नागरिकता संशोधन कानून और झारखंड में महागठबंधन सरकार की संभावना पर झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन से बातचीत

रूपेश नारायण/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस

बीजेपी शासित राज्य झारखंड में आज पांचवें और अंतिम चरण के लिए मतदान हुआ. झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल महागठबंधन बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. हेमंत सोरेन महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं. वह झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के बेटे और भी झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. 81 सीटों वाली राज्य विधान सभा में झामुमो प्रमुख विपक्षी पार्टी है.

12 दिसंबर की शाम को स्वतंत्र पत्रकार अमित भारद्वाज ने झारखंड के दुमका जिले में हेमंत सोरेन से उनके घर पर बात की. उन्होंने झामुमो के नागरिकता (संशोधन) कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजिका, देश के संघीय ढांचे के भविष्य और स्वायत्त शासन की मांग वाले पत्थलगड़ी आंदोलन के बारे में पार्टी के विचार पर चर्चा की. हेमंत ने बताया, "यह मुसलमानों में भय की पैदा करने का सोचा समझा प्रयास है. लेकिन यह देश और इसका लोकतंत्र बहुत विशाल है. वर्तमान सरकार गांधी के विचारों की बात करती है और हिटलर की तरह व्यवहार करती है.”

अमित भारद्वाज : झारखंड में 14 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं. वे नागरिकता संशोधन कानून के पारित होने पर नाराज और चिंतित लग रहे हैं. इस कानून पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का क्या रुख है? क्या इसके पारित होने से बीजेपी के खिलाफ और आपके पक्ष में अल्पसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण होगा?

हेमंत सोरेन : बिल पास हो गया है. अब यह कानून बन चुका है और संबंधित राज्यों में चला जाएगा. यह राज्य सरकारों पर निर्भर है कि वह सीएए पर कैसे और क्या करती है. अगर हम सत्ता में आते हैं तो हम यह जानने के लिए सीएए का अध्ययन, विश्लेषण और समीक्षा करेंगे कि यह राज्य के हित में है या नहीं. हम पहले कुछ करने की स्थिति में नहीं थे लेकिन राज्य में कानून को निश्चित रूप से चुनौती दी जा सकती है.

अमित भारद्वाज : क्या आपको लगता है कि राष्ट्रीय नागरिक पंजिका से झारखंड में अल्पसंख्यक मतदाताओं में भय पैदा हो रहा है?

हेमंत सोरेन : यह जानबूझकर मुसलमानों में डर पैदा करने का प्रयास है. लेकिन यह देश और इसका लोकतंत्र बहुत विशाल है. वर्तमान सरकार गांधी के विचारों की बात करती है लोकिन हिटलर की तरह व्यवहार करती है. यह दोहरा रवैया लंबे समय तक नहीं चल सकता है. पूर्वोत्तर भारत जल रहा है. वहां खाद्य कीमतें आसमान छू रही हैं. बीजेपी को संविधान और भारतीय लोकतंत्र की कोई परवाह नहीं है. जब पूरी दुनिया सो रही थी तो उन्होंने महाराष्ट्र में जिस तरह सरकार बनाई उसे देखिए. 2014 से यानी कार्यकाल के पहले दिन से, वे विकास के सारे मुद्दों से पीछे हट गए और अपने वैचारिक एजेंडे पर काम कर रहे हैं.

अमित भारद्वाज : क्या सत्ता में निर्वाचित होने पर आपकी पार्टी झारखंड में एनआरसी को रोकेगी? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही आश्वासन दिया है कि वह इसे अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगी.

हेमंत सोरेन : जैसा मैंने कहा, राज्य सरकारों को अपने मतदाताओं के हितों के अनुसार निर्णय लेना चाहिए. केंद्र सरकार राज्यों पर कानून नहीं थोप सकती. बीजेपी देश के संघीय ढांचे पर हमला कर रही है और लोकतंत्र को कमजोर करने के उनके प्रयासों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से ही जवाब दिया जाएगा.

अमित भारद्वाज : आदिवासी मतदाता झामुमो के प्रमुख घटक हैं. झामुमो ने उस समय क्यों चुप्पी साधे रखी जब पत्थलगड़ी आंदोलन के समर्थकों को "राष्ट्र-विरोधी" करार दिया गया था?

हेमंत सोरेन : झामुमो और उसके नेता सक्रिय रूप से पत्थलगड़ी आंदोलन के साथ थे. लेकिन हम सिर्फ एक ही मुद्दे पर जमें नहीं रह सकते थे क्योंकि पिछले पांच सालों में मुख्यमंत्री रघुबर दास ने राज्य भर में गड़बड़ी मचाई हुई है. इन पांच वर्षों के दौरान, सीएम ने लोगों को पत्थलगड़ी और सीएनटी-एसपीटी कानून में संशोधन पर विरोध करने के लिए मजबूर किया. (छोटानागपुर किरायेदारी अधिनियम और संथाल परगना किरायेदारी अधिनियम इन प्रशासनिक प्रभागों में भूमि को गैर-बिक्री योग्य बनाते हैं. कानून आदिवासी समुदायों के भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए था. 2016 में राज्य की बीजेपी सरकार ने इन कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव किया, जो राज्य को निजी व्यवसाय और विकास कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण को सक्षम करेगा.) उन्होंने वन अधिकार अधिनियम, अधिवास नीति और निजी कंपनियों के लिए भूमि अधिग्रहण कानूनों में बदलाव करने की कोशिश की. केवल राजनीतिक वर्ग ही नहीं बल्कि आम जनता भी रघुबर दास से नाराज है. व्यापारी वर्ग को निशाना बनाया जा रहा है, उनसे फिरौती मांगी जा रही है और उनकी हत्या की जा रही है.

अमित भारद्वाज : आप राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति को कैसे देखते हैं?

हेमंत सोरेन : झारखंड में कानून का राज नहीं है. यहां जंगल राज है. मुझे तो लगता है कि झारखंड सीएम के बिना चल रहा है. रघुबर दास बस रबड़स्टांप हैं. मैं उन्हें फोटोकॉपी मशीन कहता हूं. उनके पास कोई दृष्टि नहीं है, कोई विचार नहीं है.

अमित भारद्वाज : क्या आप अपने मूल मतदाओं, आदिवासी समुदायों के बारे में बता सकते हैं. क्या आपने उन्हें उसी तरह देखते हैं जैसे बीजेपी अपने हिंदू वोट बैंक को देखती है?

हेमंत सोरेन : मैं आपसे सहमत नहीं हूं. झामुमो की राजनीतिक पृष्ठभूमि बीजेपी से पूरी तरह अलग है. हम राजनीतिक योद्धा हैं, नेता नहीं. हमारी लड़ाई के कारण झारखंड का गठन हुआ. अगर आप छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड को देखें, तो एक अलग राज्य के गठन के लिए राजनीतिक संघर्ष का उनका ​इतिहास इतना लंबा नहीं है.

अमित भारद्वाज : झामुमो ने पारंपरिक रूप से राज्य में आदिवासी की राजनीति की है. लेकिन इस चुनाव में, आप गैर-आदिवासी मतदाताओं को भी लुभाने का प्रयास कर रहे हैं. इन दोनों समूहों के बीच पहचान को लेकर संघर्ष है. आदिवासी समुदाय के सदस्य गैर-आदिवासियों को “दिकू” या बाहरी लोगों कहते हैं.

हेमंत सोरेन : आप दिकू शब्द का गलत अर्थ लगा रहे हैं. पहले दिकू क्षेत्र के राजनीतिक नेताओं का लोकप्रिय शब्द हुआ करता था. झारखंड में बहुत परेशान करने वाले आदमी को हम दिकू कहते हैं. साथ ही, बीजेपी और उसकी विचारधाराओं ने मूलवासी (मूल निवासी) जैसे शब्द बनाए हैं इस मिलते-जुलते शब्द को आदिवासी के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा है. राज्य के गठन से पहले यह शब्द मौजूद नहीं था. वे समुदायों के बीच अंतर पैदा करने के लिए शब्दों के साथ खेलते हैं. दूसरी ओर, हम एक झारखंडी भावना पैदा करना चाहते हैं. जब पूरे देश को “हिंदू” के नाम पर लामबंद किया जा सकता है तो झारखंडियों को झारखंडी के नाम पर एक साथ खड़ा क्यों नहीं किया जाए?

अमित भारद्वाज : झारखंडी से आपका क्या अभिप्राय है?

हेमंत सोरेन : जब मैं झारखंडी की बात करता हूं, तो मैं आदिवासी और गैर-आदिवासी दोनों की बात करता हूं. आज भी झामुमो को झारखंडियों का अपार प्रेम और समर्थन प्राप्त है. मैं आपको एक बहुत ही व्यक्तिगत और भावनात्मक घटना बताता हूं जो पोड़ैयाहाट विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान घटी थी. आदिवासी महिलाओं ने पत्तियों और 2 रुपए और 5 रुपए के नोटों से बनी माला से मेरा स्वागत किया गया. आप इन मालाओं को बाजार में नहीं खरीद सकते. जैसे ही मैं हेलिकॉप्टर पर चढ़ रहा था एक महिला भीड़ के बीच से चीखती हुई मुझसे मिलने आई. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा "यह रखो, मैं गरीब हूं और मैं केवल इतनी ही मदद दे सकती हूं." जब मैंने अपनी हथेली खोली, तो उसमें 10 रुपए का नोट था. यह अभी भी मेरी जेब में है. उसके पैर में चप्पल भी नहीं थी. यह मदद 'झारखंडी’ भावना की ताकत है, यह हमारी ताकत है.

अमित भारद्वाज : क्या आप अपने आदिवासी मतदाता आधार से विस्तार देने की कोशिश कर रहे हैं. क्या रणनीति में जानबूझकर बदलाव किया गया है?

हेमंत सोरेन : झामुमो का गठन एक अलग राज्य के निर्माण के लिए किया गया था और अब हम सत्ता में आने के लिए राजनीति कर रहे हैं. हम सत्ता में एक समुदाय या एक समूह के लिए नहीं बल्कि सभी की सेवा के लिए आना चाहते हैं. सत्ता की राजनीति सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व करने के लिए की जाती है. इसके अलावा, बीजेपी आरोप लगाती है कि झामुमो सत्तारूढ़ होने के लिए राजनीति कर रही है. अगर बीजेपी की दिलचस्पी सत्ता में रहने की नहीं है तो वह चुनाव क्यों लड़ रही है? वह कोई एनजीओ चलाकर भी समाज सेवा कर सकती है. जो चुनाव लड़ता है, इसका मतलब है कि वह चुनाव जीतना चाहता है और सत्ता में बने रहना चाहता है.

अमित भारद्वाज : बीजेपी ने आरोप लगाया है कि अगर झामुमो सत्ता में लौटी तो नक्सल समस्या राज्य में लौट आएगी. आप इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं?

हेमंत सोरेन : ये वही लोग हैं जो जनता को बेरोजगार रखकर नक्सली पैदा करते हैं. जुमलेबाजी की बात करें तो बीजेपी बहुत चतुर है. वे नक्सल, शहरी नक्सल, ग्रामीण नक्सल जैसे शब्द गढ़ते रहेंगे.

अमित भारद्वाज : बीजेपी के शीर्ष नेताओं, जिनमें बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हैं, ने झामुमो पर वंशवादी पार्टी होने का आरोप लगाया है. उनका दावा है कि अगर महागठबंधन सत्ता में लौटती है तो वह राज्य में “लूट और भ्रष्टाचार” लाएगी.

हेमंत सोरेन : शेर का बच्चा शेर ही पैदा होगा, कुत्ता थोड़ी पैदा होगा. बीजेपी के लिए मेरी एकमात्र प्रतिक्रिया यह है कि यह हमारी गलती नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कोई बच्चा नहीं है. और जहां तक जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री दास का सवाल है, वे यह भी नहीं जानते कि कौन सा खेल धोनी खेलते हैं. यह झारखंड की उनकी समझ को उजागर करता है. मैं उनके नेताओं से नहीं डरता.

मैं बीजेपी को खुली चुनौती दे रहा हूं- रघुबर दास और मेरे बीच सीधी बहस हो. मैं उन्हें प्याज की परतों की तरह परत-दर-परत उघाड़ दूंगा. बीजेपी भ्रष्टाचार की परिचायक है और हम पर गलत आरोप लगाते हैं. बीजेपी ने ही देश के सभी 731 जिलों में जमीन खरीदी है और अब वे इन जगहों पर भव्य पार्टी कार्यालय बना रहे हैं. बीजेपी पहले 50 करोड़ रुपए की पार्टी थी अब 2000 करोड़ रुपए की पार्टी बन गई है.

अमित भारद्वाज : आपको कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी दोस्त माना जाता है. आज कांग्रेस पार्टी कठिन दौर से गुजर रही है. आप उसे क्या सलाह देंगे?

हेमंत सोरेन : (हंसते हुए) मैंने राहुलजी के साथ 12 दिसंबर को एक संयुक्त बैठक को संबोधित किया. मुझे नहीं लगता कि ऐसा करने की जरूरत है. उनको सलाह देने के लिए उनके कद के नेताओं की अपनी व्यवस्था और तंत्र है.

अमित भारद्वाज : आप चुनाव परिणामों से क्या उम्मीद करते हैं? झामुमो कितनी सीटें जीतेगी?

हेमंत सोरेन : यह एक दिलचस्प सवाल है लेकिन ईमानदारी से कहूं तो “65 पार, 70 पार, 300 पार” का दावा करने वाली यह भाषा बीजेपी की है. और हम ऐसी राजनीति नहीं करते हैं.

अमित भारद्वाज : मुझे कोई तो आंकड़ा बताएं?

हेमंत सोरेन : जैसा कि मैंने पहले कहा था, हम राजनीतिक योद्धा हैं. हम केवल दो शब्दों को समझते हैं- जीत या हार.

अमित भारद्वाज : आपने कांग्रेस को 31 सीटें दी हैं. कांग्रेस से आपकी क्या अपेक्षा है?

हेमंत सोरेन : मैं कोई सर्वे एजेंसी नहीं चलाता. लेकिन मैं आपको विश्वास दिला सकता हूं कि झामुमो, कांग्रेस और राजद चुनाव जीतने जा रहे हैं.

अमित भारद्वाज : कई चुनाव विशेषज्ञ कह रहे हैं कि झामुमो ने कांग्रेस को 31 सीटें देकर बहुत बड़ी राजनीतिक गलती की है.

हेमंत सोरेन : जहां तक ​​कांग्रेस की संख्या का सवाल है, आपको उनसे संपर्क करना चाहिए. अब हम सीट-बंटवारे के बारे में चर्चा करने के चरण से आगे आ चुके हैं. लेकिन मैं आपको आश्वासन दे सकता हूं, वे अच्छा प्रदर्शन करेंगे.

अमित भारद्वाज : आंतरिक पारिवारिक विवादों और सोरेन परिवार के मतभेदों के बारे में अटकलें लगाई जाती रही हैं. क्या आप इस पर टिप्पणी कर सकते हैं?

हेमंत सोरेन : हम सिर्फ एक पार्टी नहीं बल्कि एक राजनीतिक परिवार चलाते हैं. किसी भी परिवार और हर परिवार में आंतरिक विवाद होते हैं, हम कोई अलग नहीं हैं. एक बार जब हम चीजों को सही ढंग से रखते हैं और आंतरिक समस्याओं को हल करने की कोशिश करते हैं, तो चीजें ठीक हो जाती हैं.

अमित भारद्वाज : क्या आप मतदाताओं से वादा कर सकते हैं कि आप बीजेपी के साथ चुनाव के बाद गठबंधन नहीं करेंगे?

हेमंत सोरेन : मैं कहूंगा कि राजनीति में कोई भी काल्पनिक सवालों का जवाब नहीं दे सकता है. नतीजों के बाद एक ही संभावना है- झारखंड में महागठबंधन सरकार बना रही है.

अमित भारद्वाज : कितनी सीटों के साथ?     

हेमंत सोरेन : पूर्ण बहुमत के साथ. हम 50 से ज्यादा सीटें जीतेंगे.