बीजेपी की विज्ञापन एजेंसियों ने मारा अखबारों का पैसा?

12 फ़रवरी 2020
2019 और फरवरी 2020 के बीच मैंने ऐसे तीन अखबारों के कर्मचारियों से बात की. इन कर्मचारियों ने मुझे बताया कि बीजेपी की एजेंसियों से उन्हें प्राप्त विज्ञापन जारी करने के आदेश यानी आरओ में भारी विसंगतियां थी.
धीरज सिंह/ब्लूमबर्ग/गैटी इमेजिस
2019 और फरवरी 2020 के बीच मैंने ऐसे तीन अखबारों के कर्मचारियों से बात की. इन कर्मचारियों ने मुझे बताया कि बीजेपी की एजेंसियों से उन्हें प्राप्त विज्ञापन जारी करने के आदेश यानी आरओ में भारी विसंगतियां थी.
धीरज सिंह/ब्लूमबर्ग/गैटी इमेजिस

2019 में भारतीय जनता पार्टी ने लोक सभा चुनावों के दौरान मीडिया में स्पेस खरीदने के लिए कई विज्ञापन एजेंसियों को लगाया था. इन एजेंसियों का काम छोटे और मझौले समाचार पत्रों में बीजेपी के विज्ञापनों के लिए स्पेस खरीदना था. सितंबर 2019 और फरवरी 2020 के बीच मैंने ऐसे तीन अखबारों के कर्मचारियों से बात की. इन कर्मचारियों ने मुझे बताया कि बीजेपी की इन एजेंसियों से उन्हें विज्ञापन जारी करने के जो आदेश यानी आरओ प्राप्त हुए उनमें भारी विसंगतियां थी. कर्मचारियों ने बताया कि इन एजेंसियों का नाम मैडिसन कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड, डॉट कम्युनिकेशन और हिंदुस्तान समाचार फीचर सेवा लिमिटेड थे.

मध्य प्रदेश के एक समाचार पत्र के जूनियर कर्मचारी और राजस्थान स्थित समाचार पत्र के अन्य वरिष्ठ कर्मचारी ने बताया कि उनके संस्थानों को जारी किए गए आरओ में देय राशि शून्य लिखी गई थी. छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में प्रसारित होने वाले एक अन्य समाचार पत्र के वरिष्ठ कर्मचारी ने मुझे बताया कि उनके संस्थान को जारी किए गए आरओ में देय राशि के स्थान पर "सहमति अनुसार" दर्ज था. कर्मचारियों के अनुसार, एजेंसियों ने अखबारों को उपरोक्त राशि का भुगतान करने की अनौपचारिक सहमति व्यक्त की थी. लेकिन इन एजेंसियों ने अपनी तरफ से अनौपचारिक समझौतों का मान नहीं रखा.

मैंने समाचार पत्रों के संगठनों, वरिष्ठ और कनिष्ठ कर्मचारियों के साथ-साथ कुछ फ्रीलांस एजेंटों के कई विज्ञापन अधिकारियों से बात की, जो विज्ञापन के आधार पर समाचार प्रकाशनों की ओर से विज्ञापन एजेंसियों के साथ बातचीत करते हैं. उनमें से अधिकांश का अनुमान था कि विज्ञापन एजेंसियों ने सौ से अधिक समाचार पत्रों के साथ समान समझौता किया था. इन सभी ने मुझसे इनकी पहचान जाहिर न करने का आग्रह किया. छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के समाचार पत्र के वरिष्ठ कर्मचारी ने बताया, “आप बाजार की स्थिति जानते हैं. हम सरकार के साथ अपने रिश्ते को खराब करने की स्थिति में नहीं हैं.” उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने ''पार्टी में एक पुराने दोस्त से अनुरोध किया था और इससे काम बन गया.”

मध्य प्रदेश के समाचार पत्र को जारी किए गए मैडिसन कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड का एक आरओ कारवां को प्राप्त हुआ है. यह विज्ञापन की दर दिखाता है. इसमें मई 2019 के दूसरे सप्ताह में प्रकाशित होने वाले दो विज्ञापनों के लिए ''प्रति वर्ग कॉलम की दर” शून्य लिखी है. सकल राशि, शुद्ध राशि और प्रकाशन के लिए देय कुल राशि भी शून्य है.

आंकड़ों के नीचे आरओ में एक "महत्वपूर्ण" बिंदु का उल्लेख है कि "बीजेपी के किसी भी विज्ञापन को बीजेपी की अनुमति के बिना एक ही पृष्ठ पर प्रतिस्पर्धी पार्टियों के विज्ञापन के साथ प्रकाशित नहीं किया जाएगा." इसमें अन्य नियम और शर्तें भी हैं. "रिलीज ऑर्डर में उल्लिखित दरें, स्थिति या अन्य नियम और शर्तें स्वीकार्य नहीं होने पर, कृपया हमारी ओर से लिखित पुष्टि प्राप्त किए बिना विज्ञापन न चलाए." एक अन्य बिंदु में कहा गया है, "कृपया उपरोक्त दर की जांच करें और गलत होने पर तुरंत हमें सूचित करें.” इन स्थितियों के बावजूद, समाचार पत्रों ने आरओ को स्वीकार किया.

जसविंदर सिद्धू स्वतंत्र पत्रकार हैं.

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