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27 जुलाई को एक अंतरराष्ट्रीय जांच के हिस्से के रूप में दि वायर ने खुलासा किया कि कोवई रामकृष्णन का फोन नंबर उन 50000 फोन नंबरों में से एक है जिसकी इजरायली कंपनी एनएसओ के सॉफ्टवेयर पेगासास के जरिए जासूसी की जा रही है.पेगासस मैलवेयर है जो हैकर को फोन तक पहुंचने और उसकी निगरानी करने देता है. लीक हुए डेटाबेस फ्रांसीसी गैर-लाभकारी मीडिया संगठन फॉरबिडन स्टोरीज को प्राप्त हुआ था. एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब ने डेटाबेस में सूचीबद्ध कुछ फोनों का फॉरेंसिक विश्लेषण किया था, जिसमें पुष्टि की गई थी कि वे पेगासस से संक्रमित थे.
कोवई रामकृष्णन तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित पेरियारवादी तर्कवादी और जाति-विरोधी संगठन थान्थाई पेरियार द्रविड़ कजगम के अध्यक्ष हैं. रामकृष्णन ने बताया कि इसकी पूरी संभावना है कि उनका फोन मैलवेयर से संक्रमित था क्योंकि तर्कवाद, सांप्रदायिक सद्भाव और अंतर-जातीय विवाह की वकालत करने के उनके काम ने भारतीय जनता पार्टी को शहर कमजोर किया है. तमिलनाडु की स्वतंत्र पत्रकार सुजाता सिवागनानम ने इस मामले पर रामकृष्णन से बात की.
सुजाता सिवगनानम : आपको पहली बार कब पता चला कि आपका फोन पेगासस से संक्रमित हो सकता है?
के रामकृष्णन : ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि पुलिस हमारी निगरानी कर रही हो. 90 के दशक की शुरुआत से हम जानते हैं कि पुलिस हमारी जासूसी कर रही है. 80 के दशक में जब भारत लिट्टे [लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम] को प्रशिक्षण दे रहा था, हम उनकी भी सहायता करते थे. भारत द्वारा लिट्टे से संबंध तोड़ने के बाद हम पर लगातार पुलिस की नजर रहती थी और अक्सर हमारे खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जाते थे. हमारे ईलम समर्थक तमिल रुख के कारण हम निगरानी में हुआ करते थे.
लेकिन हम इसके लिए तैयार थे. जब मैं कहीं यात्रा करता तो बस और ट्रेन के टिकटों को हमेशा संभाल कर रखता क्योंकि न जाने कब अपने खिलाफ किसी झूठे मामले में बतौर सबूत इनकी जरूरत पड़ जाए. पुलिस की पूछताछ से बचने में यह हमेशा मददगार होता था. लेकिन अब जो हो रहा है वह कहीं ज्यादा खतरनाक है. ऐसा लगता है कि वह व्यक्तिगत और पेशेवर ढंग से हमारी हर चीज की जासूसी कर सकते हैं.
मुझे इस बारे में तब पता चला जब कुछ दिन पहले दि वायर के रिपोर्टर ने मुझे फोन किया. मैं इसके बारे में सुनकर बहुत चौंक गया क्योंकि 90 के दशक में जिन कारणों से हमारी निगरानी करनी पड़ती, उनमें से कोई भी अब मौजूद नहीं है. अगर वह अभी हमें निशाना बना रहे हैं, तो साफ तौर पर इसकी वजह कुछ और है.
सुजाता सिवगनानम : हम केवल यह जानते हैं कि पेगासस को एनएसओ से खरीदा गया था. हम निश्चित रूप से नहीं कह सकते कि इसका इस्तेमाल केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा किया गया था. क्या यह सही है?
के रामकृष्णन : नहीं यह सही नहीं है क्योंकि यह लगभग तय बात है कि केंद्र सरकार ने इसका इस्तेमाल किया है. अगर आप देखें कि मैं और टीपीडीके क्या काम कर रहे हैं, तो ज्यादातर मुद्दे बीजेपी सरकार के प्रचार और नीतियों को चोट पहुंचाते हैं, राज्य सरकार को नहीं. हमने भाषाई अधिकारों, संघीय ढांचे में राज्य के अधिकारों और सबसे महत्वपूर्ण सांप्रदायिक सद्भाव और जाति के उन्मूलन के लिए लगातार संघर्ष किया है. ये ऐसे मुद्दे हैं जो तमिलनाडु सरकार के साथ मेल खाते हैं लेकिन संघ परिवार के एजेंडे के खिलाफ हैं जो अब केंद्र सरकार को नियंत्रित करता है
सुजाता सिवगनानम : टीपीडीके के लक्ष्य क्या हैं? आपको क्यों लगता है कि वह बीजेपी के एजेंडे के खिलाफ हैं?
के रामकृष्णन : टीपीडीके अपने मूल में एक पेरियारवादी आंदोलन है जो सामाजिक न्याय, तर्कवाद और ब्राह्मणवाद के खिलाफ संघर्ष करता है. ये बाते राष्ट्रीय स्तर पर संघ परिवार की विचारधारा के मूल में हैं. और खासकर, हम स्थानीय स्तर पर उनके एजेंडे के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और राजनीतिक लाभ के लिए इस्लामोफोबिया और जाति वर्चस्व फैलाने की कोशिश कर रहे बीजेपी के सदस्यों के खिलाफ काम करने में सक्षम हैं. कोयंबटूर क्षेत्र उन गिनी चुनी जगहों में से एक है जहां बीजेपी को तमिलनाडु में किसी भी तरह का समर्थन मिला है और हमने उस समर्थन को मिटाने के लिए लगातार काम किया है. यह हम जैसे जमीनी स्तर के संगठनों की वजह से है कि बीजेपी को तमिलनाडु में पैर जमाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है.
सुजाता सिवगनानम : तो, आपका अधिकांश काम विरोध प्रदर्शन करने और बीजेपी के एजेंडे के खिलाफ बोलने में जाता है?
के रामकृष्णन : बिल्कुल नहीं. यह हमारे काम का एक हिस्सा भर है लेकिन हमारा लक्ष्य वही है जो पेरियार का है : जाति का पूर्ण विनाश. इसके लिए हमें एक ढांचागत सामाजिक बदलाव लाने की जरूरत है. सामाजिक न्याय स्थापित करने का एकमात्र दीर्घकालिक तरीका अंतर्जातीय और अंतर-धार्मिक विवाह हैं. हमारा मुख्य काम इन विवाहों का संचालन करना और उन्हें स्वाभिमानी विवाहों के समतामूलक तरीके से संचालित करना है. 1999 के बाद से, हमने 5000 से अधिक ऐसे अंतर-जातीय या अंतर-धार्मिक विवाह किए हैं. हाल के वर्ष वास्तव में काफी अच्छे रहे हैं. हम हर साल लगभग 500 शादियां कराने में सक्षम हैं.
हम इन जोड़ों की कानूनी कागजी कार्रवाई को बिना किसी समस्या के पूरा करने और बाद में उनकी रक्षा करने के लिए भी काम करते हैं. ऑनर किलिंग को होने से रोकने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि जाति-विरोधी परिवारों की कई नई पीढ़ियां विकसित हो सकें, हम ज्यादातर इस तरह से काम कर रहे हैं. हम राज्य में हुई ऑनर किलिंग के खिलाफ संघर्ष में भी शामिल थे. जब शंकर की हत्या हुई और कौशल्या गंभीर रूप से घायल हो गईं तो हम उनके साथ खड़े थे. [मार्च 2014 में नवविवाहित कौसल्या और शंकर पर उदुमलपेट्टई शहर में लोगों ने क्रूरता से हमला किया था जिसे कथित तौर पर कौसल्या के पिता ने करवाया था. जख्मों से शंकर की मौत हो गई.] हमने कौसल्या को उसके हत्यारे परिवार को न्याय दिलाने के लिए पूरे मामले में समर्थन दिया. [कौसल्या कानूनी रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ रही है कि उसके पिता को मौत की सजा दी जाए] अब कौसल्या खुद एक आत्मविश्वासी पेरियारवादी कार्यकर्ता बन गई है. इलावरसन-दिव्या मामले में भी हम उस दौरान पीड़ितों के साथ खड़े रहे. [दलित व्यक्ति इलावरसन की 2013 में धर्मपुरी के पास एक अंतर्जातीय विवाह के बाद संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी.] सबूत बताते हैं कि यह हत्या है. हमारा यह काम न केवल बीजेपी की संकीर्ण चुनावी राजनीति के खिलाफ है बल्कि आरएसएस की विचारधारा और ब्राह्मणवादी राज्य की जड़ों के खिलाफ है जिसे वह बनाना चाहते हैं.
सुजाता सिवगनानम : क्या आपका विरोध लिट्टे के साथ आपके काम के कारण नहीं है?
के रामकृष्णन: देखिए, आपको एक स्वतंत्र तमिल ईलम के लिए हमारे समर्थन के संदर्भ को समझना होगा. आंदोलन के लिए हमारा समर्थन 1983 में ब्लैक जुलाई पोग्रोम के दौरान शुरू हुआ था. सिंहली ने लगभग 3000 तमिलों की हत्या कर दी और दसियों हजारों को विस्थापित कर दिया. इन सब क्रूरताओं की तस्वीरें खबरों में आईं. अखबार में हम अपने लोगों की लाशों पर मुस्कुराते हुए सिंहली की तस्वीरें देखते. उस समय वेलिकाडा जेल नरसंहार भी हुआ था. 33 तमिल कैदी मारे गए. दो कैदियों ने घोषणा की थी कि वह अपनी आंखें दान करना चाहते हैं ताकि उनकी आंखें एक आजाद ईलम को देख सकें. नरसंहार में सिंहली लोगों ने लोहे की सलाखों से उनकी आंखें निकाल लीं और उन्हें अपने जूतों के नीचे कुचल दिया. हजारों शरणार्थी तमिलनाडु भाग गए और हमें लगा कि भारत सरकार वहीं बैठी है और ऐसा होने दे रही है.
हमें निश्चित रूप से लगा कि हमें काम करना है. हमने अपने भाइयों के साथ एकजुटता से एक बड़ी हड़ताल का आयोजन किया. कोयंबटूर के स्कूलों और कॉलेजों के लगभग 15000 छात्र हमसे जुड़े. हमने यहां कोयंबटूर में रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया और भारत सरकार से तमिलों की सुरक्षा के लिए कुछ करने के लिए कहा.
उस समय प्रभाकरन [लिट्टे के संस्थापक] और उनके कुछ कार्यकर्ता यहां कोयंबटूर आए थे. हमने उन्हें रहने के लिए जगह दी. जल्द ही इंदिरा गांधी ने उनसे संपर्क किया और उन्हें उत्तराखंड में प्रशिक्षण देना शुरू किया. तब सरकार जो उस समय उनका समर्थन कर रही थी, यह दावा नहीं कर सकती कि हम इसके लिए अपराधी हैं.
सुजाता सिवगनानम : इस संबंध में सरकार ने आप पर कब से निशाना साधा?
के रामकृष्णन: सरकार ने मुख्य रूप से राजीव गांधी की हत्या के बाद हम पर कार्रवाई शुरू की. उस समय कोयंबटूर में लिट्टे के तीन सदस्य रह रहे थे. इससे पहले कि पुलिस उन्हें पकड़ पाती उनकी मौत हो गई. पुलिस ने हमारे और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ यह कहते हुए सबूत गढ़े कि हम बम बनाने वाले तरल पदार्थ ले जा रहे थे. यह निश्चित रूप से पूरी तरह से फर्जी है, जैसा कि हमने बाद में अदालत में साबित किया. अरुचामी नामक एक साथी और मुझे इसके लिए 1991 में टाडा [आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1985] के तहत गिरफ्तार किया गया था.
मुझे लगता है कि उसके बाद उन्होंने अगली बार 2009 में हमें निशाना बनाया. वह उस क्रूर नरसंहार के चरम पर था जिसे श्रीलंका सरकार तमिलों के खिलाफ कर रही थी. हमें खबर मिली थी कि भारत सरकार हथियार भेज रही है जिसमें रॉकेट लॉन्चर जैसी चीजें भी शामिल हैं. जिनका इस्तेमाल सिंहली तमिलों की हत्या के लिए करेंगे. उन्हें ले जाने वाले ट्रक आंध्र से यहां से कोचीन जा रहे थे, जहां से इसे श्रीलंका भेजा जाना था. हमने जाकर नीलांबुर के पास उस सड़क को जाम कर दिया. पुलिस ने आकर हमें वहां गिरफ्तार कर लिया, हम पर एनएसए [राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980] के तहत आरोप लगाया. यह काफी प्रसिद्ध बात बन गई क्योंकि मणिपुर में सेना द्वारा बलात्कार की शिकार महिलाओं के विरोध के अलावा, बहुत कम विरोध सेना के सामने खड़े हुए थे. लेकिन निश्चित रूप से, वह बहुत पहले हुआ था, हालिया हैकिंग और अन्य जिन्हें अब लक्षित किया गया है, यह दर्शाता है कि यह उस वक्त जो हुआ उसे लेकर नहीं है.
इस साक्षात्कार को संपादित और संक्षिप्त किया गया है.
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