क्या असफल साबित होने जा रहा है आगामी जी20 शिखर सम्मेलन?

01 सितंबर 2023
11 अगस्त 2023 को दिल्ली में एक पुल के नीचे दीवार पर बने भारत के जी20 शिखर सम्मेलन के लोगो के पास से गुजरता एक व्यक्ति. भू-राजनीतिक वास्तविकताओं ने शिखर सम्मेलन को निराशा के कगार पर धकेल दिया है, जिससे भारत जी 20 की अध्यक्षता करने वाला पहला देश बनने का जोखिम उठा रहा है जो नेताओं की घोषणा जारी करने में विफल रहा है.
अरुण शंकर/एएफपी/गैटी इमेजिस
11 अगस्त 2023 को दिल्ली में एक पुल के नीचे दीवार पर बने भारत के जी20 शिखर सम्मेलन के लोगो के पास से गुजरता एक व्यक्ति. भू-राजनीतिक वास्तविकताओं ने शिखर सम्मेलन को निराशा के कगार पर धकेल दिया है, जिससे भारत जी 20 की अध्यक्षता करने वाला पहला देश बनने का जोखिम उठा रहा है जो नेताओं की घोषणा जारी करने में विफल रहा है.
अरुण शंकर/एएफपी/गैटी इमेजिस

वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 फीसद. वैश्विक व्यापार का 75 फीसद. 19 सदस्य देश. 9 मेहमान देश. 11 अंतर्राष्ट्रीय संगठन. सभी एक छत के नीचे. जी20 शिखर सम्मेलन, 9-10 सितंबर, नई दिल्ली. 

अगर भारत की अध्यक्षता वाले जी20 शिखर सम्मेलन का कोई टेलीविजन प्रोमो होता, तो उसमें एक पोस्टर होता और उसे फाड़ कर हीरो नरेन्द्र मोदी बाहर निकलते क्योंकि हमेशा, चाहे जो भी मौका हो, ब्रांडिंग तो उनकी ही होनी है. और नैरेटिव होना है कि भारत तो भाई विश्वगुरु है. निर्धारित शिखर सम्मेलन से कुछ महीने पहले, चीन से आया एक यूरोपीय पत्रकार यह देख कर हैरान था कि दिल्ली भर में जी20 लोगो लगे हैं जबकि शिखर सम्मेलन तो महीनों बाद होना है. उसने इसकी तुलना बार्सिलोना में 1992 में हुए ओलंपिक की ब्रांडिंग से की. 2008 के बीजिंग ओलंपिक का चीन का जश्न एक एशियाई पड़ोसी के रूप में बेहतर तुलना है, लेकिन अफसोह ही कह लीजिए कि मोदी सरकार इस मौके के लिए तय बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में विफल रही है.

मेरी यह तुलना मुमकिन है कि मेरे बहुत से पाठकों को पसंद ना आए लेकिन बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन को दुनिया के सबसे बड़े खेल महाकुंभ के साथ जोड़ने का काम खुद मोदी ने किया था. पिछले महीने दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन करते हुए उन्होंने दावा किया था कि "हम देखते हैं, दुनिया में किसी देश में अगर एक ओलंपिक समिट होता है तो पूरी दुनिया में उस देश का प्रोफाइल एकदम से बदल जाता है." उन्होंने आगे घोषणा की कि "आज, इस विश्‍व में इन चीजों का महत्‍व बहुत बड़ा हो गया है." यह उस समय की याद दिलाता है जब उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने चतुराई भरी प्रशंसा में मोदी को "एक शानदार इवेंट मैनेजर" कहा था.

जैसा की हम सभी जानते हैं कि होने वाली हर घटना एक कहानी बयां करती है. जी20 शिखर सम्मेलन की कहानी दो हिस्सों में है. पहला हिस्सा एक व्यक्ति के रूप में मोदी और एक राजनेता के रूप में उनकी बेलगाम महत्वाकांक्षा के बारे में है. दूसरा हिस्सा, भारत और दुनिया में भारत की भूराजनीतिक स्थिति के बारे में है. 2014 के बाद से हमने भारत की भू-राजनीतिक स्थिति को एक व्यक्ति की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के आगे चकनाचूर होते देखा है. यही नहीं, बल्कि फायदे के लिए इन दोनों हिस्सों को एक बताने की कोशिशें देखी हैं. हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर, जो एक करियर डिप्लोमेट हैं, वह अब बिना आधार वाले एक छुटभैया नेता की तरह बयानबाजी करते हैं. उन्होंने पिछले साल दावा किया था कि, ''इसमें कोई दो राय नहीं कि विश्व मंच पर प्रधानमंत्री मोदी का दबदबा है." सतह पर देखने से लगता कि जयशंकर अपने आका की कुछ ज्यादा ही चापलूसी कर रहे हैं लेकिन यहां खेल यह कि मोदी को देश के पर्यायवाची के रूप में स्थापित किया जाए.

दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन उस फ्यूजन को, यानी मोदी और भारत को एक बताने के प्रचार को, पंचर करने जा रहा है. देश के अंदर भले मोदी अब भी इस आयोजन को व्यक्तिगत गौरव के क्षण के रूप में प्रचारित कर सकते हैं और दावा कर सकते हैं कि उन्होंने भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाया है. इस काम में खूब सारी तस्वीरें और क्लिप होंगे, आधे सच और पूरे झूठ से भरे कई व्हाट्सएप संदेश होंगे जो मुख्यधारा की मीडिया, सोशल-मीडिया ट्रोल और यूट्यूब के इंफ्लूएंसर बार-बार दोहराएंगे. फिर भारत की जी20 की रूटीनी अध्यक्षता को बताया जाएगा कि देखिए मोदी वैश्विक नेताओं के ही अध्यक्ष हो गए हैं. हर नेता को मोदी के सामने झुकते और उनके ज्ञान के मोती तलाशते दिखाया जाएगा. अंत में शिखर सम्मेलन को एक जबरदस्त सफलता के रूप में दिखाया जाएगा. इस फैंटासी को मोदी के मंत्री और उनकी पार्टी के नेता हवा देंगे. यह तब से चल रहा है जब एक कॉमिक बुक में उन्हें एक स्कूली बच्चे के रूप में अकेले मगरमच्छ पकड़ते हुए दिखाया गया था. तब से तकनीक और ज्यादा बेहतर हो गई है.

सुशांत सिंह येल यूनि​वर्सिटी में हेनरी हार्ट राइस लेक्चरर और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में सीनियर फेलो हैं.

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