17 अगस्त 2018 को पाकिस्तानी संसद में इमरान ख़ान जब बहैसियत वज़ीर-ए-आज़म अपना पहला भाषण देने खड़े हुए. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के कार्यकर्ताओं और ख़ान के समर्थकों से सदन का हॉल ख़चाख़च भरा था. उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता उनके चारों ओर एक मज़बूत दिवार बना कर खड़े थे, जबकि विपक्ष उनके ख़िलाफ़ नारे बुलंद कर रहा था.
पीटीआई और उसके गठबंधन सहयोगियों को ज़रूरी बहुमत 172 से केवल चार सीटें ज़्यादा मिली थीं. अपने पहले भाषण में ख़ान ने बड़े-बड़े दावे किए. उन्होंने कहा, "मैं अल्लाह का शुक्रिया अदा करके शुरुआत करना चाहता हूं जिसने मुझे पाकिस्तान में वह बदलाव लाने का मौक़ा दिया जिसके लिए यह देश 70 साल से इंतज़ार कर रहा था." हॉस तालियों के शोर से गूंज उठा.
उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए आगे दावा किया, "पहली बात जो हम करेंगे, वह यह कि हम उन लोगों के लिए सख़्त जवाबदेही तय करेंगे जिन्होंने इस देश को लूटा और इसे कर्ज़दार बना दिया. आज मैं अल्लाह से वादा करता हूं कि मैं उनमें से एक को भी बच कर निकलने नहीं दूंगा." ऐसा कहते हुए ख़ान विपक्षी पार्टियों की बेंचों की ओर घूरने लगे. ज़ोर देने के लिए अपनी उंगली लहराते हुए ख़ान ने कहा, "किसी भी चोर" के साथ "कोई बातचीत और कोई समझौता" नहीं किया जाएगा.
पार्टी मैनिफ़ेस्टो और अभियानों में ख़ान ने एक करोड़ नौकरियां देने, भ्रष्टाचार ख़त्म करने, स्थानीय सरकारों के चुनाव कराने, पचास लाख रुपए से कम लागत वाले आवासीय घरों का निर्माण करने, दक्षिणी पंजाब को अलग प्रांत बनाने का वादा किया था. ये पाकिस्तानी सियासत में लंबे समय से चले आ रहे मुद्दा हैं. इसके साथ ही सरकारी ख़र्च पर पल रहे सफेद हाथी बने सार्वजनिक उद्यमों में सुधार और उनके प्रदर्शन का राजनीतिकरण ना करने के अलावा और भी कई वादे किए थे.