पटियाला के शुतराणा कस्बे में एक चुनाव प्रचार के दौरान एक महिला पार्टी उम्मीदवार को अपनी मेडीकल रिपोर्ट दिखाती है. उम्मीदवार उसकी रिपोर्ट देखकर उसे दवाई लिख देता है. यह पटियाला संसदीय सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार डॉक्टर डॉक्टर धर्मवीर गांधी हैं. धर्मवीर गांधी पेशे से हृदयरोग विशेषज्ञ हैं. जनसाधारण में उनका नाम समाज सेवक और जनता के मुद्दों पर आवाज़ बुलंद करने वाले व्यक्ति के तौर पर लिया जाता है. वह गरीब और ज़रूरतमंद मरीज़ों का बहुत कम दाम में या मुफ़्त में इलाज़ करते हैं. पटियाला की इस लोकसभा सीट से डॉक्टर गांधी का मुकाबला आम आदमी पार्टी के नेता और पंजाब के मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर बलबीर सिंह (जो पटियाला में आंख के सर्जन हैं), बीजेपी की उम्मीदवार और पूर्व विदेश राज्य मंत्री परनीत कौर और अकाली दल के एन. के. शर्मा (डेरा बस्सी से पूर्व विधायक और रियल एस्टेट के बड़े कारोबारी) के साथ है.
डॉक्टर गांधी 2014 में आम आदमी पार्टी की टिकट पर पटियाला से परनीत कौर को कड़े मुकाबले में हरा कर सांसद बने थे. वह आप पार्टी के संसदीय दल के नेता भी रहे लेकिन सालभर बाद ही उन्होंने आप से उस वक़्त दूरी बना ली थी जब योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी से निकाल दिया गया. डॉक्टर गांधी ने उस समय केजरीवाल और पार्टी के दूसरे नेताओं पर आरोप लगाया था कि पार्टी जिन आदर्शों को लेकर बनी थी, काबिज़ नेताओं ने उन उसूलों से दूरी बना ली है. डॉक्टर गांधी के उन पांच सालों को केवल पटियाला ही नहीं, पंजाब भर में याद किया जाता है.
अपने पांच साल के संसदीय कार्यकाल में डॉक्टर गांधी ने गांवों में जात-पात को ख़त्म करने के उदेश्य से अपनी सांसद निधि से 139 जगहों पर सभी जातियों और धर्मों के साझे शमशान घाट बनवाए. पटियाला के निवासी बलदेव सिंह का कहना है, “गुरुओं और सूफीयों की धरती होने के बावजूद पंजाब में जातीय भेदभाव होना बड़ा दुखदाई विषय है. मरने के बाद भी यह जात-पात पीछा नहीं छोड़ती, मुर्दे भी अलग जलाए जाते हैं! डॉक्टर गांधी ने गांवों की पंचायतों को इस जातीय भेदभाव से ऊपर उठने के लिए प्रेरित किया.”
लोग इस बात का भी डॉक्टर गांधी को श्रेय देते हैं कि उन्होंने राजपुरा-चंडीगढ़ रेलवे लिंक को मज़बूत करवाया, जिससे आने वाले समय में पटियाला और मालवा के कई जिलों को लाभ होने वाला है. गांधी ने पटियाला में पासपोर्ट ऑफिस खुलवाकर पटियालावासियों की प्रशंसा भी हासिल की. गांधी इस बात के लिए भी जाने जाते हैं कि उन्होंने अपने एम. पी. लैंड में से फंड सबसे ज्यादा शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण इलाकों पर खर्च किया.