हिमाचल प्रदेश सरकार का निर्देश: मोदी की जन अभियान रैली के लिए राज्य की मशीनरी का हो उपयोग

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में राज्य मशीनरी का उपयोग कथित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक रैली के लिए किया गया. कारवां के हाथ लगे एक सरकारी आदेश से इसका पता चला है. रवि कुमार/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस
29 December, 2018

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हिमाचल प्रदेश में राज्य मशीनरी का उपयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धर्मशाला रैली को व्यवस्थित करने के लिए कथित रूप से किया गया. दो दिन पहले मोदी ने रैली को संबोधित किया था. कारवां के हाथ लगे एक सरकारी आदेश से यह खुलासा हुआ है. राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के गठन की पहली वर्षगांठ के अवसर पर रैली का आयोजन किया गया. आदेश के अनुसार, सरकारी अधिकारियों को हजारों की संख्या में टारगेट नंबर दिए गए हैं-जिसके तहत पहाड़ी राज्य के सभी हिस्सों से लोगों को जुटाना था- कुल टारगेट 36000 लोगों के करीब का था. परिवहन मुहैया करने के लिए हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (HRTC) से कहा गया.

ये आदेश जो हिमाचल प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) द्वारा 17 दिसंबर को जारी किया गया है, कहता है:

मंत्रिपरिषद की 15.12.2018 को हुई बैठक ने निर्णय लिया है कि 27 दिसंबर, 2018 को प्रस्तावित एक साल का जश्न एक राज्य समारोह होगा और इस खाते का सारा खर्च हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जाएगा.

इसके अलावा आदेश कहता है कि एक "लाभार्थी सम्मेलन" भी आयोजित किया जाएगा-केंद्रीय योजनाओं के उन सभी लाभार्थियों को, जिन्हें बीजेपी के 2014 के आम चुनाव जीतने के बाद और पार्टी के राज्य में जीतने के बाद लाभ मिला, "माननीय प्रधान मंत्री के साथ बातचीत के लिए बुलाया जाएगा." यह निर्देश अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहता है कि 36500 लाभार्थियों को विभिन्न जिलों से धर्मशाला में लाया जाए: कांगड़ा से 15000; चंबा से 2000; हमीरपुर, ऊना और बिलासपुर से 3000-3000; मंडी से 5000; शिमला और सोलन दोनों जगह से एक-एक हजार; कुल्लू से 2000; और सिरमौर, किन्नौर, लाहौल और स्पीति से 500-500. आदेश में कहा गया है कि संबंधित उपायुक्त लाभार्थियों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ ताल-मेल बिठाएंगे.

निर्देशात्मक विवरणों में कहा गया है कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि धर्मशाला तक आने की लाभार्थियों की यात्रा सुचारू हो. आदेश संबंधित विभागों को लाभार्थियों को नाश्ता और दोपहर का भोजन देने को कहता है और डिप्टी कमिश्नर से बसों के लिए एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक के साथ ताल-मेल बिठाने को भी. ये ऐसा भी कहता है कि सभी जिलों के साथ-साथ जीएडी के राज्य मुख्यालय में भी नियंत्रण कक्ष खोले जाएं-इन कमरों को प्रत्येक बस में संपर्क अधिकारियों के संपर्क में होना चाहिए जो लाभार्थियों का ट्रैक रखने के लिए जिम्मेदार हैं. आदेश में कांगड़ा के डिप्टी कमिश्नर से बसों के लिए पार्किंग स्थल की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है और कहा गया है कि बस परिवहन के सभी खर्चों का भुगतान जीएडी द्वारा एचआरटीसी को किया जाएगा.

कारवां द्वारा हासिल किए गए आदेश पर जीएडी के सचिव डॉक्टर आरएन बट्टा के हस्ताक्षर हैं. जब मैंने प्रतिक्रिया के लिए उनके ऑफिस में फोन किया तो मुझे बताया गया कि वो विदेश यात्रा पर हैं. मैंने जीएडी के अतिरिक्त सचिव मनोज तोमर से बात की जिन्होंने मुझे बताया कि वो इस आयोजन का समन्वय कर रहे हैं. तोमर ने पुष्टि की कि इस आयोजन के लिए लगभग 36000 लोगों को धर्मशाला लाया जा रहा था, जिसमें एक सार्वजनिक बैठक और केंद्र और राज्य की योजनाओं के लाभार्थियों के साथ एक बैठक शामिल है. तोमर ने कहा, "मेरे पास [विशिष्ट योजनाओं] का विवरण नहीं है, लेकिन ये सभी योजनाओं से जुड़ा होगा. उदाहरण के लिए आयुष्मान भारत, जननी सुविधा, स्टार्टअप स्कीम." मैंने उनसे पूछा कि क्या सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया जा रहा है. उन्होंने जवाब दिया, "मैं इस पर कमेंट नहीं कर सकता कि क्या यह एक राजनीतिक इवेंट है."

ये पहला मौका नहीं है जब भाजपा अपनी छवि चमकाने के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग कर रही है. अक्टूबर में राजस्थान सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग (डीआईपीआर) को 6 अक्टूबर को अजमेर में मोदी की रैली की कवरेज करने के लिए कहा गया था. डीआईपीआर कर्मचारियों ने राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा जिसमें कहा गया कि हाई कोर्ट के एक फैसले का उल्लंघन करते हुए सरकारी मशीनरी को बीजेपी की राजनीतिक रैली के लिए तैनात किया जा रहा है. कांग्रेस नेता जीएस बाली ने बीजेपी पर हिमाचल प्रदेश की रैली के लिए सार्वजनिक संसाधनों के दोहन का भी आरोप लगाया है.

कांगड़ा जिले के पुलिस उपायुक्त संदीप कुमार ने कहा कि 1300 से 1400 बसों में लगभग 35000 से 40000 लाभार्थियों को लाया जा रहा है. जब मैंने उनसे पूछा कि क्या सरकारी अधिकारियों पर लाभार्थियों के एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करने का दबाव है, तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, “ऐसा कुछ नहीं है, लोग स्वेच्छा से आ रहे हैं. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम प्रधानमंत्री के आयोजन के लाभार्थियों को पहचानें.”

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तुषार धारा कारवां में रिपोर्टिंग फेलो हैं. तुषार ने ब्लूमबर्ग न्यूज, इंडियन एक्सप्रेस और फर्स्टपोस्ट के साथ काम किया है और राजस्थान में मजदूर किसान शक्ति संगठन के साथ रहे हैं.