"अवैध कब्जा"

हल्द्वानी अतिक्रमण मामले में भारतीय रेलवे के दावों का पूरा सच

13 अक्टूबर 2023
''यहां के लोगों के तो ये भी दावे हैं कि तीन बार की बाढ़ से रेलवे खिसक कर उस तरफ आ गया जिधर अवैध कब्जा होने का वह दावा कर रहा है.'' यानी रेलवे खुद अवैध कब्जाधारी है.
फोटो पारिजात
''यहां के लोगों के तो ये भी दावे हैं कि तीन बार की बाढ़ से रेलवे खिसक कर उस तरफ आ गया जिधर अवैध कब्जा होने का वह दावा कर रहा है.'' यानी रेलवे खुद अवैध कब्जाधारी है.
फोटो पारिजात

हल्द्वानी रेलवे भूमि अतिक्रमण विवाद पर 20 दिसंबर 2022 को उत्तराखंड हाईकोर्ट का फैसला आने और फिर राष्ट्रीय मीडिया में छा जाने से करीब चार महीना पहले, सितंबर, से ही प्रशासन ने कथित अतिक्रमण हटाने की पूरी तैयारी कर ली थी. कार्रवाई का ब्लू प्रिंट स्थानीय अखबारों में लगभग रोज ही छप रहा था. 4365 परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलाने के महीने भर चलने वाले अभियान में अर्धसैनिक बल की 6 कंपनी (पुरुष), अर्धसैनिक बल 3 कंपनी (महिला), आरपीएफ 3 कंपनी (पुरुष), आरपीएफ 2 कंपनी (महिला), पीएसी/आईआरबी 8 कंपनी, 300 मजिस्ट्रेट, आठ सहायक/अपर पुलिस अधीक्षक, 26 पुलिस उपाधीक्षक, 97 इंस्पेक्टर, 145 एसआई, 36 महिला एसआई, 93 हेड कांस्टेबल, 1214 सिपाही, 361 महिला सिपाही, 101 यातायात पुलिस, 8आंसू गैस यूनिट, 13 फायर यूनिट, 5 बीडी स्क्वाएड, 5 डॉग स्क्वाड, 6 घुड़सवार सेक्शन तैनात होने थे.  

इसके अलावा रेलवे ने 25 पोकलैंड, 25 जेसीबी, मलबे को ढोने के लिए वाहन और पर्याप्त संख्या में मजदूरों की उपस्थिति के लिए भी तैयारी शुरू कर ली थी. तय जगहों पर बिजली के इंतजाम के लिए अधिशासी अभियंता से संपर्क हो चुका था. रेलवे पुलिस बल की 10 कंपनी सिर्फ रेलवे स्टेशन और रेलवे ट्रैक की सुरक्षा में तैनात होनी थी.

आने वाले दिनों में पुलिस ने दंगा नियंत्रण वैन, प्रिजनर वैन, बॉडी प्रॉक्टर, केन शील्ड, हेलमेट, लाठी/डंडे, रस्से, दूरबीन, ध्वनी विस्तारक यंत्र, 38 एमएम टियर गैस गन, एसएलआर/टियर स्मॉक सैल, सॉफ्ट नोज एलआर, एंटी राइड गन, रबड़ बुलेट, कैप्सी स्प्रे, कैप्सी ग्रेनेड समेत अन्य तरह के उपकरणों की मांग की थी. बाहर से फोर्स बुलाने के अलावा खुफिया तंत्र की निगरानी लगातार जारी थी. सोशल मीडिया सेल यूनिट की तैनाती हो चुकी थी. बिजली ठप होने पर सीसीटीवी कैमरे कैसे चलेंगे से लेकर ड्रोन से निगरानी की तैयारी भी चल रही थी.

यह सब रोजमर्रे की स्थानीय खबरों का हिस्सा हुआ करता था.

अनुमानों के मुताबिक 23 से 30 करोड़ रुपए तक का खर्चा इस कवायद में होने वाला था. रेलवे का दावा इतना पुख्ता है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट के जस्टिस रमेश चंद्र खुल्बे और जस्टिस शरद कुमार शर्मा की पीठ ने 20 दिसंबर 2022 को दिए अपने फैसले में लिखा, 

पारिजात कारवां में अनुवादक हैं.

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