गठबंधन राजनीति के जनक लोहिया से क्या सीख सकता है आज का विपक्ष

30 जनवरी 2019
अरविंद यादव/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस
अरविंद यादव/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस

(1)

पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजों की घोषणा के एक दिन पहले यानि 10 दिसंबर 2018 की शाम को विपक्षी पार्टियों के बड़े नेताओं ने संसद भवन के हॉल में मुलाकात की. कांग्रेस की नेता सोनिया और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, तेलुगु देशम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सीताराम येचुरी, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल सहित अन्य नेता बैठक में शामिल हुए. उपस्थित नेताओं में कुछ तो परस्पर विरोधी थे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हराने की इच्छा से ये लोग साथ आए हैं.

कमरे में तनाव साफ महसूस हो रहा था. उस बैठक का समन्वय नायडू कर रहे थे. आयोजकों को जब इस बात का अंदाजा हुआ कि पश्चिम बंगाल के दो नेता -येचुरी और बनर्जी- एक-दूसरे साथ नहीं बैठेंगे तो बैठने की व्यवस्था को चुपचाप बदल दिया गया और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार दोनों नेताओं के बीच बेठ गए. हालांकि, मजबूरी में इन दो प्रतिद्वंद्वियों ने बंगला भाषा में एक-दूसरे का अभिवादन जरूर किया. ममता ने पूछा,“केमोन अच्छेन”-आप कैसे हैं. येचुरी ने जवाब दिया- मैं ठीक हूं.

उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के प्रतिनिधि बैठक में नहीं थे. नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता ने बताया कि उत्तर प्रदेश के ये दो दल कांग्रेस के नेतृत्व में काम करते दिखाई देना नहीं चाहते. हालांकि, अगले दिन यानि 11 तारीख के चुनाव परिणाम के बाद सपा के अखिलेश यादव ने गठबंधन के समर्थन में ट्वीट किया. अखिलेश ने 20 दिसंबर को ईमेल पर दिए गए एक साक्षात्कार में मुझे बताया, "हमारा उद्देश्य और लक्ष्य फिलहाल स्पष्ट है. हमें देश के भविष्य के लिए लड़ना है. अहंकार, व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और अल्पकालिक राजनीतिक लाभ से ऊपर उठ कर, राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देनी होगी."

अखिलेश ने मुझे ये भी बताया कि सीट बंटवारे का मामला तय हो गया है, लेकिन इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. सपा के ही एक वरिष्ठ नेता ने मुझे बताया कि दोनों दलों को लगता है कि वो कांग्रेस के लिए राज्य की 80 लोक सभा सीटों में पांच से ज्यादा नहीं छोड़ेंगे. अगर उत्तर प्रदेश में ये तीनों एक साथ चुनाव लड़ते हैं तो निश्चित रूप से ये संख्या अहम होगी. गठबंधन के प्रयासों को झटका देते हुए बसपा ने 24 दिसंबर को घोषणा की कि वह मध्य प्रदेश की सभी लोक सभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी.

अक्षय मुकुल स्वतंत्र शोधकर्ता और पत्रकार हैं. वो गीता प्रेस और द मेकिंग ऑफ हिंदू इंडिया के लेखक हैं. फिलहाल हिंदी लेखक अज्ञेय की अंग्रेजी में पहली जीवनी पर काम कर रहे हैं.

Keywords: JP Narayan Jawahar Lal Nehru Narendra Modi Sitaram Yechury Chandrababu Naidu Ram Manohar Lohia Lalu Prasad Yadav Mulayam Singh Mulayam Singh Yadav BSP Rahul Gandhi Sonia Gandhi Rashtriya Swayamsevak Sangh
कमेंट