आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार राज्य से जुड़े मुद्दों के अलावा सीएए और एनआरसी जैसे राष्ट्रीय मुद्दे भी हावी हैं. दिल्ली के शाहीन बाग में जारी सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन को जहां बीजेपी हिंदू-मुस्लिम बनाने पर तुली है और उसके नेता आंदोलनकारियों को “गोली मारने” की धमकी दे रहे हैं, वहीं आम आदमी पार्टी इसे कांग्रेस और बीजेपी की साजिश बता रही है. कांग्रेस ने जरूर सीएए का सीधा विरोध करते हुए अपने घोषणा पत्र में इसे लागू न होने देने का वादा किया है.
दिल्ली में 8 फरवरी को विधानसभा चुनाव हैं और नतीजे 11 फरवरी को घोषित किए जाएंगे. पिछले चुनावों में आप ने दिल्ली की 70 सीटों में से 67 में जीत हासिल की थी और बाकि की तीन बीजेपी को मिली थीं. उस चुनाव में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी.
इस शनिवार होने जा रहे चुनावों के लिए इन पार्टियों की तैयारी का जायजा लेने और यह समझने के लिए की आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रही हैं, मैंने इनके कार्यालयों का दौरा किया और इन तीन पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं से बातचीत की. मैंने जानने की कोशिश की कि सीएए-एनआरसी पर तीन मुख्य दलों के नेताओं की सोच क्या है और क्या वे मानते हैं कि इनका असर चुनावों पर पड़ेगा?
दिल्ली के आईटीओ पर स्थित आम आदमी पार्टी के दफ्तर में हर थोड़ी देर में कोई ट्रक आकर रुकता जिसमें प्रचार साहित्य, गांधी टोपी, पोस्टर और झाड़ू होते. लोग ट्रक से उतार कर इन चीजों को छोटी गाड़ियों में भरकर दिल्ली के विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचाने निकल जाते. यहां कार्यकर्ताओं के लिए खाने-पीने की सुविधा दिन-रात चल रही है. छोटे रिक्शों में भरकर सब्ज़ियां लाई जाती हैं. दफ्तर के अंदर एक कोने में मीडिया के लिए एक जगह तय है जहां चाय-पानी की व्यवस्था है. पूरा दफ्तर पार्टी के चुनाव चिन्ह झाड़ू और अन्य चुनावी सामानों से भर हुआ है. चुनाव की तैयारियों में लोग इतने व्यस्त थे कि मीडिया से बात करने के लिए भी चुनाव के बाद मिलने को कह रहे थे.
यहां जो लोग थे उनका पहनावा भी अन्य पार्टियों के सदस्यों से अलग था. जींस और शर्ट पहने इन लोगों ने मुझे बताया कि सब अपने-अपने दफ्तरों से छुट्टी लेकर पार्टी के लिए काम करने आए हैं.
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