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7 अप्रैल को रात के लगभग 11 बजे हरियाणा के कैथल जिले के क्योड़क गांव के 60 साल के गयूर हसन घर पर सो रहे थे. बाहर से आ रहे शोर से उनकी नींद टूटी ही थी कि उन्हें उनके बेटे एहसान ने खबर दी कि उनकी दुकान को आग लगा दी गई है. जब तक हसन दुकान पहुंचे काफी सामान जल चुका था. हसन ने मुझे बताया, “मेरा घर मेरी दुकान से 200-250 मीटर दूर है. मेरा लोहे और वैल्डिंग का पुश्तैनी काम है.”
हसन और उनके पड़ोसियों ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया लेकिन तब तक बहुत कुछ खाक हो चुका था. हसन ने बताया, “अफवाहों में आकर गांव की ही नई नस्ल ने मेरी दुकान को आग लगा दी. मैंने अपनी जिंदगी में गांव में ऐसा होते नहीं देखा था. ऐसा नहीं है कि गांव के लोग मेरे साथ नहीं खड़े हैं. सभी लोग अब मेरे साथ खड़े हैं. जिस नई पीढ़ी ने आग लगाई थी उनके मां-बाप मुझसे मिलकर माफी भी मांगकर गए हैं और उन्हें दुख है कि उनके बच्चे नफरत की चपेट में आ गए हैं.”
हसन गांव-देहात के भाईचारे में यकीन रखने वाले इनसान हैं और जब मैंने उनसे बात की, तो वह अपनी उम्र के लोगों से मिल रहे समर्थन से संतुष्ट लग रहे हैं. मुझसे बात करते वक्त बार-बार गांव के लोगों पर यकीन रखने की बात ऐसे दोहरा रहे थे मानो उस रात की घटना पर यकीन नहीं करना चाहते हों. उन्होंने कहा, “आजकल इस फोन और खबरों से फैलने वाली नफरत की चपेट में बच्चे आ जाते हैं और इसका शिकार हो जाते हैं. इस नई नस्ल की मुझे फ्रिक होती है. हमारी नस्ल फिर भी समझदार है और उन्हीं के सहारे अब गांव में टिके हुए हैं.”
दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में आयोजित तबलीगी जमात के धार्मिक सम्मेलन की खबरों के बाद से ही हरियाणा में मुस्लिम समुदाय पर लगातार हमले हो रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 5 अप्रैल को रात 9 बजे 9 मिनट के लिए घर की बत्ती बुझा कर दिया जलाने की अपील का “पालन” न करने पर, राज्य के जींद जिले के ठाठरथ गांव में हिंदुओं ने अपने चार मुसलमान पड़ोसियों पर हथियारों से हमला कर दिया. इस हमले में बशीर खान और उनके तीन भाई- सादिक खान, नजीर खान और संदीप खान- बुरी तरह जख्मी हो गए. चारों पीड़ितों को इलाज के लिए जींद के सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया. तीन भाइयों को इलाज के बाद छुट्टी मिल गई है लेकिन सबसे छोटे भाई संदीप को गम्भीर रूप से जख्मी होने के कारण पीजीआईएमएस रोहतक में भर्ती करवाया गया था. फिलहाल संदीप को भी छुट्टी मिल गई है. बड़े भाई बशीर ने मुझे बताया, "5 तारीख की रात को हमने भी अपनी छत पर दिये जलाए थे लेकिन हमारे घर के बाहर हमेशा जलने वाली बत्ती जल रही थी. जिसका बहाना बनाकर सुबह हमारे पड़ोसियों ने यह कहते हुए हमला कर दिया कि पूरे गांव की बत्तियां बंद थीं लेकिन इन “गाड़ों” का बल्ब जल रहा था.
जब बशीर मुझसे बात कर रहे थे तो वह लगातार यह कह रहे थे कि पहले कभी “हमें गांव में किसी ने गाड़ा नहीं कहा था.” उन्होंने बताया, “जो हुआ सो हुआ. गांव ने इकट्ठा होकर हमें आश्वासन दिया है कि जिंदगी में दोबारा ऐसा नहीं होगा. हमारे ऊपर हमला करने वालों ने भी भरी पंचायत में माफी मांग ली है और हमने भी उन्हें माफ कर दिया है. गांव का मामला है दुश्मनी मोल लेकर जिंदगी नहीं चलती. वैसे भी हम तो राज मिस्त्री (घरों में चिनाई का काम करने वाले) हैं. हमारा सारा कुछ गांव से ही तो चलता है इसलिए गांव की सलाह पर हमने सुलह कर ली है."
हरियाणा में हो रहे सांप्रदायिक हमलों को रोकने के प्रयास में जुटे संगठन जमींदारा लीग के सामाजिक कार्यकर्ता मीत मान ने मुझे बताया, "हरियाणा में लोगों को कोरोना का डर दिखाने की बजाय मुसलमानों का डर दिखाया जा रहा है, जिसकी वजह से मुसलमानों पर लगातार हमलों की घटनाएं सामने आ रही हैं. हरियाणा के लोगों को यह समझना चाहिए कि जिनके ऊपर हम सांप्रदायिक नफरत से हमला कर रहे हैं उन्हें विभाजन के दौरान हमारे पूर्वजों ने अपनी गरज के लिए रोका था.” मान ने बताया, “सन 1947 में जब ये (मुस्लिम) लोग पाकिस्तान जाने लगे तो हमारे बुजुर्गों ने हाथ जोड़कर इन्हें यहीं रुकने के लिए कहा था ताकि गांव का सामाजिक और आर्थिक तानाबाना न टूटे.”
1947 में जिन्हें रोका गया था वे हाथ का काम जानने वाले हुनरमंद कामगार मुस्लिम थे, जिनकी जरुरत हर गांव में रहती है. खेती के औजारों से लेकर रसोई का सामान तक, हर जरूरी समान इनके हाथों से बनकर गांव के घर-घर और खेत-खेत पहुंचता था. मान कहते हैं, “आज हमारे गांवों में जो एक-दो घर मुसलमानों के बचे हैं, वे सब हमारे बुजुर्गों के कहने पर ही रुके थे. उनमें ज्यादातर लोहार, धोबी, जुलाहे और तेली जैसी कामगार जातियां हैं जो पूरे गांव को फसल काटने के औजार बनाकर देने, राज मिस्त्री, कपड़ों को रंगने, धोने और अन्य तरह के काम करते हैं. लेकिन अब अफवाहों में पड़कर हम उन्हें उजाड़ने में तुले हैं."
मान का अनुमान है कि जारी लॉकडाउन के बाद गांव में रहने वाले ज्यादातर मुस्लिम परिवार गांव छोड़ कर छोटे कस्बों में आ जाएंगे. उन्होंने मुझे बताया, "अगर आप हरियाणा के युवाओं के सोशल मीडिया एकाउंट और व्हाट्सअप देखें, तो हर जगह मुस्लिमों के खिलाफ नफरती संदेश तैरते हुए दिखाई देंगे.”
बीजेपी से चुनाव लड़ चुकीं अंतरराष्ट्रीय पहलवान बबीता फोगाट भी अपने ट्विटर अकाउंट से मुस्लिमों के खिलाफ सांप्रदायिक जहर उगल रहीं हैं. तबलीगी जमात के आयोजन से जुड़ा विवाद मीडिया में आने के बाद 2 अप्रैल को बबीता ने अपने ट्विटर में लिखा, “फैला होगा चमगादड़ से तुम्होरे वहां. हमारे हिंदुस्तान में तो जाहिल सूअरों से फैर रहा है. #Nizamuddinidiots”
2016 की हिट बॉलीवुड फिल्म दंगल बबीता, उनकी बहन गीता और पिता महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित थी. बबीत के ट्विटर में चार लाख से ज्यादा फॉलोवर हैं. 2 अप्रैल के ट्वीट के बाद जब लोगों ने बबीता की आलोचना की, तो उन्होंने अपने बचाव में कहा था, “डॉक्टर, पुलिस, नर्स जो इस संकट के समय देश की ढा़ल बनकर खड़े हैं उन पर हमला करने वालों को और क्या संज्ञा दूं. इसमें मेरा किसी धर्म, जाति विशेष के खिलाफ लिखने का कोई मकसद नहीं है. मैंने इस ट्वीट मैं सिर्फ कोरोना सेनानियों पर हमलावरों के खिलाफ लिखा है और आगे भी लिखती रहूंगी.” हालांकि बाद में ट्विटर ने बबीता के अकाउंट को सस्पेंड कर दिया था और ट्वीट डीलीट होने के बाद ही उनका अकाउंट दुबारा एक्टिवेट हुआ.
हालांकि बबीता ने 9 अप्रैल को एक बार फिर ट्वीट कर बीजेपी नेता अभिमन्यु सिंह सिन्धु के हरिभूमि अखबार की कटिंग साझा करते हुए अपने 2 अप्रैल के ट्वीट का बचाव किया. 9 अप्रैल के ट्वीट में बबीता ने अपने विधानसभा चुनाव क्षेत्र चरखी दादरी (जहां से उन्होंने अक्टूबर 2019 में बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था) से संबंधित एक झूठी खबर के हवाले से तबलीगियों को एक बार फिर कोरोना के लिए जिम्मेदार बताया. फोगाट ने उस ट्वीट में लिखा, “यह खबर मेरे जिला चरखी दादरी की है जिसमें अभी तक सिर्फ एक ही कोरोना पॉजिटिव मरीज मिला है. जो बात मैंने कुछ दिन पहले कही थी वह बात झूठ थी क्या??? अब बताओ हमारे यहां कोरोना वायरस कौन फैला रहा है??? प्यारे देशवासियों अभी भी समय है संभल जाओ. #Nizamuddinidiots”
उस खबर में जिस मुस्लिम युवक को कोरोना पॉजिटिव बताकर संक्रमण का जिम्मेदार बताया गया था, उसकी जांच रिपोर्ट, जो कारवां के पास है, कोरोना नेगेटिव आई है. फोगाट के ट्वीट की वजह से वह युवक सदमे में है और किसी से भी बात नहीं कर रहा.
जमींदार लीग के कार्यकर्ता मीत मान ने मुझसे कहा, “फोगाट के इस प्रकार जहर उगलने से हरियाणा के गांवों में रहने वाले मुसलमानों में भय पैदा हो गया है और ये लोग अपनी मातृभूमि छोड़ कहीं दूसरी जगह जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं.” मान ने कहा, “मेरे बहुत से मुस्लिम परिचितों ने मुझसे इस तरह के पलायन का जिक्र भी किया है. जिसकी वजह से पूरे हरियाणवी समाज का नुकसान होना तय है.”
मैंने बबीता से कई बार फोन पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. मैं उस युवक की कोरोना रिपोर्ट आने के बाद बबीता से पूछना चाहता था कि क्या उन्हें अफवाह फैलाने का अफसोस है. एक बार उनके पति विवेक सुहाग, जो खुद भी एक पहलवान हैं, ने उनका फोन उठाया और बताया कि वह अभी बात नहीं कर सकतीं.
चरखी दादरी के सामाजिक कार्यकर्ता इंदरजीत सांगवान ने उस युवक को जमाती बताकर कोरोना फैलाने का साजिशकर्ता बताने के अभियान में इलाके के सिविल सर्जन प्रदीप शर्मा और मीडिया के लोगों के शामिल होने का आरोप लगाया है. सांगवान ने कहा, “मुस्लिमों के खिलाफ माहौल बनाने में कई पत्रकार भी बीजेपी नेताओं का साथ दे रहे हैं.” सांगवान ने उस युवक और मुसलमानों के खिलाफ सांप्रदायिक कुप्रचार की लिखित शिकायत एसएचओ, चरखी दादरी से की है. उस शकायत में उन्होंने लिखा है, “इसमें प्रदीप शर्मा सिविल सर्जन चरखी दादरी के साथ बहुत से पत्रकार भी मिले हुए हैं. इन खबरों का उद्देश्य... मुस्लिम समाज के प्रति अफवाह फैलाना था जिसमें बहुत हद तक सफल हो गए. उपरोक्त पूरे मामले की जांच की जाए (और) दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई (की जाए).” सांगवान ने मुझे बतया, “एचएचओ ने अफवाहों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन मुझे दिया है."
चरखी दादरी की तरह ही रोहतक जिले के महम कस्बे में भी एक पत्रकार के खिलाफ सुनील खान ने अपने खिलाफ अफवाह फैलाने का मुकदमा दर्ज करवाया है. महम के रहने वाले सुनील खान ने मुझे बताया, "संसार क्रांति नाम के चैनल के पत्रकार करमू ने फेसबुक पर लाइव आकर मेरे घर में जमातियों के छिपे होने की खबर चलाई और साथ ही महम के एसएचओ के ऊपर मेरे घर की तलाशी लेने का दबाव डाला. तलाशी में कुछ भी न मिलने के बाद ही मैंने उस पत्रकार पर शिकायत दर्ज करवाई है.” सुनील ने कहा, “वीडियो के नीचे कमेंट देखकर मैं घबरा गया था. नीचे कमेँट में मुसलमानों को सबक सिखाने की बातें कही गई थीं. मेरे घरवाले अभी भी डर रहे हैं कि कहीं कोई भीड़ हमारे घर पर हमला न कर दे. हालांकि इलाके के लोग हमारे साथ हैं.” सुनील ने बताया कि किसान सभा के नेता बलवान सिंह ने उनके पक्ष में बयान जारी कर पुलिस से उचित कार्रवाही की मांग की है और क्षेत्र के किसानों से किसी भी तरह की अफवाह या उकसावे में न आने की अपील की है.
महम कस्बे के 50 वर्षीय वकील और सामाजिक कार्यकर्ता सुखवंत सिंह बताते हैं, "पूरे हरियाणा के युवाओं के व्हाट्सप्प अकाउंटों पर मुस्लिमों के खिलाफ नफरती संदेश लगातार भेजे जा रहे हैं. सिर्फ अफवाहों की बिनाह पर कभी मुस्लिमों को सबक सिखाने की बात हो रही हैं तो कभी उनका बहिष्कार करने की.” सिंह ने बताया कि हरियाण के बहुत से गांवों में मुस्लिम परिवारों का हुक्का-पानी तक बंद कर दिया गया है और पंचकुला जिले में तो ड्यूटी से लौट रही एक मुस्लिम नर्स और उनके पति पर यह कहते हुए भीड़ ने हमला कर दिया कि पाकिस्तान जाकर इलाज करो. उन्होंने कहा, “लॉकडाउन के बावजूद मुस्लिमों पर हमले हो रहे हैं. लॉकडाउन खुलने के बाद इस नफरत की वजह से और भी बुरा हाल होगा."