6 दिसंबर 2017 को राजस्थान के राजसमंद में, पश्चिम बंगाल के एक मजदूर मोहम्मद अफराजुल खान की शंभूलाल रैगर ने बेरहमी से कुल्हाड़ी मार कर हत्या कर दी. हत्या के बाद रैगर ने अफराजुल के शव को आग के हवाले कर दिया. रैगर के 15 वर्षीय भतीजे ने इस घटना का वीडियो बनाया जिसे बाद में रैगर ने सामाजिक संजाल में अपलोड किया. विडियो के अपलोड होते ही तूफान आ गया. कुछ ने इस कृत की निंदा की और कुछ ने इस हत्याकांड का जश्न मनाया. आज राजस्थान में लोकसभा चुनाव का पहला मतदान हो रहा है.
मैंने राजसमंद का भ्रमण किया और पाया की अफराजुल की हत्या के बारे में स्थानीय लोगों को कोई दिलचस्पी नहीं है. यहां यह भयावह हत्याकांड चुनाव का मुद्दा नहीं है. लेकिन यह अपराध चुनाव से परे, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्तर पर प्रकट होता है.
इस हत्याकांड और इसके राजनीतिक अर्थों को अपराध करने वाले और पीड़ित की पृष्ठभूमि में खोजा जाना चाहिए. शंभूलाल रैगर दलितों की एक उपजाति रैगर समुदाय से आता है. इस समुदाय के लोग पारंपरिक रूप से मरे हुए जानवरों की खाल उतारकर चमड़ा पकाने का काम करते हैं. वहीं, अफराजुल पश्चिम बंगाल के मालदा जिले का रहने वाला था जो निर्माण क्षेत्र में काम करने के लिए 10 साल पहले राजस्थान आया था. वह बंगाल के 400 प्रवासी मजदूरों में से एक था. मानव अधिकार संगठन “पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी अथवा पीयूसीएल” द्वारा की गई एक फैक्ट फाइंड जांच से पता चलता है कि अफराजुल ने बीते सालों में तरक्की की थी और मजदूर से ठेकेदार बन गया था.
दूसरी ओर फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट बताती है कि रैगर एक संगमरमर व्यवसायी था और नोटबंदी के बाद बेरोजगार हो गया था. पीयूसीएल की रिपोर्ट के अनुसार बेरोजगार रैगर अपने खाली समय का ज्यादातर हिस्सा इंटरनेट और सोशल मीडिया में हिंदुत्व कट्टरपंथी प्रोपोगेंडा वाले वीडियो देखने में बिताता था. इस अपराध के हफ्तों पहले वह इस बात से चिड़ा हुआ था कि उसके समुदाय की एक औरत बंगाली मुसलमान के साथ भाग गई है. राजस्थान पुलिस के आरोपपत्र के अनुसार रैगर ने दावा किया है कि अफराजुल को उसने इसलिए मारा क्योंकि उसने लव जिहाद किया था. लव जिहाद एक ऐसी कॉन्सपिरेसी थ्योरी है जिसे दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने फैलाया है. इसमें दावा किया जाती है कि मुस्लिम आदमी हिंदू औरतों को प्रेमजाल में फंसा कर मुसलमान बना रहे हैं.
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