गुरदासपुर में बीआरओ के जवान की लिंचिंग के बाद हिंदू-सिख को लड़ाने का खेल

दीपक सिंह अपनी बीवी दीपक माला और बेटी के साथ. गुरदासपुर के लालसिंह कुल्ली वाले गुरुद्वारा परिसर में 30 जून और 1 जुलाई की मध्यरात्री में दीपक के साथ हुई मारपीट के बाद उनकी मौत हो गई. सौजन्य : दीपक माला
10 July, 2021

30 जून और 1 जुलाई की दरमियानी रात में पंजाब के गुरदासपुर स्थित गुरुद्वारा लालसिंह कुल्ली वाले के परिसर के भीतर जीआरईएफ (बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन) के जवान दीपक सिंह की लिंचिंग कर हत्या कर दी गई.

दीपक सिंह अरुणाचल प्रदेश में पोस्टेड थे और उनके पिता ओंकार सिंह जल आपूर्ति विभाग के अवकाश प्राप्त जूनियर इंजीनियर हैं. बेटे के साथ हुए जघन्य अपराध के बारे में जिस वक्त मैंने उनसे फोन पर बात की तब वह गुरदासपुर के सिविल अस्पताल में अपने बेटे का मृत्यु प्रमाण पत्र और पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने आए थे. लेकिन उस दिन अस्पताल के डॉक्टर के बेटे का जन्मदिन था और वह छुट्टी पर था. उन्होंने बताया, “वह (डॉक्टर) मेरा फोन नहीं उठा रहे हैं और यहां लोग बता रहे हैं कि वह कल आएंगे. मैं यहां से 30 किलोमीटर दूर रहता हूं और रात को आना पड़ता है. मैं 69 साल का हूं और इस उम्र में बेटे को खो देने का दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकता. हो सकता है जब आप मुझे अगली बार मुझे फोन करें तो मैं जिंदा ही न रहूं.” फिर खुद को संभालते हुए उन्होंने कहा, “हे भगवान जीवन कितना अनिश्चित है. मेरे बेटे की 9 साल की एक बेटी है और मेरी बहू प्राइवेट स्कूल में मामूली तनख्वाह पर पढ़ाती है. मुझे नहीं पता कि मेरे बाद उनका क्या होगा. हमारे पास बस दो एकड़ जमीन है और अब मैं किसी पर विश्वास नहीं करता. हम सभी धर्मों का सम्मान करते थे. दीपक परिवार के साथ स्वर्ण मंदिर जाया करता था. उसने हत्यारों को बताया होगा कि वह कौन है. वे उसके साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं? अब मुझे बैक डेट पर मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए एक नया आवेदन लिखना है.” ऐसा कहते कहते वह रोने लगे.

दीपक की पत्नी दीपक माला जब मुझसे फोन पर बात कर रही थीं तो बेहद टूटी हुई सी लग रही थीं. उन्होंने कहा, “मेरा मानवता पर से विश्वास उठ गया है. मैं नहीं मानती कि अच्छा होना अच्छी बात है. मेरे पति बहुत भले इंसान थे. वह सबसे बहुत विनम्रता से बात करते थे. उनकी पूरी तनख्वाह दूसरों की मदद करने या लोगों की बेटियों की शादी में खर्च हो जाया करती. ऑर्थोडॉक्स राजपूत परिवार से आते थे लेकिन वह बहुत उदार थे. क्या कोई यकीन करेगा कि गांव में रहते हुए भी हमारी केवल एक ही बेटी है? हम लोग ने कभी दूसरे बच्चे के बारे में सोचा नहीं. हम अपनी बेटी को ही अपना बेटा मानते थे. वह बेटी के सभी दोस्तों को खिलौने लाकर देते थे, उन्हें झूला झुलाने ले जाते और मिठाइयां लेकर देते. वह इतने दान कर देते थे कि कई बार मेरे ससुर को हमारी पैसों से मदद करनी पड़ती थी. उनका भगवान पर अटूट विश्वास था और वह मुझे दरबार साहिब के दर्शन के लिए ले जाया करते थे. उन्होंने आईटीआई की परीक्षा मेरिट में पास की थी और उनकी दो बहनें टॉपर रही हैं एक ने एमटेक किया है और दूसरी ब्रिटेन में रहती है. मैंने सुना है कि जिन लोगों ने उनके साथ यह किया है वे बहुत रसूखदार लोग थे और इसलिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है. आप बस इतना कर दीजिए कि दोषियों को सजा मिल जाए.”

उन्होंने मुझे दीपक की यूनिट से आए वे पत्र भी दिखाएं जो पुलिस और जिला प्रशासन के नाम थे. उनमें दीपक के मामले की स्टेटस रिपोर्ट और दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग की गई थी. माला ने बताया कि दीपक ने 30 जून को रात 9.15 पर अमृतसर से गुरदासपुर जाने वाली बस की टिकट लेते वक्त उनसे बात की थी. उन्होंने बताया, “हमने कुछ 37 सेकंड ही बात की. वह छह महीनों बाद घर आने के लिए बेताब थे.”

पिता ओंकार सिंह ने बताया कि अमृतसर में लैंड करने के बाद दीपक बस से घर आने वाले थे. बस ड्राइवर में उन्हें गलत जगह पर उतार दिया था और जैसा कि पंजाब की संस्कृति है वह गुरुद्वारा चला गया. उन्होंने कहा, “आधी रात में गुरुद्वारा से ज्यादा सुरक्षित स्थान क्या हो सकता है?”

जब दीपक की मां ने रात 12 बजे दीपक से बात की तो दीपक ने बताया कि वह गुरुद्वारा में है और जल्दी घर पहुंच जाएगा लेकिन तभी किसी ने दीपक को थप्पड़ मारा. फोन पर मां ने दीपक को कहते सुना कि, “यार थप्पड़ क्यों मार रहे हो.” ओंकार सिंह ने कहा जब मेरी पत्नी ने दीपक से पूछा कि वहां क्या हो रहा है तो उसने कहा, “तुसि चिंता न करो.” पिता ने बताया, “मैंने 12.27 बजे फिर दीपक को फोन लगाया तो उसने फिर कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है और घर पहुंच जाएगा. इसके बाद मैंने फिर 12.45 पर दीपक को फोन लगाया तो वहां तेज शोर हो रहा था. वह बात कर ही रहा था कि अचानक उसका फोन कट गया. फिर सुबह 7 बज कर 8 मिनिट पर पुलिस हमारे यहां आई और हमसे सिटी पुलिस स्टेशन चलने को कहा और बताया कि बेटे की मौत हो गई है.”

जीआरईएफ 1069 फील्ड वर्क शॉप के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल संदीप सिंह रावत ने 5 जुलाई को गुरदासपुर के कमिश्नर और सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस को खत लिख कर बताया है दीपक व्हीकल मैकेनिक दीपक सिंह बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) में 21 अप्रैल 2010 को शामिल हुआ था और वर्तमान में वह यूनिट को सेवा दे रहा था. रावत ने अपने पत्र में कहा है कि 30 जून 2021 को दीपक गुरुदास पुर के अपने गांव लहरी सरमो (परमानंद) जाने के लिए रवाना हुआ था. उस पत्र में रावत ने कहा है कि इस मामले की जांच होनी चाहिए और दोषियों को प्राथमिकता के साथ पकड़ा जाना चाहिए और यूनिट को मामले की जानकारी दी जानी चाहिए.

दीपक के मामले में एक आरोपी गुरजीत सिंह को 16 अप्रैल 2021 को उसके पूर्व कारोबारी साझेदार कुलदीप सिंह की शिकायत पर गुरदासपुर सिटी पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 307 और आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 के तहत गिरफ्तार किया था. कुलदीप सिंह रेत और बजरी के व्यापारी हैं. उस हत्या की कोशिश में कुलदीप जैसे तैसे बच गए. गुरजीत ने उन पर डबल बैरल गन से दो गोलियां चलाई थी.

दीपक सिंह के मामले में 1 जुलाई 2021 को दर्ज पहली एफआईआर में आईपीसी की धारा 304 और 34 के तहत मामला बनाया गया है जिसमें जगजीत सिंह, दलजीत सिंह और दो अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है. दीपक की मौत हो जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 को 2 जुलाई को धारा 302 में बदल दिया गया.

इसके बाद एक अलग ही खेल शुरू हो गया. दीप संधू जैसे लोगों ने दावा किया है कि हत्या का कारण “बेअदबी” है. साथ ही ऐसे लोग हत्या के मुख्य आरोपी दलजीत सिंह उर्फ बॉबी को निर्दोष बता कर उसका समर्थन कर रहे हैं. लेकिन गुरदासपुर के एसएसपी नानक सिंह ने मुझसे कहा कि यह बेअदी का मामला नहीं है. उन्होंने कहा कि पुलिस जांच में यह बात निकल कर आई है और संबंधित एसजीपीसी अधिकारियों ने भी यही बताया है.

वहीं, दक्षिणपंथी वेबसाइट ऑपइंडिया ने टि्वटर यूजर अक्काप्रसन्ना के एक ट्वीट के आधार पर खबर छापी कि दीपक ठाकुर के हत्यारे खालिस्तानी संगठन दमदमी टकसाल के उग्रवादी हैं. ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दीपक की हत्या के मुख्य आरोपी और समर्थकों के खालिस्तानी आंदोलन के गहरे संबंध हैं.

ट्विटर हैंडल कॉमीबन्नी (कामरेडबग्ज) ने एक वीडियो शेयर किया जो लिंचिंग से थोड़ा पहले का है. उस वीडियो में दीपक लोगों के बीच खड़े हैं और लोग उनसे पूछ रहे हैं कि उन्होंने ताला क्यों तोड़ा. जिसके जवाब में वह कह रहे हैं कि वह सो रहे थे. फिर एक महिला की आवाज सुनाई देती है जो कहती है कि उन्होंने कैमरे में देखा है कि दीपक एक अन्य आदमी के साथ ताला तोड़ रहे हैं. महिला की तोहमत के जवाब में दीपक मांग करते हैं कि वह उन्हें उस दूसरे आदमी के सामने पेश करे. उसके बाद दीपक पूछते हैं कि उस आदमी की पहचान बताइए.

बीजेपी के कार्यकर्ता अपूर्व सिंह ने दीपक की बेटी का एक वीडियो शेयर किया जिसमें वह अपने पिता के हत्यारों को फांसी दिए जाने की मांग कर रही है.

दूसरी तरफ, कथावाचक बरजिंदर सिंह परवाना ने दीप सिंधू की तरह दावा किया है कि दीपक बेअदबी करने के लिए गुरदासपुर आया था और “संगत ने उसे चांटा छकाया है. इसका मतलब है कि पिटाई की है. इह कथावाचक का दावा है कि समिति के सदस्यों ने “उस आदमी की पिटाई की और वह गड्डी चढ़ गया” यानी मर गया.

परवाना कहता है कि इस मामले में दलजीत सिंह बॉबी उर्फ दलजीत सिंह कश्मीर के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. परवाना के लिए दलजीत सिंह पंथक वीर या वीर दलजीत सिंह है.

वहीं, शिवसेना केसरी के विपन नय्यर ने एसएसपी गुरदासपुर के कार्यालय में इकट्ठा हुई भीड़ की प्रशंसा की है और परवाना को अभद्र शब्दों में कहा है कि “वह हिंदू और सिखों के बीच माहौल खराब करने की कोशिश कर रहा है.”

परवाना को मिलने वाले फंड पर सवाल उठाते हुए नय्यर ने दावा किया है कि यह घटना दिखाती है कि ये लोग पंजाब में हिंदुओं को झूठे मामलों में फंसा कर दबाना चाहते हैं जबकि आज तक किसी हिंदू को बेअदबी के लिए दोषी करार नहीं दिया गया है.

यहां अक्का प्रसन्ना की सिख और हिंदू मामलों की समझदारी पर सवाल खड़ा होता है. उसने दावा किया कि दीपक ठाकुर की दो बेटियां हैं जबकि दीपक की केवल एक ही बेटी है. इस अक्का प्रसन्ना की पोस्ट सिखों और सिख इतिहास के खिलाफ नफरत उगलने वाली है.

जब मैंने एसएसपी नानक सिंह से ऑपइंडिया और सोशल मीडिया में दलजीत सिंह के उग्रवादियों से संबंध होने की रिपोर्टों के बारे में पूछा तो तो उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई बात हमारे संज्ञान में नहीं आई है और दलजीत सिंह का पूर्व में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है.”

नानक सिंह ने बताया कि इस मामले के मुख्य आरोपी गुरजीत सिंह को 9 जुलाई की सुबह बटिंडा के तलबंडी साबो से गिरफ्तार किया गया है. बेअदबी की बात को भी खारिज करते हुए उन्होंने कहा, “बेअदबी हुई ही नहीं है इसलिए बेअदबी का मामला नहीं बनता है.” उन्होंने स्पष्ट करते हुए बताया, “यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसमें भूल और बेअदबी के शक के चलते दीपक से मारपीट हुई.” नानक ने कहा कि दीपक की मौत का कारण आंख पर लगी चोट हो सकती है.

एसएसपी सिंह के अनुसार वारदात सुबह 5 बजे से 6.30 बजे के बीच घटी थी. उन्होंने बताया कि पंथी जसपिंदर पाल सिंह गुरद्वारा परिसर में सुबह 5.15 बजे आया तो उसे ताला टूटा मिला. ताकझांक करने पर जसपिंदर ने दीपक को अंदर मौजूद पाया. नानक सिंह के अनुसार सीसीटीवी फुटेज से जसपिंदर और एक अन्य सहआरोपी के परिसर में आने के वक्त की पुष्टि होती है.

नानक सिंह का यह दावा हालांकि दीपक के पिता के बयान से मेल नहीं खाता. पिता ओंकार सिंह ने जैसा कि मुझे बताया है दीपक की मां ने जब रात 12 बजे के आसपास दीपक को फोन किया था तो उन्होंने दीपक को किसी से कहते सुना था, “यार थप्पड़ क्यों मार रहे हो.” ओंकार सिंह ने यह भी बताया है कि जब रात 12.45 बजे उन्होंने दीपक को तीसरी बार फोन किया तो “वहां तेज शोर हो रहा था” और जब वह बात कर ही रहा था कि अचानक फोन कट गया.”

पुलिस ने अब तक इस मामले में गुरजीत, उसकी बीवी हरजीत कौर, जसपिंदर पाल सिंह और दलजीत सिंह सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों में दो नाबालिग हैं इसलिए उन्हें बालगृह भेजा गया है.

गुरदासपुर सिविल अस्पताल में पहुंचने पर दीपक को मृत घोषित कर दिया गया था. उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ढेरों घाव लगने और उनके गले और श्वासनली में कुछ घुसे होने की बात है लेकिन रिपोर्ट में मृत्यु का कारण नहीं बताया गया है.