरसी पर तीन मुख्य दलों के नेताओं की सोच क्या है और क्या वे मानते हैं कि इनका असर चुनावों पर पड़ेगा?  

दिल्ली के आईटीओ पर स्थित आम आदमी पार्टी के दफ्तर में हर थोड़ी देर में कोई ट्रक आकर रुकता जिसमें प्रचार साहित्य, गांधी टोपी, पोस्टर और झाड़ू होते. लोग ट्रक से उतार कर इन चीजों को छोटी गाड़ियों में भरकर दिल्ली के विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचाने निकल जाते. यहां कार्यकर्ताओं के लिए खाने-पीने की सुविधा दिन-रात चल रही है. छोटे रिक्शों में भरकर सब्ज़ियां लाई जाती हैं. दफ्तर के अंदर एक कोने में मीडिया के लिए एक जगह तय है जहां चाय-पानी की व्यवस्था है. पूरा दफ्तर पार्टी के चुनाव चिन्ह झाड़ू और अन्य चुनावी सामानों से भर हुआ है. चुनाव की तैयारियों में लोग इतने व्यस्त थे कि मीडिया से बात करने के लिए भी चुनाव के बाद मिलने को कह रहे थे.

यहां जो लोग थे उनका पहनावा भी अन्य पार्टियों के सदस्यों से अलग था. जींस और शर्ट पहने इन लोगों ने मुझे बताया कि सब अपने-अपने दफ्तरों से छुट्टी लेकर पार्टी के लिए काम करने आए हैं.

उधर आम आदमी पार्टी कार्यालय के पास में ही दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का मुख्यालय है जहां का माहौल यहां से बिल्कुल अलग था. कांग्रेस कार्यालय में खामोशी थी और वहां मौजूद लोग कमरों में चुपचाप काम कर रहे थे. आम आदमी पार्टी के दफ्तर के विपरीत, यहां न लोगों की भीड़ थी, न मीडिया और न ही चुनावी तैयारी से जुड़ी गतिविधियां.

बीजेपी के 14 पंडित पंत मार्ग स्थित दिल्ली प्रदेश कार्यालय को बाहर से लेकर भीतर तक मोदी, अमित शाह और बीजेपी के चुनाव चिह्न से सजाया गया था. पार्टी के प्रचार के लिए दिल्ली के बाहर से आने वाले कार्यकर्ताओं, मीडिया प्रचार और अन्य विभागों के लिए अलग-अलग तंबू लगे थे और मेनगेट पर घोषणा पत्र के बंडलों का ढेर लगा था जिन पर कार्यकर्ता अपना नाम लिखाकर अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में ले जा रहे थे.

आम आदमी पार्टी व्यापार मंडल जिला अध्यक्ष सतेंद्र तोंगर ने शाहीन बाग आंदोलन पर पार्टी के रुख के बारे में मुझे बताया कि इस आंदोलन को “बीजेपी फंडिंग कर रही है और कांग्रेस इसका फायदा उठा रही है.” उन्होंने कहा, “बीजेपी के पास पुलिस है. वह चाहे तो 2 घंटे के अंदर शाहीन बाग में जमा भीड़ को हटा सकती है.”

जब मैंने तोंगर से पूछा कि क्या उनकी पार्टी को मुस्लिम मतदाताओं के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. तोंगर ने बस इतना कहा कि कांग्रेस मुसलमान मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए लोगों को बरगला रही है. उन्होंने कहा, “यह बीजेपी का फैलाया हुआ प्रोपगेंडा है, जिसे कांग्रेस सपोर्ट कर रही है.” तोंगर ने कहा, "यह सीएए को लाने का सही समय नहीं था लेकिन इससे दिल्ली का चुनाव जरूर प्रभावित होगा. देखिए, सीएए और एनआरसी बीजेपी का वोट शेयर तो बढ़ा सकते हैं लेकिन सीट जीतने में फायदा नहीं होगा."

सतेंद्र तोंगर 2017 में दक्षिणी दिल्ली के वार्ड नंबर 76 से आम आदमी पार्टी के टिकट पर नगर निगम का चुनाव लड़ चुके हैं और विधानसभा चुनावों में उन्हें अहम जिम्मेदारी दी गई है. तोंगर ने मुझसे कहा, “कांग्रेस एक बिना दूल्हे की बारात की तरह है. इनको पता ही नहीं की दूल्हा कौन है. हमने अपना दूल्हा पहले ही चुन लिया है. बीजेपी और कांग्रेस इतनी घबराई हुई हैं कि मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं चुन पा रहीं."

जब मैंने तोंगर के उपरोक्त दावे के बारे में दिल्ली कांग्रेस के सोशल मीडिया वॉर रूम इंचार्ज सरल पटेल से पूछा तो उनका कहना था कि कांग्रेस संवैधानिक रूप से अपने मुख्यमंत्री का चयन करती है. चुनाव हो जाने पर सभी विधायक मिलकर मुख्यमंत्री को चुनेंगे.”

तोंगर ने बताया कि आम आदमी पार्टी पिछले 7 महीनों से चुनाव की तैयारी कर रही है. “जैसे ही लोक सभा चुनाव संपन्न हुए उसके तुरंत बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली चुनावों की तैयारी शुरू कर दी थी और इस समय वह बाकी राजनीतिक दलों से बहुत आगे है.”

तोंगर ने दावा किया कि कांग्रेस का दिल्ली में कोई आधार ही नहीं है और वह चुनाव से पहले ही हार मान चुकी है. “यहां लड़ाई बीजेपी और आप के बीच है.”

लेकिन सरल पटेल तोंगर की बात को सही नहीं मानते. उन्होंने मुझे बताया, "हमने सोशल मीडिया पर अच्छी तैयारी की है. जमीनी तौर पर भी हम काफी मजबूत हैं. हमने कांग्रेस वाली दिल्ली नाम से एक कैंपेन चलाया है जो अच्छा चल रहा है." सरल ने दावा किया कि पार्टी पिछली बार से अच्छा प्रदर्शन करेगी. उन्होंने कहा, “हरियाणा में भी कहा जा रहा था कि कांग्रेस 3 सीटें जीतेगी, लेकिन कांग्रेस ने 30 सीटें जीती. ऐसे ही चौकानें वाले परिणाम दिल्ली में भी देखने को मिलेंगे.”

सतेंद्र तोंगर ने मुझे बताया कि आम आदमी पार्टी सकारात्मक प्रचार कर रही है और प्रचार उसके काम पर आधारित है जो पिछले पांच सालों में सरकार ने किए हैं. आम आदमी पार्टी डोर-टू-डोर कैंपेन कर रही है. तोंगर ने बताया, “पार्टी सरकार के सभी कामों को एक कागज पर लिखकर लोगों तक पहुंचा रही है. चुनावी घोषणा पत्र में अरविंद केजरीवाल ने दस घोषणाएं की हैं, जिन्हें हम दस गारंटी बोल रहे हैं जो सरकार आने वाले 5 साल में लोगों को देंगी. आप सरकार ने अपने पहले घोषणा पत्र में जो लिखा था उसको पूरा किया है.”

किसी भी दूसरी पार्टी से गठबंधन करने के सवाल पर तोंगर का कहना था, "गठबंधन से हमने लोकसभा में नुकसान उठाया है. अब हम किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेंगे. हम मजबूत स्थिति में हैं और कांग्रेस से हमें और नुकसान ही होगा, इसलिए गठबंधन का कोई विचार नहीं है." सतेंद्र ने मुझे बताया की आप ने 15 दिन पहले दिल्ली में एक सर्वे कराया था जिसमें पार्टी को 65 से अधिक सीटें और 70 प्रतिशत वोट हासिल होने जा रहे हैं. आम आदमी पार्टी से गठबंधन की बात पर सरल ने राष्ट्रीय जनता दल के अलावा किसी से गंठबंधन नहीं करने की बात कही और बाकी संभावनाएं चुनाव के बाद की परिस्थितियां पर छोड़ देने को कहा.

आम आदमी पार्टी अन्ना आंदोलन से निकली पार्टी है जिसके बाद अन्ना और अरविंद केजरीवाल के रास्ते अलग हो गए थे. अन्ना के पार्टी से न जुड़ने के सवाल पर सतेंद्र कहते है कि अन्ना पार्टी के कार्यकर्ताओं के दिलों में हैं.

लेकिन सरल पटेल ने मुझसे कहा कि आम आदमी पार्टी अन्ना से नहीं “एक धोखे से निकली हुई पार्टी है”. “जब आंदोलन शुरू हुआ था, तब उन्होंने कहा था कि कोई पार्टी नहीं बनाएंगे. अपने काफी साथियों को नाराज करके उन्होंने ये पार्टी बनाई. यह पार्टी जन लोकपाल के लिए बनी थी. उनकी पहली सरकार जो 40 दिन चली थी, तब उन्होंने यह बहाना बनाया था कि हमारे बिल को कोई पार्टी समर्थन नहीं कर रही है इसलिए हमने इस्तीफा दिया. उसके बाद उनकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनी लेकिन पिछले पांच साल में बिल को सदन में लाई तक नहीं.”

सरल पटेल ने बताया कि सीएए और एनआरसी पर हमारे नेता साफ तौर पर कह चुके हैं कि कांग्रेस दोनों का विरोध करती है. “हम एनपीआर का भी विरोध करते है. अगर हमारी सरकार बनती है तो ये तीनो चीजें हम दिल्ली में लागू नहीं करेंगे. ये बातें हमने अपने घोषणा पत्र में भी लिखी हैं.”

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार के “शिक्षा क्रांति” के दावों को सरल ने एक “झूठ” बताया. उन्होंने कहा, “कांग्रेस की दिल्ली में 15 साल सरकार रही और हमने हर साल 36 नए स्कूल बनाए थे. आप सरकार पिछले पांच सालों में 36 स्कूल बनाने का आंकड़ा नहीं छू पाई.” पटेल ने आगे कहा, “शिक्षा बजट सिर्फ हैडलाइन मैनेजमेंट के लिए था. दिल्ली में शिक्षा बजट का 46 प्रतिशत आवंटित ही नहीं हुआ. अगर वास्तव में आप शिक्षा को लेकर इतने जागरूक है तो पूरा 100 प्रतिशत बजट आवंटित क्यों नहीं किया? महज कुछ कमरों को रेनोवेट करके, उनको फैंसी बनाकर प्रचार किया जा रहा है कि दिल्ली के स्कूल वर्ल्ड क्लास हैं.”

सरल ने बताया कि 2008 से 2013 तक कांग्रेस की सरकार के समय विज्ञापन और नीतियों के प्रचार पर कुल 74 करोड़ रुपए खर्च किया गया लेकिन केजरीवाल सरकार ने 2015-2018 तक 682 करोड़ रुपए खर्च किए. यह पैसा सिर्फ दिल्ली में नहीं बल्कि पूरे भारत के अलग-अलग राज्यों में प्रचार के लिए खर्च हो रहा है.”

दिल्ली में दी जा रही मुफ्त बिजली और पानी को लेकर सरल ने दावा किया कि सरकारी आदेश में साफ लिखा है कि निशुल्क बिजली सिर्फ 31 मार्च तक है. “यह उनका एक चुनावी हथकंडा भर है.”

यही बात जब मैंने तोंगर से पूछी तो उनका कहना था कि कोई मुख्यमंत्री ऑन रिकॉर्ड झूठ नहीं बोलता. “अरविंद केजरीवाल बार-बार कह रहे हैं कि बिजली और पानी 31 मार्च के बाद भी फ्री ही रहेगा और अगले पांच साल तक फ्री ही रहेगा.”

पंडित पंत मार्ग कार्यालय में मैंने बीजेपी के विशिष्ठ संपर्क विभाग के सह संयोजक और दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता खेम चंद शर्मा से पूछा कि शाहिन बाग के आंदोलनकारियों से क्या पार्टी बातचीत करेगी तो उनका कहना था, “यह राज्य सरकार का काम है कि हाईवे पर कब्जा कर बैठे लोगों से बात करें लेकिन वह ऐसा नहीं कर रही है.” शर्मा ने दावा किया कि शाहीन बाग में जो हो रहा है “वह कराया जा रहा है. दिल्ली को डराने के लिए, टुकड़े-टुकड़े गैंग के जरिए से देश को तोड़ने की कोशिश की जा रही है और हम लगातर इसकी निंदा कर रहे हैं.” शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार के उप मुख्यमंत्री आंदोलनकारियों के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा, “अब ये लोग अन्ना को छोड़कर जिन्ना-जिन्ना करने लगे हैं.”

मैंने उनसे पूछा कि पार्टी ने लोक सभा चुनाव नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना कर लड़ा था लेकिन दिल्ली के लिए उसके पास मुख्यमंत्री का चेहरा क्यों नहीं है, तो शर्मा ने इसका सीधा जवाब नहीं दिया. उन्होंने बस इतना कहा कि “बीजेपी के अंदर लोकतंत्र है. लाखों लोग चुनाव लड़ते हैं. कोई एक व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ता और यही हमारी ताकत है. पार्टी के विचारों को लेकर हम सभी साथ में प्रचार कर रहे हैं. मुख्यमंत्री पद हमारे लिए चिंता का विषय नहीं है.”

जब मैंने शर्मा को याद दिलाया कि आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद का चहरा बना कर चुनाव लड़ रही है तो उनका कहना था, “केजरीवाल अपनी पार्टी में अकेले रह गए हैं. उनकी पार्टी में अब लोकतंत्र नहीं है. वह इसलिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं क्योंकि उनके पास कोई और है ही नहीं. जितने भी संस्थापक सदस्य थे, उनको या तो निकाल दिया गया है या वे पार्टी छोड़ कर चले गए. बचा ही कौन उस पार्टी के पास. अगर अकेले रेस में दौड़ेंगे तो फर्स्ट आएंगे ही.”  

शर्मा ने दावा किया कि उनकी पार्टी को जनता का “पूरा सहयोग मिल रहा है”. उन्होंने कहा, बीजेपी को घोषणा पत्र बनाते समय 11 लाख सुझाव मिले थे.” शर्मा ने बताया, “जनता सुझाव उसी को देती है जिससे उसे जीतने की उम्मीद होती है.”

जब मैंने पूछा कि पार्टी के बैनरों में मोदी के साथ राज्य के अध्यक्ष मनोज तिवारी नजर आ रहे हैं तो क्या यह माना जा सकता है कि अगर पार्टी जीतती है तो वह मुख्यमंत्री होंगे, तो शर्मा ने सिर्फ इतना कहा, “तिवारी हमारे अध्यक्ष हैं और अध्यक्ष के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाता है.”

अन्य पार्टियों से गठबंधन को लेकर जब मैंने शर्मा से पूछा तो उन्होंने कहा, “हमने जनता दल यूनाइटेड और लोक जन शक्ति पार्टी के साथ गठबंधन किया है. दिल्ली की एक सीट पर लोजपा और दो सीटों पर जदयू लड़ रही है. अकाली और चौटाला जी भी हमें समर्थन दे रहे हैं. इसके अलावा नतीजों से पहले या बाद में हम किसी और दल से गठबंधन नहीं करेंगे.”