कैसे दे रही आप पार्टी बिजली-पानी सब्सिडी?

अरविंद यादव/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस
12 February, 2020

दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता को बढ़ाने में बिजली और पानी में सब्सिडी का बढ़ा हाथ था. भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की 2019 की रिपोर्ट और पिछले पांच वित्तीय वर्षों के लिए राज्य सरकार के बजट आवंटन के अध्ययन से आम आदमी पार्टी के सब्सिडी के प्रबंधन को समझा जा सकता है.

करों और शुल्कों से आम आदमी पार्टी की सरकार का राजस्व 2015 से 2020 की अवधि में लगातार बढ़ा है. कैग की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2014-15 और 2017-18 के बीच, दिल्ली का राजस्व लगभग 31 प्रतिशत बढ़कर 38667 करोड़ रुपए हो गया जो पहले 29585 करोड़ रुपए था. सरकार ने इन खर्चों को राजस्व व्यय-कार्यात्मक खर्चों में शामिल करने के लिए एक रणनीतिक निर्णय लिया, जिसमें सरकारी स्कूलों और अस्पतालों के कर्मचारियों के लिए वेतन और अन्य में सब्सिडी शामिल हैं. दिल्ली को आप की सत्ता में होने के चलते पिछले पांच साल के दौरान केंद्र से कम सहायता मिली है. इसके अलावा 2014-15 और 2017-18 के बीच, केंद्र से सहायता अनुदान 7 प्रतिशत घटकर 2348 करोड़ रुपए से 2184 करोड़ रुपए हो गया था.

सरकारें आम तौर पर दो तरह के खर्च करती हैं : राजस्व खर्च और पूंजीगत खर्च. राजस्व व्यय में तत्काल और कार्यात्मक खर्च और पूंजीगत व्यय में संपत्ति का निर्माण शामिल होता है. सीधे शब्दों में कहें तो स्कूलों और अस्पतालों का निर्माण एक पूंजीगत व्यय है और इन संस्थानों को चलाने के लिए आवंटित धन राजस्व व्यय है. सरकार की आय को इसी तरह बांटा जाता है. राजस्व राज्य के माल और करों, उत्पाद शुल्क, वाहनों की बिक्री पर करों और स्टांप और पंजीकरण शुल्क से अर्जित किया जाता है. पूंजी प्राप्तियों में ऋणों की वसूली और विनिवेश शामिल हैं. नतीजतन, राज्य सरकारें भी केंद्र से ऋण चुकाने या ऐसे ऋणों के ब्याज का खर्च करती हैं.

केंद्र से अनुदान में कमी के बावजूद, आप सरकार की राजकोषीय रणनीति ने न केवल बिजली और पानी की सब्सिडी को बढ़ावा दिया बल्कि पार्टी को स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों के लिए बड़े बजटीय आवंटन का खर्च उठाने में भी मदद की है. दो प्रमुख कारक इसके राजकोषीय प्रबंधन को सूचित करते हैं : इसके संचयी कर और गैर-कर राजस्व में सुसंगत वृद्धि, प्राप्त ऋणों का उपयोग पूंजीगत संपत्ति निर्माण में करना और अपने प्रमुख ऋण को चुकाने का निर्णय.

2019 की शुरुआत में जारी कैग की रिपोर्ट 31 मार्च 2018 को समाप्त होने वाले दिल्ली सरकार के वित्त वर्ष की विस्तृत जानकारी देती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2013-14 और 2017-18 के बीच दिल्ली सरकार एक राजस्व अधिशेष राज्य अर्थव्यवस्था चलाने में सफल रही. इसका अर्थ है कि सरकार की राजस्व प्राप्तियां उसके राजस्व व्यय की तुलना में ज्यादा थीं.

दिल्ली के राजस्व में वित्त वर्ष 2014-15 और 2017-18 के बीच 34 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई, जो 26604 करोड़ रुपए से बढ़कर 35717 करोड़ रुपए हो गया था. राज्य की संचयी राजस्व प्राप्तियों में राजस्व, गैर-कर राजस्व, अनुदान और सार्वजनिक ऋण शामिल हैं. इसमें तीस प्रतिशत से अधिक का उछाल आया और यह बढ़कर 41266 करोड़ रुपए हो गई.

इसके साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा प्राप्त धन को पूंजीगत व्यय और ऋण के पुनर्भुगतान के लिए इस्तेमाल किया गया. परिणामस्वरूप, राजस्व प्राप्तियों का प्रतिशत, जो ब्याज का भुगतान करने के लिए उपयोग किया जाता है, 2014 में 10.09 प्रतिशत से घटकर 2018 में 7.42 प्रतिशत हो गया. सार्वजनिक ऋण पर दिए गए ब्याज में कमी के चलते सरकार के पास विकास परियोजनाओं में लगाने के लिए उपलब्ध धन बढ़ गया. 

नवीनतम बजट के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सरकार ने डिस्कॉम्स या विद्युत-उर्जा वितरण कंपनियों के माध्यम से उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने के लिए कुल 1720 करोड़ रुपए आवंटित किए. यह पिछले वित्त वर्ष 2016-17 के 1600 करोड़ रुपए के आवंटन से 11 प्रतिशत अधिक है.

इन वर्षों में, आप सरकार के बजटीय प्रबंधन ने इसे अपने कुल व्यय में वृद्धि करने की अनुमति दी है. जब फरवरी 2015 में आप सत्ता में आई थी तो 2014-15 के वित्त वर्ष का बजट 30940 करोड़ रुपए था. आप सरकार के बजट के अनुसार, 2019-20 तक यह लगभग दोगुना होकर 60000 करोड़ रुपए हो गया. कुल व्यय में यह विस्तार पूंजीगत व्यय को बढ़ाने के निर्णय से हुआ. वित्त वर्ष 2019-20 के बजट के अनुसार, सरकार ने क्षमता निर्माण के बुनियादी ढांचे के लिए 60000 करोड़ रुपए के अपने कोष से 15219 करोड़ रुपए निर्धारित किए. यह पिछले वित्त वर्ष से 47.7 प्रतिशत अधिक है. पिछले बजट में क्षमता निर्माण के लिए परिव्यय 10306 करोड़ रुपए था. यह वित्त वर्ष 2014-15 में 7430 करोड़ रुपए के पूंजीगत व्यय का लगभग दोगुना था.

कैग रिपोर्ट में उन योजनाओं पर भी प्रकाश डाला गया है जिनके लिए "भारत सरकार से पिछले वर्ष की तुलना में 2017-18 के दौरान कम अनुदान प्राप्त हुआ था." इनमें प्राथमिक शिक्षा में सुधार के लिए केंद्रीय योजना, सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए), राज्य की स्वास्थ्य योजना के लिए दिल्ली राज्य स्वास्थ्य मिशन और मध्याह्न भोजन योजना का प्रबंधन, निगरानी और मूल्यांकन के लिए मिड-डे मील शामिल थी. एसएसए के लिए केंद्र ने वित्त वर्ष 2017-18 में 15.15 करोड़ रुपए दिए जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में उसने 95.78 करोड़ रुपए दिए थे. दिल्ली राज्य स्वास्थ्य मिशन को वित्त वर्ष 2017-18 में केंद्र से 141.49 करोड़ रुपए मिले जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में 258.32 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे. वित्त वर्ष 2017-18 में मिड-डे मील योजना को 60.67 करोड़ रुपए मिले जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में 83.04 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे.

फरवरी 2015 में सत्ता में आने के बाद, दिल्ली सरकार ने 400 यूनिट तक के बिजली के बिल पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी देने की योजना शुरू की. 2019 में, यह घोषणा की कि जिन उपभोक्ताओं का बिजली का उपयोग 200 यूनिट से कम था, उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 52.27 लाख बिजली उपभोक्ताओं में से 42 लाख उपभोक्ताओं यानी 80 प्रतिशत ने दिल्ली सरकार की बिजली सब्सिडी योजना का लाभ उठाया है. दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि सर्दियों के महीनों में इस योजना के तहत 47 लाख उपभोक्ताओं को शामिल कर लिया गया. जैन ने कहा कि इस योजना का बजटीय बिल साल में 2250 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिजली सब्सिडी आप के मुख्य वादों में से एक थी. जिस पर भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं. पिछले साल अक्टूबर में, बीजेपी ने सुझाव दिया कि अगर वह सत्ता में आती है तो वह सब्सिडी जारी नहीं रखेगी लेकिन "ऐसा माहौल बनाएगी कि बिजली सस्ती हो जाएगी." केजरीवाल ने इसके जवाब में बीजेपी मंत्रियों पर हमला करते हुए कहा था कि वे सरकार द्वारा दी जा रही बिजली सब्सिडी का लाभ उठा रहे हैं. बीजेपी के दिल्ली प्रमुख, मनोज तिवारी ने वादा किया था कि पार्टी पानी और बिजली उपभोक्ताओं को आम आदमी पार्टी की तुलना में "पांच गुना अधिक राहत" देगी. हालांकि, तिवारी का वादा इस साल 31 जनवरी को जारी किए गए पार्टी के घोषणा पत्र में नहीं था. 19 जनवरी को आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के मतदाताओं को आश्वस्त करते हुए एक गारंटी कार्ड जारी किया था कि राज्य में 8 फरवरी को वोट देने पर आप के दुबारा चुने जाने पर पानी और बिजली पर मिलने वाला लाभ जारी रहेगा.