दिल्ली हिंसा का पर्दाफाश : भाग तीन

कैसे हिंदुओं के ध्रुवीकरण के लिए बीजेपी और भाजयुमो ने किया दिल्ली चुनाव का इस्तेमाल

03 मार्च 2021
12 जनवरी 2020 को सीएए के समर्थन में प्रदर्शन करते भारतीय जनती युवा मोर्चा के सदस्य.
नरेंदर नानू/ एएफी/ गैटी इमेजिस
12 जनवरी 2020 को सीएए के समर्थन में प्रदर्शन करते भारतीय जनती युवा मोर्चा के सदस्य.
नरेंदर नानू/ एएफी/ गैटी इमेजिस

23 फरवरी 2020 तक दिल्ली हिंसा अपने चरम पर पहुंच गई थी लेकिन सीएए को लेकर बीजेपी की राजनीतिक लामबंदी दिल्ली चुनाव अभियान के मुख्य मुद्दे के रूप में बहुत पहले से ही शुरू हो गई थी. 8 फरवरी 2020 को राजधानी दिल्ली में चुनाव संपन्न होने के कई दिन पहले से ही बीजेपी ने बड़ी संख्या में अपने कार्यकर्ताओं को स्थानीय हिंदुओं को सीएए विरोधी आंदोलनकारियों के खिलाफ भड़काने और हिंसा के लिए प्रेरित करने के काम में लगाया था.

उत्तर पूर्व दिल्ली के सोनिया विहार वॉर्ड के बीजेपी मंडल अध्यक्ष अनुपम पांडे ने अपने संगठन के लिए सीएए के समर्थन में सक्रिय रूप से प्रचार किया. 31 दिसंबर 2019 को पांडे ने एक रैली को संबोधित करते हुए सीएए के विरुद्ध आंदोलन करने वालों को देशद्रोही बताया. उनके एक सहयोगी द्वारा पोस्ट की गई रैली की एक वीडियो में पांडे को लोगों से कहते हुए सुना जा सकता है कि, “मैं आपको कुछ बताने आया हूं कि अगर इस देश मे कोई हिंदुओं की बात करता है तो वह सिर्फ बीजेपी है. अगर दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बीजेपी का होता है, तो ये गद्दार जो सड़कों पर बैठे हैं, जो बसें जला रहे हैं, हमें कम से कम उनसे छुटकारा मिल जाएगा.''

उत्तर पूर्वी दिल्ली के बाबरपुर वार्ड की बीजेपी पार्षद कुसुम तोमर भी सीएए के समर्थन में लामबंदी करने सक्रिय थीं. 30 जनवरी को बाबरपुर विधान सभा से बीजेपी के प्रत्याशी नरेश गोड के लिए प्रचार करते हुए तोमर ने भीड़ से कहा, "जब आप लोग अपना वोट डालें तो ऐसा लगना चाहिए जैसे आप गद्दारों का गला घोंट रहे हो." चातक की तरह ही तोमर भी युवा हिंदू संघ से जुड़ी हुई हैं, जिसने हिंसा से कुछ महीनों पहले ही मौजपुर मंदिर में हनुमान चालीसा का आयोजन कराया था.

तोमर ने मुझे बताया कि वह मौजपुर केवल इसलिए गई क्योंकि उनकी पार्टी के बहुत से लोग वहां मौजूद थे. लेकिन उन्होंने अपने भाषण से भीड़ को उकसाने वाली बात से इनकार किया. उन्होंने कहा, "सब लोग वहां पर थे तो हम भी चले गए, इससे ज्यादा तो और कुछ नहीं हुआ." जब मैंने उनसे उनके उत्तेजक भाषण के वीडियो के बारे में पूछा तो उन्होंने मेरी ही नियत पर सवाल उठाते हुए पूछा, "अब आप क्यों सीएए आंदोलन के बारे में पूछ रहे हैं?" फोन रखने से पहले तोमर ने भाषण में दिए प्रदर्शनकारियों के गले घोटने वाले अपने बयान से पल्ला झाड़ते हुए कहा, "ये ऐसी चीजें हैं जो हर कोई चुनाव प्रचार के दौरान कहता है. मैंने भी शायद ऐसा ही कुछ बोल दिया होगा. हालांकि मुझे याद नहीं है कि मैंने ऐसा कुछ कहा था या नहीं."

23 फरवरी को तोमर अपनी पार्टी के नेता कपिल मिश्रा के साथ थीं जब उन्होंने पुलिस को अंदोलनकारियों से जाफराबाद रोड खाली करने वाला भड़काऊ भाषण दिया था. और धमकी दी थी कि ऐसा न होने पर पुलिस से इस मामले को अपने हाथ में लेकर खुद कार्रवाई करेंगे. उनके साथ सीलमपुर विधान सभा क्षेत्र से हारे हुए बीजेपी के उम्मीदवार कौशल मिश्रा भी मौजूद थे. मॉडल टाउन निर्वाचन क्षेत्र के कौशल और कपिल दोनों ने अपने चुनाव अभियानों के दौरान ध्रुवीकरण के सहारे वोट बटोरने की कोशिश की थी. आखिर में दोनों ही हार गए लेकिन कपिल 41 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल रहे और कौशल को 27 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए.

सागर कारवां के स्‍टाफ राइटर हैं.

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