हरियाणा में बेरोजगारी चरम पर, लेकिन चुनाव से गायब

24 अक्टूबर 2019
विडंबना यह है कि सत्तारूढ़ बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अभियानों में बेरोजगारी का जिक्र तक नहीं किया गया है. जबकि राज्य के पूरे दक्षिणी क्षेत्र में - नौकरी और उसका अभाव - बातचीत का सबसे आम विषय था.
प्रवीण कुमार/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस
विडंबना यह है कि सत्तारूढ़ बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अभियानों में बेरोजगारी का जिक्र तक नहीं किया गया है. जबकि राज्य के पूरे दक्षिणी क्षेत्र में - नौकरी और उसका अभाव - बातचीत का सबसे आम विषय था.
प्रवीण कुमार/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस

कृषि प्रधान राज्य हरियाणा में 21 अक्टूबर को चौदहवीं विधानसभा के चुनाव हुए. शाम 6 बजे तक राज्य में 61.92 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ. 2014 के विधान सभा चुनाव की तुलना में मत प्रतिशन में भारी गिरावट आई. पिछले​ विधान सभा चुनावों में 76.54 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. राज्य के सबसे दक्षिणी जिले नूंह की नूंह तहसील के 26 वर्षीय मुंफैद के अनुसार, ये चुनाव "सिर्फ एक नौटंकी" है. जब मैंने उनसे पूछा कि ऐसा क्यों है तो उसने कहा, "सत्तारूढ़ मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने नूंह के नौजवानों को न तो रोजगार दिया है और न ही हमारे लिए उनके पास कोई ठोस योजना है.” पिछले एक हफ्ते में, मैंने राज्य के तीन दक्षिणी जिलों- रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और मेवात- की यात्रा की. मेवात का नाम बदलकर तीन साल पहले नूंह कर दिया गया था​. चुनावों की भागदौड़ के बीच पूरे क्षेत्र में रोजगार में गिरावट एक हकीकत है.

मुंफैद ने कहा कि नूंह में बेरोजगारी इतनी ज्यादा है कि "यहां दिहाड़ी मजदूरों के लिए भी काम नहीं है." मुंफैद के पास स्वास्थ्य कार्यकर्ता की वोकेशनल डिग्री है लेकिन वह ड्राइवरी करता है क्योंकि उसे नौकरी नहीं मिली. "वैसे भी नौकरियां कहां हैं?" उसने कई सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन किया था, लेकिन वह कहता है, "अधिकारी केवल उन लोगों को प्राथमिकता देते हैं जो मोटी रकम देकर सीट खरीद सकते हैं."

10 लाख 89 हजार की आबादी वाले नूंह की साक्षरता दर 54.08 प्रतिशत है, जो हरियाणा के सभी जिलों में सबसे कम है. लेकिन पढ़े-लिखे इन थोड़े से युवाओं के लिए भी नौकरियां ढूंढना मुश्किल है. वर्तमान में राज्य बेरोजगारी संकट का सामना कर रहा है. बिजनेस-इंटेलिजेंस फर्म सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मई और अगस्त 2019 के बीच राज्य में बेरोजगारी दर 21.38 प्रतिशत के साथ देश में दूसरे स्थान पर थी. नूंह के 30 वर्षीय दुकानदार मंसूर अली ने मुझे बताया कि "नूंह के नौजवानों को यहां जो सबसे अच्छी नौकरी मिल पाती है वह या तो ड्राइवर की है या दुकानों में कंप्यूटर ऑपरेटर की. लेकिन आमदनी बहुत कम है." अली ने राज्य की राजधानी चंडीगढ़ के एक कॉलेज से विज्ञान वर्ग में ग्रेजुएशन किया है. लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान खोलने के लिए वह वापस आ गए "ताकि मैं इस उपेक्षित क्षेत्र में अपना कारोबार बढ़ा सकूं और यहां कुछ नौकरियां पैदा कर सकूं."

“मुझे लगता है कि नूंह इतना पिछड़ गया है कि यहां ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने आज तक ट्रेन नहीं देखी. रोजगार की संभावनाओं को बहुत बड़ा झटका लगा है.”

रोजगार की कमी इस क्षेत्र में कृषि की मौसमी प्रकृति और भयानक जल संकट से जुड़ी हुई है. इस क्षेत्र में मुख्य रूप से सरसों की खेती होती है क्योंकि यह फसल जल्दी तैयार हो जाती है इसलिए यह साल भर काम नहीं देती. नूंह के सामाजिक कार्यकर्ता नासिर हुसैन के अनुसार, यह क्षेत्र मुख्य रूप से मौसमी बारिश पर निर्भर है और पानी की पर्याप्त आपूर्ति की कमी साल-दर-साल खेती में बाधा डालती है. उन्होंने मुझे बताया कि इसके चलते जिले के अधिकांश शिक्षित और अशिक्षित युवा राज्य के अन्य हिस्सों में जाने के लिए मजबूर हैं ताकि ड्राइवरी कर महीने में दो से तीन हजार रुपए की मामूली कमाई कर सकें.

जुंबिश दिल्ली की पत्रकार हैं और द इंडियन एक्सप्रेस, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस और अहमदाबाद मिरर में काम कर चुकी हैं.

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